कमलनाथ बोले- पूरा प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर कंन्फ्यूज, सरकार जल्द स्पष्ट करे पूरी स्थिति

Edited By meena, Updated: 22 Dec, 2021 01:25 PM

kamal nath s statement regarding obc reservation

ओबीसी आरक्षण को लेकर विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान शिवराज सरकार और विपक्ष आमने सामने आ गए हैं। अब नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने सरकार पर बरसते हुए सवाल खड़े किए हैं। वहीं सरकार को पंचायत चुनाव पर स्थिति स्पष्ट करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हम...

भोपाल(इजहार हसन खान): ओबीसी आरक्षण को लेकर विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान शिवराज सरकार और विपक्ष आमने सामने आ गए हैं। अब नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने सरकार पर बरसते हुए सवाल खड़े किए हैं। वहीं सरकार को पंचायत चुनाव पर स्थिति स्पष्ट करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हम कोर्ट जाने को तैयार है सरकार भी कोर्ट चले ताकि ओबीसी आरक्षण पर सही फैसला आ सके।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सदन के नेता और मुख्यमंत्री से निवेदन करता हूं कि आरोप-प्रत्यारोप की जगह अगर हम ओबीसी के हितैषी हैं और हमारी आत्मा की आवाज़ है तो हम उपाय ढूंढें। कोर्ट के आदेश का बहाना बनाने की बजाय हम सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करें और वापस कोर्ट चलें। पूरा प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर असमंजस में है इस पर भी स्थिति स्पष्ट करें।

कमलनाथ ने आगे कहा कि परिसीमन, आरक्षण और रोटेशन का मेन मुद्दा था। पता नहीं क्यों प्रदेश की सरकार इससे भाग रही थी। जब आयोग का अधिवक्ता मौजूद था तो सरकार क्यों चुप बैठी रही। अगर कोर्ट ने गलत समझा अथवा गलत फैसला दिया तो कोर्ट में जाना चाहिए था।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश की बीजेपी सरकार पंचायत चुनाव की पूरे प्रदेश को जानकारी दे। पूरा प्रदेश पंचायत चुनाव के बारे में जानना चाहता है। अभी तक पिछड़े वर्ग का कुछ नहीं हुआ। सीएम शिवराज सिंह चौहान मुस्कुरा के झूठ बोल देते हैं। किसी को कोर्ट में जाना है तो वो सरकार को जाना है।
नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि हमने रोटेशन और परिसीमन की कार्रवाई की क्योंकि हमारी मंशा पंचायत राज को मज़बूत करने की थी। पिछले डेढ़ साल में आपने सरकार बचाने के लिये 28 उपचुनाव कराये पर पंचायत चुनाव नहीं कराए। अगर रोटेशन ग़लत था तो आप नया कर सकते थे, आपके पास डेढ़ साल थे। ओबीसी आरक्षण महत्वपूर्ण विषय है। मैं सरकार की नीति और नीयत पर नहीं, उपाय पर बात करना चाहता हूं। अगर कोर्ट का फैसला गलत था तो आप अगले दिन वापस कोर्ट जा सकते थे। आपके वकील आरक्षण के समापन को अस्वीकार कर सकते थे। पर सब चुप रहे, सहमत हो गये। क्या आपको कोर्ट का यह ग़लत आदेश स्वीकार है ?

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