'रामलला हम आएंगे मंदिर वही बनाएंगे' इंदौर के बाबा सत्यनारायण मौर्य ने उज्जैन में दिया था यह नारा

Edited By Vikas kumar, Updated: 04 Aug, 2020 02:00 PM

baba satyanarayan maurya of indore gave this slogan in ujjain

यूं तो राम मंदिर में लाखों कार सेवकों का खासा योगदान है, जो की अमूल्य है, लेकिन ऐसी ही एक शख्शियत बाबा सत्यनारायाण मौर्य भी अहम किरदार हैं, एक दौर था जब अचानक पढ़ाई खत्म क...

इंदौैर (सचिन बहरानी): यूं तो राम मंदिर में लाखों कार सेवकों का खासा योगदान है, जो की अमूल्य है, लेकिन ऐसी ही एक शख्शियत बाबा सत्यनारायाण मौर्य भी अहम किरदार हैं, एक दौर था जब अचानक पढ़ाई खत्म करने के बाद बाबा सत्यनारायण मौर्य राजगढ़ से आयोध्या चले गए, और वहां जा-जाकर गली मोहल्लों की दीवारों पर जोश से ओत-प्रोत नारों को लिख दिया, शुरुआत में संसाधन और अर्थव्यवस्था जब कमजोर होती थी, तब बाबा ने गेरू की मदद ली। और उससे ही आकृति प्रतिमा और नारो से दीवारों को रंग दिया। बाबा के द्वारा दीवारों पर लिखे नारे के बारे में जब विश्व हिन्दू परिषद के अशोक सिंघल को पता चला तो उन्हें बाबा की कला के बारे में जानकारी मिली, और फिर उन्होंने ही आदेश दिया की यह काम जारी रखो।

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इसके साथ ही जब उन्हें पता चला की बाबा सत्यनारायण मौर्य कविता भी लिखते हैं, और गाने भी गाते हैं तो उन्होंने दिल्ली भेज कर बाबा के गाने और नारे की एक कैसेट रिकार्ड करवाई, बाबा के इन नारों को अक्सर मंच से इस्तेमाल किया गया, दिल्ली से लौटकर आयोध्या आने के बाद बाबा फिर मंच की व्यवस्था की, इस वक़्त बाबा को ही मंच संचालन की व्यवस्था सौंपी गई, और धीरे धीरे बाबा ही मंच प्रमुख घोषित कर दिए गए। उज्जैन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बाबा ने मंच से ही रामलला हम आएंगे मंदिर वही बनाएंगे का नारा दिया था, इसके साथ कई ऐसे नारे प्रचलित हुए, जब ढांचे को गिराया गया। उस वक़्त बाबा सत्यनारायण मौर्य मंच पर मौजूद थे, बाबा मंच संचालन कर रहे थे, बाबा मौर्या मंच से जोर जोर से नारे लगा रहे थे। उस समय कार सेवक भी उनका साथ दे रहे थे।

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आंदोलन के वक़्त विवादित ढांचे को गिराने के बाद प्रभु राम को उसी स्थान पर बैठा दिया गया, और बाबा ने अपने पास मौजूद बैनर के कपड़े की सहायता से रामलला के आसपास अस्थाई मंदिर जैसा बना दिया था। इस बैनर पर आकृति उकेर दी, यह लगभग आखिरी याद थी, बाबा सत्यनारायाण के मुताबिक़ जब तक वे अयोध्या में रहे, तब तक लगातार दीवारों पर झांकी, आकृति और नारे से दीवारों को रंगीन करते रहे। दीवार पर आकृति बनाते समय और नारे लिखते समय यह ध्यान रखना होता था की कहीं से भी पुलिस न आ जाये, अक्सर इसका खतरा रहता था, इसी का असर हुआ की बाबा किसी भी आकृति को फौरन बना देते थे, बाबा फिलहाल प्रदर्शनी में बनने वाली आकृति खुद ही बनाते हैं, बहरहाल बाबा मौर्य खुद को बेहद सौभाग्यशाली मानते हुए कहते हैं की मैं उस वक़्त से ही सीधे अयोध्या मंदिर से जुड़ा रहा और कहता भी रहा की मंदिर तो वहीं है, अब भव्य और नव मंदिर का निर्माण होना है, मैं खुशनसीब हुं की इतनी पास से जुड़ने के बाद अब इसे फिर से देखूंगा , बाबा को उत्तर प्रदेश सरकार से राम मंदिर स्थल पर पुरानी तश्वीरो के साथ प्रदर्शनी लगाने का न्योता मिला भी मिला है।

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