Edited By Vikas kumar, Updated: 26 Apr, 2020 02:17 PM
वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में लॉकडाउन किया गया है। इसका असर अह रमजान पर भी पड़ता दिख रहा है। रमजान में रायसेन में एक परंपरा टूटने जा रही है। दरअसल, 200 साल के इतिहास...
रायसेन: वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में लॉकडाउन किया गया है। इसका असर अह रमजान पर भी पड़ता दिख रहा है। रमजान में रायसेन में एक परंपरा टूटने जा रही है। दरअसल, 200 साल के इतिहास में पहली बार रायसेन के ऐतिहासिक किले से तोप की गूंज सुनाई नहीं देगी। अर्थात हर साल की तरह इस साल रमजान में सुबह और शाम के समय किले से चलने वाली तोप लॉकडाउन के कारण नहीं चलेगी।
करीब 200 साल पहले रमजान में रायसेन सहित आसपास के 20 गांव के रोजेदारों को समय की सूचना देने के लिए ये परंपरा शुरू हुई थी। तोप के साथ-साथ सेहरई के लिए तैयारी करने नगाड़े बजाने का क्रम भी उसी दौर में शुरू हुआ था। कोरोना संक्रमण के कारण जारी लॉकडाउन में इस साल रमजान में सुबह सहरई और शाम को इफ्तार के समय रायसेन के किले से चलने वाली तोप की गूंज सुनाई नहीं देगी। रमजान में बीते 200 साल से ये परंपरा चली आ रही है। 200 साल में पहली बार ऐसा होगा, जब रमजान में तोप की गूंज सुनाई नहीं देगी। शहर मुस्लिम कमेटी अध्यक्ष बाबू भाई ने तोप नहीं चलाने का निर्णय लिया है। साथ ही बताया कि मज्जिद के अंदर 3 से 4 लोग नमाज अदा करेंगे। बाकी लोग अपने-अपने घर में नमाज पढ़ेंगे।
बता दें कि यह निर्णय प्रदेश में बढ़ते कोरोना के प्रकोप के चलते लिया गया है। प्रदेश में अब तक कुल 99 लोगों की मौत हो चुकी है वहीं संक्रमितों का आंकड़ा भी 2 हजार के पार पहुंच चुका है। यही कारण है कि इस बार रायसेन के किले से तोप की गूंज नहीं सुनाई देगी।