Edited By Vikas kumar, Updated: 19 Oct, 2018 11:08 AM
देश में रोजगार की मारामारी इस कदर बढ़ रही है कि, लोग अपनी जाति बदल नौकरी पाने को तैयार हो रहे हैं। ऐसा मामला प्रदेश में पहली बार आया है, कि जब सरकारी नौकरी के लिए लोग अपनी...
भोपाल: प्रदेश में रोजगार की मारामारी इस कदर बढ़ रही है कि, लोग अपनी जाति बदल नौकरी पाने को तैयार हो रहे हैं। ऐसा मामला प्रदेश में पहली बार आया है, कि जब सरकारी नौकरी के लिए लोग अपनी जाति बदलने को तैयार हों। अब तक एक हजार से ज्यादा शिक्षकों द्वारा जाति बदलने के लिए एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के प्रमाण पत्र जमा करवाए गए हैं। लगातार ऐसे मामलों के सामने आने से जनजातीय कार्य विभाग में हड़ंकप मच गया है। वहीं विभाग ने चुनाव के चलते इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
जनजातीय कार्य विभाग 89 विकासखंडों में स्कूल संचालित करता है। मुख्यमंत्री शिवराज के ऐलान के बाद शिक्षक संवर्ग में नियुक्ति के आदेश जारी किए गए थे। वर्तमान में इन स्कूलों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन सरकार के द्वारा अब तक नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है, इससे पहले ही अध्यापक अपनी जाति बदल रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक नौकरी में आने के लिए आरक्षण का लाभ लेने अध्यापकों ने एससी, एसटी और पिक्षड़ा वर्ग के प्रमाण पत्र जमा किए थे। इस प्रक्रिया के दौरान एक हजार से ज्यादा अध्यापकों ने सामान्य वर्ग से होने के प्रमाण प्रस्तुत किए हैं। जबकि शिक्षाकर्मी और फिर अध्यापक संवर्ग में नियुक्ति के समय इन अध्यापकों ने खुद को एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग से बताया था। इस मामले में विभाग आयुक्त दीपाली रस्तोगी ने जिलों में डीडीओ को जांच के आदेश दिए हैं। आयुक्त ने जांच में गड़बड़ी सामने आने पर इससे संबंधित अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। ऐसे मामलों में अध्यापकों की शिक्षक संवर्ग में नियुक्ति रोकी जा सकती है। बता दें कि प्रदेश में 2 लाख 37 हजार अध्यापक हैं, जिनका मूल विभाग में संविलियन होना है। इसके कारण उनके तबादले की प्रक्रिया पर भी रोक लगी हुई है। फिलहाल इस सूचना के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।