मेड इन चाइना पर भारी पड़ रही इंडियन टेडी मदर, बचपन के शौक ने दिलाई दुनिया भर में शौहरत

Edited By meena, Updated: 04 Feb, 2021 02:45 PM

ग्वालियर  की रहने वाली 50 वर्षीय विमलेश पवार को बचपन में खिलौने से खेलने का इतना शौक था कि उन्होंने इसे अपना पेशा बना लिया। विमलेश 30 साल से अपने हाथों से टेडी बना रही है। यह टेडी देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी सप्लाई किए जाते हैं। विमलेश 300 से...

ग्वालियर(अंकुर जैन): ग्वालियर  की रहने वाली 50 वर्षीय विमलेश पवार को बचपन में खिलौने से खेलने का इतना शौक था कि उन्होंने इसे अपना पेशा बना लिया। विमलेश 30 साल से अपने हाथों से टेडी बना रही है। यह टेडी देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी सप्लाई किए जाते हैं। विमलेश 300 से अधिक प्रकार के टेडी बनाती है। इनकी कला का प्रदर्शन पूरे देश में किया जाता है। अंचल में उन्हें 'इंडियन टेडी मदर' के नाम से जाना जाता हैं।

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देश के प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार करने में लगे हुए हैं, लेकिन ग्वालियर की एक ऐसी महिला जिसने 30 साल पहले ही आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार कर दिया है। विमलेश पवार अपने हाथों से बनी टेडी के माध्यम से चाइना के टॉयज को चुनौती दे रही है। यही वजह है कि उनके हाथों से बने यह टेडी के सामने चाइना के बने खिलौने भी फीके पड़ जाते हैं। उनके द्वारा टेडी बनाने की कहानी काफी रोचक है। आइए जानते है।

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इंडियन टेडी बनाने की इस तरह हुई शुरुआत...
बात लगभग 30 साल पहले की है। जब विमलेश पवार अपने परिवार के साथ व्यापार मेला देखने जाती थी। उस समय दुकानों पर लगने वाली टॉयज देखा करती है, लेकिन उन्हें हाथ नहीं लगा सकती थी, क्योंकि एक कांच के अंदर ये होते थे। बस यहीं से उनके अंदर ऐसी ही खिलौने बनाने की प्रेरणा जाग उठी। इसके बाद उनकी शादी भी हो गई। पति नेवी में थे। इसलिए उन्हें मुंबई जाना पड़ा। वर्ष 1989 में मुंबई में उन्होंने सॉफ्ट टॉयज बनाने का प्रशिक्षण लिया।

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यहीं से टॉयज बनाने की शुरुआत हुई। तब से लेकर अब तक टेडी और टॉयज बना रही है। देश के अलग-अलग राज्यों में विमलेश की कला का होता है। प्रदर्शन विमलेश पवार 30 साल से अपने हाथों से टेडी बना रही है, जो देश के अलग-अलग राज्यों में अपनी कला का प्रदर्शन करती है।

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दिल्ली हाट बाजार से लेकर गुजरात के गांधी शिल्प बाजार, उदयपुर हाट बाजार सहित अलग-अलग राज्यों में अपनी कला को प्रदर्शन करती है। विमलेश पवार 300 से अधिक प्रकार के बनाती है टॉयज 50 वर्षीय विमलेश कुमार 300 से अधिक प्रकार की टॉयज बनाती है, जिसमें 2 इंच से लेकर 8 इंच तक के खिलौने शामिल होते हैं। खिलौना बनाने के लिए देसी वस्तु का उपयोग किया जाता है। कपड़ों से लेकर प्लेन कपड़े की सॉफ्ट टॉयज तैयार की जाती हैं, जिसमें अलग-अलग प्रकार की टेडी शामिल है। यह टेडी चाइना के बने टेडी से काफी बेहद सस्ते और टिकाऊ होते है।
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देश ही नहीं विदेश में भी सप्लाई होती हैं टेडी विमलेश पवार के हाथों से बनी टेडी का हर कोई कायल है। यही वजह है कि यह टेडी देश के हर राज्य में सप्लाई की जाती हैं। साथ ही श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश में भी टेडी की सप्लाई होती है। हाथों से बने टॉयज की मांग अब तेजी से बढ़ती जा रही है।

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प्रदेश में सबसे पहले टेडी बनाने की शुरुआत विमलेश कुमार ने 30 साल पहले टेडी और खिलौना बनाने की शुरुआत की थी। उस समय टेडी को कोई नहीं जानता था, सिर्फ मेला या दुकानों में एक कांच के अंदर देखने को मिलता था, लेकिन आज उन्हें पूरे देश में 'इंडियन टेडी मदर' के नाम से जाना जाता है।

 

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