Edited By Vikas kumar, Updated: 12 Dec, 2018 02:44 PM
मध्यप्रदेश में 11 दिसंबर को हुई मतगणना में एक किरदार जो सबसे अहम रहा वो है नोटा का। जी हां इस बार बीजेपी के पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण नोटा ही था। मध्यप्रदेश ही नहीं राजस्थान, छत्ती...
भोपाल: मध्यप्रदेश में 11 दिसंबर को हुई मतगणना में एक किरदार जो सबसे अहम रहा वो है नोटा का। जी हां इस बार बीजेपी के पिछड़ने का सबसे बड़ा कारण नोटा ही था। मध्यप्रदेश ही नहीं राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम व तेलंगाना में भी मतदाताओं ने नोटा की बटन दबाने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है। पूरे मध्यप्रदेश में परिणाम आने के बाद यह पता लग पाया कि, करीब पांच लाख मतदाताओं ने नोटा में बटन दबाया है।
कितना असरदार साबित हुआ NOTA...
मंगलवार को जारी किए गए परिणाम के बाद दो राज्यों मध्यप्रदेश व राजस्थान की बात करें तो बीजेपी-कांग्रेस में जितना वोटों का अंतर नहीं था उससे कहीं ज्यादा तो नोटा को वोट मिले। विधानसभा चुनाव में NOTA कितना प्रभावशाली रहा इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में चुनाव लड़ रही आप और सपा भी नोटा से हार गईं। मध्यप्रदेश में नोटा को करीब पांच लाख वोट पड़े।
नोटा के इतने वोट बीजेपी के खिलाफ जनता की नाराजगी तो नहीं
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, बीजेपी से नाराज मतदाताओं ने नाराज होकर ही नोटा के पक्ष में इतनी बड़ी संख्या में वोट डाला है। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि, मतदाताओं का रूख बीजेपी और कांग्रेस में से किसी भी पार्टी को जिताने का नहीं था।
सपा को नोटा से कम वोट मिले
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम में करीब 1.5 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा को को वोट दिया। जबकी समाजवादी पार्टी को राज्य में 1 प्रतिशत और आप को 0.7 प्रतेशत वोट मिले। इसी तरह राजस्थान में भी माकपा को 1.3 प्रतिशत और समाजवादी पार्टी को 0.2 प्रतिशत वोट मिले वहीं नोटा को 1.3 प्रतिशत वोट मिले।
अपने आप को राज्य की तीसरी बड़ी पार्टी बताने वाली 'आप' का हाल
राज्य |
AAP का वोट प्रतिशत |
नोटा का वोट प्रतिशत |
मध्यप्रदेश |
0.7% वोट (2,53,101) |
1.5% वोट (5,42,295) |
राजस्थान |
0.4% वोट (1,35,816) |
1.3% वोट (4,67,781) |
छत्तीसगढ़ |
0.9% वोट (1,23,526) |
2.1% वोट (2,82,744) |
इन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में हार के अंतर से ज्यादा वोट नोटा को मिले...
विधानसभा |
भाजपा |
कांग्रेस |
नोटा |
राजनगर |
34807 वोट |
34139 वोट |
2133 वोट |
नेपानगर |
84056 वोट |
85320 वोट |
2551 वोट |
मन्धाता |
69992 वोट |
71228 वोट |
1575 वोट |
कोलारस |
71173 वोट |
70941 वोट |
1649 वोट |
गुनौर |
55647 वोट |
57657 वोट |
3734 वोट |
ब्यावरा |
74743 वोट |
75569 वोट |
1481 वोट |
भैंसदेही में पड़े नोटा में सर्वाधिक वोट
प्रदेश की भैंसदेही विधानसभा में सर्वाधिक 7706 वोट नोटा में पड़े। इसके अतिरिक्त करीब 13 से ज्यादा विधानसभा सीट ऐसी थी, जहां पांच हजार से ज्यादा वोट नोटा को मिले। जोबाट सीट पर नोटा में 5139 वोट पड़े, जबकि दोनों दलों के प्रत्याशियों की जीत का अंतर 2500 वोटों का रहा। वहीं बीना विधानसभा में नोटा पर 1528 वोट गिरे, जबकि जीत का अंतर 600 वोटों से कम रहा। वहीं यूपी की सीमा से लगने वाले चंदला में नोटा के पक्ष में 2695 वोट पड़े, जबकि जीत का अंतर 1100 वोटों से भी कम रहा।
क्या होता है नोटा ?
नोटा का का पुरा नाम 'नन ऑफ द एबव', यानि 'इनमें से कोई नहीं' है। 2015 से नोटा पूरे देश मे लागू हुआ। भारत निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनावों में ईवीएम में `नोटा` बटन का विकल्प उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। नोटा का अर्थ है कि अगर कोई मतदाता राजनीतिक पार्टियों से नाराज है तो वह नोटा में वोट देकर अपनी नाराजगी जाहिर कर सकता है।