सिंधिया समर्थक दो मंत्रियों की कुर्सी पर संकट के बादल, छिन सकता है मंत्रिपद

Edited By meena, Updated: 09 Sep, 2020 04:47 PM

crisis on the chair of two pro scindia ministers

विधानसभा उपचुनाव में हो रही देरी शिवराज सरकार के दो मंत्रियों के लिए खतरे की घंटी साबित हो रही है। दोनों ही मंत्री सिंधिया गुट के समर्थक हैं और दोनों ही विधानसभा के सदस्य नहीं है। वहीं उपचुनाव को लेकर अभी तक कोई ऐलान नहीं हुआ है। ऐसे में अगर 21...

भोपाल: विधानसभा उपचुनाव में हो रही देरी शिवराज सरकार के दो मंत्रियों के लिए खतरे की घंटी साबित हो रही है। दोनों ही मंत्री सिंधिया गुट के समर्थक हैं और दोनों ही विधानसभा के सदस्य नहीं है। वहीं उपचुनाव को लेकर अभी तक कोई ऐलान नहीं हुआ है। ऐसे में अगर 21 अक्टूबर, 2020 तक विधायक नहीं चुने जाते हैं, तो उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। विधानसभा की सदस्यता से दे दिया था इस्तीफा

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दरअसल, सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए विधायकों ने अपनी सदस्यता के साथ इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कमलनाथ सरकार गिर गई और शिवराज सरकार सत्ता में आ गई। 21 अप्रैल, 2020 को शिवराज ने अपने मंत्रिमंडल का गठन किया था। इसमें पहले 5 मंत्रियों को शामिल किया गया था, जिनमें सिंधिया के करीबी तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत भी शामिल थे। हालांकि इनके पास राज्यसभा की सदस्यता नहीं थी। 

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नियम के अनुसार 6 माह में सदस्यता लेना जरुरी संविधान की धारा 164 (4) के अनुसार किसी भी मंत्री को 6 महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य होना लाजमी है। ऐसे में तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को 6 माह में विधानसभा या फिर विधान परिषद का सदस्य होना जरुरी हो जाएगा नहीं तो उनका मंत्री पद छिन्न जाएगा। तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने 21 अप्रैल 2020 को मंत्री पद की शपथ ली थी। नियम के अनुसार, 21 अक्टूबर को 6 महीने होने जा रहा है और यदि वे कुर्सी पर बने रहना चाहते हैं तो उपचुनाव में सदस्यता साबित करनी ही होगी। 

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वहीं दूसरे नियम के तहत आयोग को कम से एक महीने पहले विधानसभा के उपचुनाव कराने के लिए घोषणा करनी होती है, क्योंकि नामांकन से लेकर वोटिंग और मतगणना तक तमाम प्रक्रियाएं करानी होती हैं। इसमें तकरीबन एक महीने का समय लग ही जाता है। इसका सीधा मतलब यह है कि अगर अगले दस दिनों में मध्य प्रदेश उपचुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग द्वारा घोषणा नहीं होती है तो तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है।

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आपको बता दें कि मध्य प्रदेश की 27 विधानसभा सीटें रिक्त पड़ी हुई है, जिनमें सिलावट की सांवेर और गोविंद सिंह राजपूत की सुर्खी विधानसभा सीट भी शामिल है। इन दोनों बीजेपी नेताओं का अपनी-अपनी परंपरागत सीटों से उपचुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। हालांकि, चुनाव आयोग पहले ही ऐलान कर चुका है विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव 29 नवंबर से पहले करा दिए जाएंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है।

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