Edited By suman, Updated: 21 Oct, 2018 04:53 PM
राज्य में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग की हर कोशिश जोरों पर है। अलग-अलग तरीके से प्रचार प्रसार हो रहे हैं। कहीं शराब की बो
दतिया: राज्य में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग की हर कोशिश जोरों पर है। अलग-अलग तरीके से प्रचार प्रसार हो रहे हैं। कहीं शराब की बोतल मतदान की ब्रांड एंबेसटर बन रही है, तो कहीं सेल्फी बूथ बनाए जा रहे हैं। सरकार की मंशा भी मतदाताओं को अपने मत का प्रयोग करने में आ रही दिक्कतों को दूर करने की है। लेकिन इन सब बातों से बटकर मध्य प्रदेश के दतिया में। जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर बसा आदिवासियों का एक गांव कंचनपुर ऐसा गांव है, जिसके 150 से 200 आदिवासी लगभग 10 साल से अपने मताधिकार से वंचित हैं।
आदिवासियों का कहना है कि मोदी सरकार के आने के बाद उनका वोट नहीं डला है। आदिवासियों के परिवार वोट डालने से वंचित तो है ही, साथ ही इन्हें रहने और खाने के भी लाले पड़े हुए हैं। जो घर-मकान इनके पास हैं, उनमें लगे खिड़की- दरवाजे। यहां तक की चौखट भी गांव के दबंग उखाड़कर ले गए हैं। संत्री से लेकर मंत्रियों तक आदिवासियों ने इसकी लिखित शिकायत की, लेकिन किसी ने इनकी नहीं सुनी। यहीं नहीं अगर आदिवासी वोट डालने चले भी जाएं, तो उन्हें वोट डालने ही नहीं दिया जाता है। वोटर लिस्ट से उनका नाम ही काट दिया जाता है। ऐसे में करीब 10 साल इन लोगों ने वोट नहीं डाले है।