364 बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के पिता सुधीर भाई ! इन्हें जानकर आपका सिर भी सम्मान में झुक जाएगा...

Edited By meena, Updated: 20 Jun, 2021 09:47 PM

कहते है मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है, इस बात को साबित किया है उज्जैन निवासी सुधीर भाई ने  जो विगत कई वर्षों से अपने सेवा धाम आश्रम में 364 ऐसे बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों की जिम्मेदारी संभाल रहे है जिनका ना घर है ना ठिकाना, किसी के मां-बाप नहीं है...

उज्जैन: कहते है मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है, इस बात को साबित किया है उज्जैन निवासी सुधीर भाई ने  जो विगत कई वर्षों से अपने सेवा धाम आश्रम में 364 ऐसे बच्चों, युवाओं, बुजुर्गों की जिम्मेदारी संभाल रहे है जिनका ना घर है ना ठिकाना, किसी के मां-बाप नहीं है तो कोई घर से प्रताड़ित हुआ है, किसी को जन्म के समय ही जंगल मे छोड़ दिया गया तो किसी को बेड़ियों में सालों तक जकड़े रखा गया। बच्चों में 60 प्रतिशत संख्या दिव्यांगों की भी है।

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सुधीर भाई ऐसे ही लोगों को अपने आश्रम में शरण देते है जो आज के समय में भटक गए हैं। सुधीर भाई ने ऐसे लोगों को भी अपनाया जो जो नशे की लत में लिप्त थे और आज नया जीवन जी रहे हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जिनका कोई नहीं है उनके सुधीर भाई है, सुधीर भाई एक पिता की भूमिका निभा रहे है 364 बच्चों के आधार कार्ड पर पिता की जगह सुधीर भाई का ही नाम अंकित है।

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कौन है सुधीर भाई
सुधीर भाई का पुरा नाम सुधीर गोयल है, जिनकी पत्नी का नाम कांताजी है व दो बेटियां एक गौरी व एक मोनिका जो सुधीर भाई के साथ बच्चों की देख रेख करते हैं। सुधीर भाई विगत कई वर्षों से आश्रम में दिव्यांग, नशे में लिप्त, लावरिस, प्रताड़ित, भटके हुए बच्चे बुजुर्ग व युवाओं को संभाल रहे हैं। सुधीर भाई का कहते है यह मेरा परिवार है जिसमें जात-धर्म-मजहब नहीं देखा जाता, यहां सब एक समान है, एक साथ खाना खाते हैं, एकसाथ रहते हैं, खेलते हैं, गौ सेवा करते हैं, सिलाई, कड़ाई, बुनाई, कंप्यूटर, हस्तशिप व अन्य कलाओं में निपुण हो रहे हैं। यहां हम बच्चों को चाय, नाश्ता, दूध, फल, भोजन समय पर बिना किसी भेद भाव के दिया जाता हैं। यहां रहने वाले 20 राज्यों से अधीक के लोग है सबकी अपनी अपनी भाषा है लेकिन सब में अटूट प्रेम हैं।

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आप जानकर हैरान होंगे आश्रम मे बड़े हुए बच्चो की शादी भी सुधीर भाई ने करवाई है। 17 साल की उम्र में सुधीर भाई ने दो बेटियों का कन्यादान किया जो नारी निकेतन की बेटियां थी, आज उनके बच्चे सुधीर भाई को नाना कहते है, सुधीर भाई ने 10 वर्षो से जंजीरों में जकड़े युवक को जब छुड़ाया तो आज वो मानसिक स्तिथी से ऊपर उठ कर सेवा धाम में गौसेवक की भूमिका निभा रहा है। एक बच्ची है जिसकी उम्र 15 वर्ष है। वो डॉ बनना चाहती है जो जंगल मे मिली थी वह कक्षा छठी में पढ़ रही है। ऐसे कई सारे उद्धहरण है जो सुधीर भाई के आश्रम में देखने को मिलेंगे और उनसे प्रेरणा, यह आश्रम 29 वर्षो से उज्जैन के पास ग्राम अंबोदिया में संचालित किया जा रहा है।

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