Edited By Prashar, Updated: 09 Jul, 2018 02:16 PM
आए दिन स्कूली बसों के हो रहे हादसों से भी प्रशासन सबक नहीं ले रहा है। इसका परिणाम ये है कि स्कूल वाहनों में नियमों को ताक पर रखते हुए क्षमता से अधिक बच्चों को ढोया जा रहा है। जहां वाहनों की क्षमता 8 से 10 बच्चों को बैठाने की होती है उस वाहन में 15...
सागर : आए दिन स्कूली बसों के हो रहे हादसों से भी प्रशासन सबक नहीं ले रहा है। इसका परिणाम ये है कि स्कूल वाहनों में नियमों को ताक पर रखते हुए क्षमता से अधिक बच्चों को ढोया जा रहा है। जहां वाहनों की क्षमता 8 से 10 बच्चों को बैठाने की होती है उस वाहन में 15 से 20 बच्चों को भरा जाता है। इस तरह से बच्चों को वाहनों में बैठाकर स्कूल लाने ले जाने का काम चल रहा है।
प्रशासन का लापरवाही का आलम ये है कि अभी तक न तो पुलिस ने इन वाहनों की जांच की और न ही परिवहन विभाग के किसी अधिकारी ने रजिस्ट्रेशन, लाइसेंस और फिटनिस चेक किए हैं। साथ ही वाहनों में क्षमता से ज्यादा बच्चों को बैठाने पर कोई एतराज दर्ज कराया है। अभिभावकों की माने तो खस्ता हालत में पहुंच चुके वाहनों को भी स्कूल में लगाया गया है, जिनसे बच्चों को ढोया जा रहा है।
स्कूली वाहनों में ज्यादा से ज्यादा बच्चों को इसलिए भरा जाता है कि ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके। स्कूल प्रबंधन भी इस तरफ ध्यान नहीं देता है और बच्चे मुश्किल में सफर करते हैं।