MP में अदालत का समय बर्बाद करना पड़ा मंहगा, लगा 50 हजार का जुर्माना

Edited By suman, Updated: 12 Jan, 2019 12:00 PM

50 thousand fines to waste court time

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसके सेठ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गुरुवार को एक याचिकाकर्ता पर अदालत का समय बर्बाद करने के लिए 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने भोपाल के जिला कलेक्टर को याचिकाकर्ता पर...

भोपाल: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसके सेठ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक याचिकाकर्ता पर अदालत का समय बर्बाद करने के लिए 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने भोपाल के जिला कलेक्टर को याचिकाकर्ता पर लगाए गए जुर्माने की राशि को वसूलने के लिए राजस्व वसूली प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया है।

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मिली जानकारी के अनुसार, जयपुर स्थित एक कंपनी मेसर्स मैवरिक डिवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन के तहत नगर निगम के आयुक्त, भोपाल और जल वितरण परियोजना अधिकारी के खिलाफ हाईकोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने 7 अगस्त, 2018 को याचिका खारिज कर दी थी। तब अदालत ने कहा था कि इस मामले में हाई कोर्ट ने पहले ही निर्देश दे दिए हैं, इसके बावजूद तीसरी बार याचिका दाखिल की गई है। 

PunjabKesariअदालत ने याचिकाकर्ता पर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने और अदालत का समय बर्बाद करने के लिए 50,000 रुपये का जुर्माना ठोका है। याचिकाकर्ता को अदालत के कानूनी सेवा सेल में दो महीने के भीतर राशि जमा करने के लिए कहा गया था, लेकिन निर्धारित समय में धनराशि जमा नहीं की गई। इसके बाद न्यायमूर्ति एसके सेठ और न्यायमूर्ति वीके शुक्ला की खंडपीठ ने भोपाल कलेक्टर से जुर्माना राशि वसूलने को कहा है। अदालत ने कहा कि अगर इसके लिए राजस्व वसूली प्रमाणपत्र जारी करना पड़े तो किया जाए। 

 

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