MP अजब है: 420 का केस दर्ज होने के बाद भी मिली जिला शिक्षा अधिकारी की पोस्ट

Edited By meena, Updated: 21 Dec, 2020 07:41 PM

district 420 officer post found even after 420 case was registered

एजुकेशन हब इंदौर में जिला शिक्षा अधिकारी की नियुक्ति सुर्खियों में बनी हुई है। बड़ी बात यह कि शिक्षा अधिकारी जैसे बड़े पद पर बने इस शख्स के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। इंदौर में जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर सुशोभित अक्षय सिंह की पोस्टिंग कर दी...

इंदौर(सचिन बहरानी): एजुकेशन हब इंदौर में जिला शिक्षा अधिकारी की नियुक्ति सुर्खियों में बनी हुई है। बड़ी बात यह कि शिक्षा अधिकारी जैसे बड़े पद पर बने इस शख्स के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज है। इंदौर में जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर सुशोभित अक्षय सिंह की पोस्टिंग कर दी गई जिसके खिलाफ़ धोखाधड़ी का आपराधिक मामला राजेन्द्र नगर थाने में दर्ज है। अपराध दर्ज होने के बाद से अभी तक इस अधिकारी की गिरफ्तारी भी पुलिस नहीं कर पाई है और यह अधिकारी बड़े आराम से सरकारी तनख्वाह पर रोटियां सेक रहा है।

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जानकारी के मुताबिक, जिला शिक्षा अधिकारी अक्षय सिंह राठौर पर आरोप है कि जब उनके पास कुछ समय के लिए प्रभार था तो उन्होंने 9 स्कूलों को गलत ढंग से मान्यता दी थी, जिसमें से 8 स्कूलों के मामले में प्रकरण दर्ज है, जिसमें अक्षय सिंह के हस्ताक्षर पाए गए थे हालांकि अक्षय सिंह ने कुछ दिनों पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी का पद संभाल लिया है और वे खुद को निर्दोष बता रहे हैं। अक्षय सिंह फिलहाल अग्रिम जमानत पर है।

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जिला शिक्षा अधिकारी पर दर्ज हुए ममले को लेकर राजेन्द्र नगर थाना प्रभारी अमृता सिंह सोलंकी ने बताया साल  2019 में 9 स्कूलों को गलत ढंग से मान्यता देने के मामले में तत्कालीन प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी और उनके बाबू पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था। मामला 2 साल पुराना वर्ष 2018 का है, तब 9 स्कूलों को गलत ढंग से मान्यता दी गई थी जिनमें 8 स्कूलों की मान्यता में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी यानी अक्षय सिंह के हस्ताक्षर पाए गए थे। इस मामले में वर्ष 2018 में अक्षय और उनके सहयोगी बाबू के खिलाफ राजेन्द्र नगर पुलिस ने धोखाधड़ी का केस दर्ज कर उनके बाबू धीरेंद्र परिहार को गिरफ़्तार किया था, फिलहाल अक्षय सिंह की गिरफ्तारी नहीं की गई है।

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वही इस मामले को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी अक्षय सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि उनके सहयोगी धीरेंद्र सिंह परिहार ने उनके डोंगल का उपयोग कर मान्यताएं दी थी और यह मामला हाईकोर्ट में भी गया था जिसमें परिहार ने स्वीकार भी किया कि उन्होंने मेरे डोंगल का गलत इस्तेमाल किया था। इस मामले में शासन को भी जानकारी भेजी गई थी जिसके बाद धीरेंद्र सिंह परिहार को बर्खास्त भी कर दिया गया था।

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