Edited By Prashar, Updated: 28 Aug, 2018 04:44 PM
वक्त की फितरत है पलट जाना और कई बार यह ऐसा पलटता है कि इंसान को अर्श से फर्श पर ला पटकता है। राजनीति के सफर में हर कोई ऊंची उड़ान भरने का सपना देखता है, लेकिन समय अगर साथ न दे तो गुमनामी के अंधकार में खो जाता है। ऐसा ही एक उदहारण सामने आया है शिवपुरी...
शिवपुरी: वक्त की फितरत है पलट जाना और कई बार यह ऐसा पलटता है कि इंसान को अर्श से फर्श पर ला पटकता है। राजनीति के सफर में हर कोई ऊंची उड़ान भरने का सपना देखता है, लेकिन समय अगर साथ न दे तो गुमनामी के अंधकार में खो जाता है। ऐसा ही एक उदहारण सामने आया है शिवपुरी जिले से, जहां एक महिला जो कभी लाल बत्ती लगी गाड़ी में घूमा करती थी और अफसर जिसे सलाम ठोकते थे, आज वो गुमनामी के अंधकार में खो गई है और बकरियां चराकर अपना गुजारा कर रही है।
कभी घूमती थी लालबत्ती वाली गाड़ी में
कभी राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त जूली एक समय में लाल बत्ती वाली गाड़ी में घूमती थी। अफसर उन्हें सलाम ठोकते थे लेकिन ये वक्त बड़ा बलवान है साहब, आज उसी वक्त ने एक राज्यमंत्री को दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर कर दिया। यहीं नहीं वक्त की मार और भ्रष्टाचार के चलते जूली आज एक टपरी में रहने को मजबूर है।
ऐसे बदली थी किस्मत
जूली आदिवासी की किस्मत तब बदली थी जब कोलारस के पूर्व विधायक रामसिंह यादव के यहां वो मजदूरी करती थी और उन्होंने जूली को साल 2005 जिला पंचायत सदस्य बनाया था, इसके बाद में शिवपुरी के पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने उसे जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचाया। पांच साल तक महिला को राज्य मंत्री का दर्जा मिला और अफसर उन्हें सलाम ठोकने लगे, तब लालबत्ती में उनका आना जाना शुरू हो गया। लेकिन समय ने झटका दिया और आज वही लालबत्ती में सफर करने वाली महिला पेट पालने के लिए बकरियां चरा रही है।
सरकारी जमीन पर झोपड़ी बनाकर रह रही जूली
जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर रही जूली जब पद से हटीं तो इसके बाद किसी ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया। जिसके चलते वो आड गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं। जूली को इंदिरा आवास योजना के तहत कुटीर तो स्वीकृत हुई, लेकिन वो भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। जूली पेट पालने के लिए बकरियां चरा रही है। सरकारी दस्तावेजों में तो उसे इंदिरा गांधी आवास योजना का लाभ मिल चुका है, लेकिन परंतु जमीनी हकीकत यह है कि वह सरकारी जमीन झोंपड़ी बनाकर रह रही हैं , जिसकी हालत बद से बद्दतर है।
बकरी चराकर कर रही गुजर बसर
जूली आदिवासी ने बताया कि उसे एक बकरी चराने के 50 रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। वह इस समय 50 बकरियों को चरा कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हैं। जब बकरियां नहीं होती तब वह मजदूरी करने के लिए खेत पर चली जाती हैं और खेतों पर मजदूरी नहीं मिलती तो गुजरात जाकर मजदूरी करती है।
क्या कहना है जूली को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने वाले पूर्व विधायक का ?
जूली आदिवासी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने वाले पूर्व विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने कथित तौर पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो हालत आज जूली की है उसके जिम्मेदार पूर्व विधायक रामसिंह यादव और उनके बेटे जो की वर्तमान विधायक हैं, वो जिम्मेदार हैं। पूर्व विधायक राम सिंह यादव ने जूली आदिवासी का जिला पंचायत अध्यक्ष रहने के दौरान साढ़े चार साल शोषण किया और बाद में उसे कभी नहीं पूछा, जिस वजह से जूली आदिवासी आज दर-दर की ठोकरें खा रही हैं। वीरेंद्र रघुवंशी ने जब जूली आदिवासी को अध्यक्ष बनाया था, तब वह कांग्रेस पार्टी के नेता थे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बहुत करीबी माने जाते थे, लेकिन अब उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया है।
कांग्रेस ने MP सरकार पर बोला हमला
वहीं, जिला कांग्रेस प्रवक्ता राकेश जैन ने इस पूरे मामले का जिम्मेदार मध्यप्रदेश सरकार को बताया। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त होता है, उनकी आज इतनी दयनीय हालत है और इंदिरा आवास कुटीर की किश्त भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई, जो कि मध्यप्रदेश शासन को दोषी ठहरा रही है।