Edited By shahil sharma, Updated: 14 Feb, 2021 05:02 PM
14 फरवरी दुनियाभर में प्रेम के दिन के रूप में मनाया जाता है। वेलेंनटाइन डे को खासतौर पर युवा वर्ग के लोग ज्यादा मनाते हैं। यही प्यार और मोहब्बत अगर एक मां-बेटे में देखने को मिले तो कोई हैरत की बात नहीं। अपनी मां की देखभाल की खातिर अपनी पत्नियों को...
दमोह (इम्तियाज चिश्ती): 14 फरवरी दुनियाभर में प्रेम के दिन के रूप में मनाया जाता है। वेलेंनटाइन डे को खासतौर पर युवा वर्ग के लोग ज्यादा मनाते हैं। यही प्यार और मोहब्बत अगर एक मां-बेटे में देखने को मिले तो कोई हैरत की बात नहीं। अपनी मां की देखभाल की खातिर अपनी पत्नियों को ही त्याग दे वह भी एक नहीं दो नहीं चार पत्नियों को छोड़ चुका 70 साल का व्यक्ति अपनी 90 साल की मां की देखभाल कर रहा है।
बुजुर्ग मां मां-बेटे के रिश्ते की मिसाल
दमोह जिले के हटा क्षेत्र के गांधी वॉर्ड में रहने वाले कुन्जी लाल और उनकी 90 साल पूरी कर चुकी बुजुर्ग मां मां-बेटे के रिश्ते की मिसाल हैं, जहां आजकल लोग अपने बूढ़े मां-बाप को घर में ही बोझ समझकर वृद्धाश्रम छोड़ देते हैं।
ऐसे दौर में एक बेटा है जो श्रवण कुमार के इतिहास को दोहरा रहा है। कुन्जी लाल के परिवार में सिर्फ उनकी बूढ़ी मां के अलावा कोई और नहीं है। कुंजी लाल की पहली पत्नी की मौत हो गई थी। उसके बाद उन्होंने चार शादियां की। किसी भी पत्नी ने उनकी मां की कद्र नहीं की, जिसके बाद वह खुद अपनी पत्नियों को छोड़ते चले गए।
भुवानी बाई ने बताया कि उसका इकलौता बेटा मजदूरी करके उसका पालन पोषण करता है। छोटे से घर में खुशी-खुशी मां बेटे का जीवन गुजर रहा है। भुवानी बाई ने बताया कि उसके बेटे की पहली पत्नी की मौत बीमारी के कारण मौत हो गई।
इसके बाद फिर से वंश बढ़ाने व घर बसाने का प्रयास किया, लेकिन एक-एक करके चार बहुएं उनके बेटे को छोड़ के चली गईं। वर्तमान में मां बेटा अकेले जीवन यापन कर रहे हैं। बेटा अपनी मां के लिए खाना पकाता है।
मां के उठने से लेकर रात को सुलाने तक बेटा हर जिम्मेदारी निभा रहा है। मां का कहना है कि हमारा वंश भले चाहे आगे नहीं बढ़ पाया हो, लेकिन मुझे श्रवण कुमार जैसा पुत्र मिला है, जो केवल कहानियों में सुनते थे। मां-बेटे के इस अटूट रिश्ते को देखकर किसी के भी आंखू में आंसू आ सकते हैं।
मां के चरणों में स्वर्ग
वहीं, बेटे कुंजी लाल का कहना है कि वह अपनी मां के साथ भले ही सुख-सुविधाओं वाला जीवन यापन नहीं कर रहा है, लेकिन मां के चरणों में फिर भी स्वर्ग लगता है। कुंजी लाल ने कहा कि 14 साल पहले मेरे पिता का स्वर्गवास हो गया था। मां अपने आप को अकेला व असहाय महसूस करने लगी थी।
इस दौरान उनकी मां को ये चिंता रहती थी कि उसकी बुढ़ापे की लाठी कौन बनेगी। अपनी मां की अवस्था को देखते हुए कुंजी लाल ने अपनी मां के साथ रहने का फैसला किया। दोनों की आय का स्त्रोत मात्र सरकार के द्वारा मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन है। वहीं, राशन सरकारी डिपो से मिलता है।