1400 साल पहले यतियों द्वारा उड़ाकर लाया गया था ये कुबेर मंदिर, आज तक गायब है इसकी नींव

Edited By meena, Updated: 13 Nov, 2020 04:45 PM

this kubera temple was blown up by the yetis 1400 years ago

दीपावली का पर्व माता लक्ष्मी की आराधना के लिए  खास माना जाता है। हर कोई माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए जत्न करता है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने से पहले उनके कोष की रक्षा करने वाले भगवान कुबेर को खुश करना जरूरी होता है। इसलिए धनतेरस के दिन...

मंदसौर(प्रीत शर्मा): दीपावली का पर्व माता लक्ष्मी की आराधना के लिए  खास माना जाता है। हर कोई माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए जत्न करता है। माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने से पहले उनके कोष की रक्षा करने वाले भगवान कुबेर को खुश करना जरूरी होता है। इसलिए धनतेरस के दिन भगवान कुबेर की पूजा होती है। आमतौर पर कुबेर मंदिर कम ही मिलते है। लेकिन मध्यप्रदेश के मन्दसौर में मौजूद एक कुबेर मंदिर अतिप्राचीन है और मंदिर की कई खूबियां इसे खास बनाती है। आइए मंदिर की विशेषताओं से आपको रूबरू करवाते है।

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मन्दसौर शहर से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर खिलचिपुरा में स्थित भगवान कुबेर का यह अतिप्राचीन मंदिर, देखने में छोटा किन्तु मान्यताओं और विशेषताओं में बहुत बड़ा माना जाता है। जानकारों के अनुसार यह मंदिर यहां यतियों द्वारा उड़ाकर लाया गया था। एक वक्त था जब तंत्र क्रिया करने वाले यतियों को कई तरह की शक्तियां प्राप्त थी। यही कारण है कि आज भी इस मंदिर की नींव ही नहीं मिल पाई है। करीब 1400 वर्षों पुराने कुबेर मंदिर को सामने से देखने पर वह तिरछा ही नज़र आता है। मंदिर की खासियत यह है कि इसकी बनावट के कारण श्रद्धालुओं को गर्भगृह में सिर झुकाकर ही प्रवेश करना पड़ता हैं।

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आमतौर पर जहां भी कुबेर मंदिर है वहां शायद ही भगवान शिव और भगवान गणेश मौजूद हो। किन्तु इस मंदिर में भगवान शिव का भव्य शिवलिंग और ऋद्धि- सिद्धि के देवता गणेश भी मौजूद है। साथ ही उनके पास दीवाल पर भगवान कुबेर की ओजस्वी प्रतिमा विराजित है। भगवान शिव और विघ्नहर्ता गणेश के साथ धन के देवता कुबेर के विराजित होने से यह संयोग तंत्र क्रियाओं के लिए विशेष माना जाता है। बताया जाता है कि पूर्व में इस मंदिर से कई विद्वान पंडित सिद्धियां प्राप्त कर चुके है। धन की प्राप्ति के लिए धनतेरस पर यहां भक्त अपनी मनोकामना लेकर कुबेर के दर पर पहुंचते हैं। धनतेरस पर ही इस मंदिर पर भक्तों का तांता लगता है और विशेष पूजा- पाठ और हवन होते है। साथ ही यहां पहुंचने वाले भक्त भगवान कुबेर से आर्थिक समृद्धि की कामना करते है। 

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मन्दसौर में मौजूद इस कुबेर मंदिर पर धनतेरस पर ही विशेष आयोजन होते है और भक्तों की भीड़ भी इसी दिन देखने को मिलती है। किंतु इस वर्ष कोरोना के चलते श्रद्धालुओ में कमी आई है। फिर भी मंदिर के व्यवस्थापक द्वारा जानकारी दी गई है कि सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही भक्तों को दर्शन करवाये जा रहे है। और कोरोना के कारण गर्भगृह में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। 

 

 

 

 

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