पिता की मृत्यु के बाद भाई बहन 10 साल से बन रहे बैल, सीएम शिवराज के शासन की पोल खोलती तस्वीर

Edited By meena, Updated: 17 Jun, 2021 04:04 PM

after the death of the father siblings are becoming bulls for 10 years

बैलों की जगह हल से जुते इंसानों की ये तस्वीरें पाषाण युग की नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले की है। जहां मामा शिवराज  सिंह चौहान के राज में भांजीया और  भांजे  बैल बनने पर मजबूर है। मामला सीहोर  के आष्टा  के नजदीक ग्राम...

सीहोर(रायसिंह मालवीय): बैलों की जगह हल से जुते इंसानों की ये तस्वीरें पाषाण युग की नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले की है। जहां मामा शिवराज  सिंह चौहान के राज में भांजीया और  भांजे  बैल बनने पर मजबूर है। मामला सीहोर  के आष्टा  के नजदीक ग्राम नानकपुर का है, जहां दो नाबालिग बहनें अपने 18 वर्षीय भाई के साथ अपने खेतों में जुताई कर रही हैं।

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भाई शैलेंद्र कुशवाहा और नाबालिग बहनों की मानें तो 10 वर्ष पहले 30 वर्ष की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया था। मां मजदूरी कर उन्हें पालती थी अब वह थोड़े बड़े हो गए हैं तो परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई है। इसलिए वह खेती कर अपना गुजर-बसर करते हैं। खेती के लिये बैल न होने के कारण 10 वर्षों से इसी तरह (भाई-बहन) बैल की जगह हल में जुतकर खेती करते हैं। इस तरह अब तक उन्हें काम करते हुए 11 साल गुजर चुके हैं। मां उर्मिला कुशवाह अब भी मजदूरी करने जाती है और खेतों में भी काम करती है। बहनों में नेहा 16 साल और नैनशी 15 साल की हैं तो भाई शैलेन्द्र कुशवाहा की उम्र 18 साल है।

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इनकी मानें तो इन्हें अब तक शासन-प्रशासन की एक भी योजना का लाभ नहीं मिला है और ना ही मिल रहा है। मकान भी कच्चा है, हमारी 4 एकड़ खेती की जमीन है जिसमें सोयाबीन की बोबनी करना है। बैल खरीदने के पैसे नहीं है, इसलिए हम तीनों भाई-बहन खेत में सब्जी लगाने को खेत तैयार करने में जुट गए हैं।

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मजबूर भाई का कहना है कि काश कि हमारी मदद हो सके जिससे कि हम बैल खरीदकर खेती कर सकें। इसमें मेहनत बहुत है। बहनों को पढ़ना भी पड़ता है खेतों में काम करते थक जाते हैं पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पाती। हम 10 वीं तक पढ़े हैं बहनें पढ़ रहीं हैं और आगे भी पढ़ना चाहतीं हैं। हम चाहते हैं कि शासन- प्रशासन- सरकार- हमारी मदद करे ताकि हम बैल खरीदकर खेती करें ताकि अपनी बहनों से ये काम न कराएं। वे पढ़ना चाहतीं हैं उन्हें शिक्षा मिल सके ताकि उनकी ज़िंदगी संवर जाये।

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