मौत के बाद अग्नि भी नहीं हुई नसीब! श्मशान के लिए तरसा दलित का शव

Edited By Vikas kumar, Updated: 17 Aug, 2020 08:20 PM

even after death fire was not destined

आज़ादी की सालगिरह गुजरे एक दिन भी पूरा नहीं हुआ और आज़ाद भारत की शर्मशार करने वाली तस्वीर सामने आई है। दरअसल इंदौर जिले के महू तहसील के गांव बजरंगपुरा में शनिवार सुबह 8:30 ....

इंदौर (सचिन बहरानी): आज़ादी की सालगिरह गुजरे एक दिन भी पूरा नहीं हुआ और आज़ाद भारत की शर्मशार करने वाली तस्वीर सामने आई है। दरअसल इंदौर जिले के महू तहसील के गांव बजरंगपुरा में शनिवार सुबह 8:30 बजे लगभग 95 वर्ष वर्षीय नानूराम की अचानक मौत हो गई। लेकिन तेज बारिश के चलते नानूराम का अंतिम संस्कार समय पर ना हो सका।

PunjabKesari, Madhya Pradesh, Indore, Shamsan Ghat, Dalit family, Dalit village

आज़ाद भारत का सबसे शर्मसार करने वाला वाकया इंदौर से सामने आया है, मिडीया के जरिए सोई हुई सरकार को जगाने का प्रयास किया जा रहा है। आजादी के 73 साल बाद भी भारत के कई गांव ऐसे हैं, जहां दलितों को सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं मिल रहा। इंदौर के पास महू से सटा बजरंगपुरा गांव है। इस गांव में दलितों के लिए श्मशान घाट की व्यवस्था नहीं है। यही नहीं श्मशान घाट की भूमि के लिए 2 साल पहले ग्राम पंचायत में भी तीन लाख रुपये की मंजूरी सरकार द्वारा दे दी गई है। लगभग 1 साल पहले दलित समाज द्वारा बजरंगपुरा में रहने वाले दलित ग्रामीणों के द्वारा श्मशान भूमि के लिए आंदोलन किया गया था। जिसमें पूर्व कलेक्टर तथा पूर्व एसडीएम द्वारा 3 लाख रुपये की राशि भी आवंटित की गई थी, और उनके द्वारा आश्वस्त किया गया था कि 15 दिनों के भीतर आपके गांव में श्मशान तैयार हो जाएगा।आज उस वादे को भी 1 साल से अधिक समय हो गया। किंतु आज भी इस गांव में मृत दिवंगत लोग श्मशान को तरस रहे हैं। नानूराम चौहान का शव कल सुबह 8.30 से घर में ही पड़ा रहा क्योंकि जिले में लगातार बारिश हो रही थी। श्मशान की व्यवस्था नहीं होने के कारण ऐसा वर्षों से होता आ रहा है। यहां पर शव के दाह संस्कार की कोई व्यवस्था नहीं है, और इस गांव में शमशान की व्यवस्था ना होने का कारण एक यह भी है कि पूरा गांव दलितों का है यहां पर लगभग 100 से अधिक परिवार रहते हैं।

PunjabKesari, Madhya Pradesh, Indore, Shamsan Ghat, Dalit family, Dalit village

घटना बड़ी दुखद है, किंतु चिंतनीय है। इस निंदनीय घटनाक्रम से समाजजन मीडिया से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ से कोई आवाज़ ज़िम्मेदार तक पहुंचाई जाए। शायद अब सरकार से लगाई गई उम्मीद पूरी हो और निचले तबके के आमजन को अपना अधिकार मिले। मृतक के शव को परिजनों और ग्रामीणों ने नदी किनारे अंतिम क्रिया को अंजाम दिया पर नदी किनारे तक भारी बारिश के बीच कीचड़ से चलते हुए पहुंचा गया और फिर तेज़ बारिश के चलते शव को तिरपाल से ढंक कर टायर, पन्नी, प्लाटिक, मिटटी का तेल कपूर और अन्य ज्वलनशील चीजें डालकर नानूराम को मुखाग्नि दी गई। बजरंगपुरा में रहने वाले स्वर्गीय नानू राम चौहान के शव को लकड़ी के टायरों से तथा घासलेट से जलाया गया, और तिरपाल का सहारा लिया गया। लगातार बारिश के कारण मृतक नानूराम का शव घर में ही 48 घंटे तक पड़ा रहा और फिर नानूराम को अग्नि मिली भी तो सैकड़ों मुसीबतों और लाखों प्रयासों के बाद। हालांकि अब इस खबर के बाद देखना ये भी होगा की सरकार जो की सभी को समान होने का दावा करने की बात करती है, क्या उस सोई सरकार की नींद टूटती हे और समाज के इस वर्ग जिसे दलित कहा जाता है उनके लिए सजगता दिखाता है या फिर आंखे मूंदे बैठे रहते है।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!