Edited By Vikas kumar, Updated: 07 Jan, 2019 01:32 PM
मध्यप्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार तो बन गई लेकिन सरकार को बचाए रखना सिरदर्द बन गया है। नई सरकार के 7 तारीख को होने वाले पहले विधानसभा सत्र में मिले-जुले बहुमत से बनी
भोपाल: मध्यप्रदेश में 15 साल के बाद कांग्रेस की सरकार तो बन गई लेकिन इस सरकार को बचाए रखना सिरदर्द बन गया है। आज होने वाले विधानसभा सत्र में कांग्रेस सरकार को आशंका है कि एमपी में बीजेपी कर्नाटक की तरह हॉर्स ट्रेंडिंग ना कर ले, क्योंकि कांग्रेस के सहयोगी बसपा और सपा ने अपनी नाराजगी पहले ही जाहिर कर दी है। जो कि कमलनाथ सरकार के लिए चिंता का सबब बना हुआ है।
15 साल सत्ता का वनवास काटकर सरकार बनाने के बाद भी कांग्रेस को हार्स ट्रेंडिंग का डर सता रहा है। कांग्रेस को आशंका है कि बीजेपी कर्नाटक की तरह मध्यप्रदेश में कांग्रेस और उसे समर्थन करने वाले निर्दलीय विधायकों को अपने साथ ना ले ले। दरअसल मंत्रीमंडल बनने के बाद से कांग्रेस में असंतुष्ट विधायकों ने नाराजगी जाहिर की थी। ऐसे में नई सरकार का पहला विधानसभा सत्र 7 जनवरी से होना है। दिग्विजय सिंह इस बात की आशंका जाहिर कर चुके हैं। वहीं सीएम कमलनाथ का कहना है कि विरोधी दल कितनी भी कोशिश कर लें, मध्यप्रदेश के विधायक समझदार हैं उन्हें पता है कि क्या सही है।
हालांकि बीजेपी अपने ऊपर लग रहे हार्स ट्रेंडिंग के आरोपों को सिरे से नकारते हुए कह रही है कि जोड़तोड़ की राजनीति करनी होती तो कमलनाथ सरकार बनती ही नहीं। कांग्रेस की हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बयान देते हुए कहा है कि कमलनाथ की सरकार अल्पमत की सरकार है पर संख्या बल में बीजेपी से ज्यादा है। इसलिए पहले ही दिन स्पष्ट कर दिया था कि बीजेपी सरकार नहीं बनाएगी। इस तरह की आशंका करना बिल्कुल गलत है। जितना प्रोग्रेसिव रुख हमने अपनाया उतना किसी ने नहीं अपनाया। नेता प्रतिपक्ष को लेकर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि विधायक दल की बैठक सात जनवरी को होगी। उसमें नेता प्रतिपक्ष तय हो जाएगा।