कौन खड़ी कर रहा है, नरोत्तम और शिवराज के बीच दीवार ?

Edited By meena, Updated: 22 Jun, 2021 02:06 PM

who is erecting the wall between narottam and shivraj

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के दूसरे और काफी हद तक तीसरे कार्यकाल तक मध्यप्रदेश की राजनीति में नरोत्तम मिश्रा को लेकर एक तकियाकलाम काफी प्रचलित रहता था, और वो था सरकार के संकटमोचक। ये तकियाकलाम उन्हें यूं ही नहीं मिला था, सड़क से लेकर सदन तक। शिवराज...

एमपी डेस्क (हेमंत चतुर्वेदी): मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के दूसरे और काफी हद तक तीसरे कार्यकाल तक मध्यप्रदेश की राजनीति में नरोत्तम मिश्रा को लेकर एक तकियाकलाम काफी प्रचलित रहता था, और वो था सरकार के संकटमोचक। ये तकियाकलाम उन्हें यूं ही नहीं मिला था, सड़क से लेकर सदन तक। शिवराज सिंह के बचाव से लेकर उन पर हमले करने वालों पर पलटवार तक। कमोवेश हर मोर्चे पर नरोत्तम शिवराज की ढाल के तौर पर ही नजर आए। नरोत्तम और शिवराज की ये जोड़ी भाजपा के लिए जितनी मुफीद साबित हुई, उतनी ही हमेशा विरोधियों पर भारी पड़ती नजर आती। लेकिन मानो, प्रदेश की सियासत के इन दो धुरंधरों की एकता कुछ लोगों की आंखों में ककराने लगी, और इनके न चाहते हुए भी मौजूदा वक्त में इन्हें एक दूसरे के प्रतिस्पर्धी के तौर पर प्रस्तुत किया जाने लगा।

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2018 के विधानसभा चुनाव तक सब ठीक ठाक था। लेकिन उसके बाद कमलनाथ सरकार के दौरान प्रदेश में संभावित सत्ता पलट की आशंकाओं ने इस कथित प्रतिस्पर्धा की रफ्तार और बढ़ा दी। न तो नरोत्तम ने ताल ठोककर कुछ दावा किया, न शिवराज कुछ बोले। लेकिन इसके बाद भी न जाने, कौनसा ये अफवाह गिरोह सक्रिय हुआ, जिसने इस पूरी लड़ाई को शिवराज वर्सेस नरोत्तम बना दिया। लेकिन मानों, ये इन दोनों नेताओं की समझबूझ और आपसी तालमेल ही था, कि इस अफवाह तंत्र ने इनकी जोड़ी के सामने दम तोड़ दिया, और चार दिन पहले तक जो दो राजनेता सत्ता के खिलाफ खुलकर एकजुट होकर ताल ठोक रहे थे, वह आज सरकार में आकर नंबर एक और नंबर दो की पोजीशन पर भी पूरी मुस्तैदी के साथ बैटिग कर रहे हैं। 

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अब सवाल ये आता है, कि आखिर कौन नहीं चाहता, कि ये जोड़ी प्रदेश की सियासत की क्रीज पर यूं ही डटी रहे। आखिर कौन बार बार ये माहौल तैयार कर रहा है, जिसके तहत ये दोनों धुरंधर एक दूसरे को रन आउट करने की कोशिश करते नजर आएं। क्या इसके पीछे विपक्षी खेमे की कोई रणनीति है, या फिर उनके किसी अपने को ही ये जोड़ी सुहा नहीं रही ? खैर इसके पीछे जो भी हो, लेकिन यह तय है, कि नरोत्तम और शिवराज के बीच दीवार खड़ी करने की तमाम कोशिशें अब तक नाकाम साबित हुई हैं, और कल्पनाओं की तो कोई गारंटी नहीं लेता, लेकिन वास्तविकता में इन दोनों नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा की बात लगभग बेमानी ही नजर आती है। 

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चलते चलते...
ज्यादा पीछे मत जाइए, कुछ ही रोज पहले की बात है, जल संसाधन विभाग की एक परियोजना को लेकर कैबिनेट मीटिंग में नरोत्तम की नाराजगी खूब चर्चा का विषय बनी। लोगों ने इस खबर के बाद एक बार फिर शिवराज वर्सेस नरोत्तम की हवा चला दी। लेकिन अगले दिन जब नरोत्तम कैमरे के सामने आए, तो फिर ये कयास हवा में उड़ते नजर आए, जहां उन्होंने सीना ठोककर इस बात से इकरार कर दिया, कि शिवराज ही उनके नेता थे हैं और रहेंगे। नरोत्तम के इस रुख को देखकर ये अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है, कि वो इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं, कि उनके और शिवराज के बीच कथित प्रतिस्पर्धा की अटकलें ही विरोधियों को ऑक्सीजन देती है, इसलिए वह हर मोर्चे पर इनकी जड़ें काटने में कतई नहीं चूकते।

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