पिता ने डांटा तो नाबालिग ने खाया जहर! बड़ा सवाल- बच्चों के ऐसे रिएक्शन से कैसे बचे पेरेट्स

Edited By meena, Updated: 15 Jan, 2022 08:09 PM

when father scolded in chhatarpur minor ate poison

अगर आप भी अपने बच्चों को ज्यादा डांटते हैं तो यह खबर अलर्ट करने वाली है। हालांकि बच्चों को डांटने और उनके रियेक्सन के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। पर अब ऑनलाइन क्लासेस की वजह से बच्चे कुछ ज्यादा आक्रामक हो गये है। खास बात यह कि ऐसे मामले ग्रामीण...

छतरपुर(राजेश चौरसिया): अगर आप भी अपने बच्चों को ज्यादा डांटते हैं तो यह खबर अलर्ट करने वाली है। हालांकि बच्चों को डांटने और उनके रियेक्सन के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। पर अब ऑनलाइन क्लासेस की वजह से बच्चे कुछ ज्यादा आक्रामक हो गये है। खास बात यह कि ऐसे मामले ग्रामीण अंचलों से भी निकलकर सामने आने लगे हैं। जहां अब बच्चे अपनी जान लेने तक पर उतारू हो जाते हैं। जिसका खामियाजा माता-पिता और परिवार को भुगतना होता है। ऐसा ही एक ताजा मामला माध्यप्रदेश के छतरपुर से सामने आया है। जहां पिता की डांट से एक नाबालिग को इस कदर नाराज हो गई कि उसने अपनी जान लेने का इरादा कर लिया और घर में रखा जहरीला पदार्थ खा लिया। घटना और मामले की जानकारी लगते ही परिजन उसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल लेकर आए हैं। जहां उसका अस्पताल के फीमेल मेडिसन वार्ड में इलाज चल रहा है।

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शहर के ओरछा रोड थाने का मामला..
जानकारी के मुताबिक मामला छतरपुर शहर ओरछा रोड थाना क्षेत्र के धमोरा गांव का है। जहां की 16 वर्षीय बच्ची ने अपने पिता भगीरथ कुशवाहा की डांट-फटकार से नाराज होकर घर में पिपरमेंट की खेती में लगाने वाला कीटनाशक, जहरीला पदार्थ खा लिया।

कोचिंग से देर में पहुंची घर तो लगाई फटकार...
अस्पताल में भर्ती बच्ची ने बताया कि वह रोजाना अपने गांव से छतरपुर शहर कंप्यूटर कोचिंग क्लास के लिए आती है। पर कल कोचिंग क्लास छूटने पर वह रोजाना के मुकाबले घर देर से पहुंची जिस पर उसके पिता ने उसे डांट-फटकार लगा दी, जिससे नाराज होकर उसने घर में रखी पिपरमेंट की दवाई जहरीला पदार्थ खा लिया।

बच्ची को है पश्चाताप..
हालांकि अब जान बचने के बाद बेटी को भारी पश्चाताप हो रहा है। और अब उसने प्रयाश्चित कर कभी ऐसा न करने की कसम खाई है।

जरूरत है अच्छे विचारों, संस्कारों और बेहतर काउंसलिंग की..
बच्चों को एक अच्छा माहौल दें, उनसे परस्पर रहें, उन्हें अपने विचार सुझाव दें उनसे उनके विचार सुझाव जानें। उन्हें समझें और खुद को समझाएं, उन्हें अपने कामों की जानकारी दें, उनके कामों की भी जानकारी लें, परिजनों और खुद पर ट्रस्ट करना सिखाएं, उन्हें मोटिवेशन दे उनके मन में पॉजिटिविटी लाएं, व्यावहारिक और अच्छे-बुरे का ज्ञान दें, उन्हें सही दृष्टिकोण के बारे में बताएं।

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खुद की व्यस्तता बड़ा कारण...
अक्सर मां-बाप जिंदगी की भाग-दौड़, उधेड़-बुन और व्यस्तता के चलते अपने बच्चों पर उतना ध्यान नहीं दे पाते जितना कि जरूरी है। वे उनकी परस्पर मॉनिटरिंग नहीं करते, जिससे बच्चे धीरे-धीरे हमसे दूर और अलग होते और अलग तलाश में चले जाते हैं। यही वजह है कि वह अतिक्रमण हो जाते हैं। जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना होता है।

 

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