Edited By Vikas Tiwari, Updated: 06 May, 2021 03:21 PM
मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के गंजबासौदा शहर में एसडीएम राजेश मेहता ने आला अधिकारियों के साथ सड़क किनारे मटके बेच रहे बच्चों पर कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन का हवाला देते हुए कार्रवाई कर दी, और बच्चों के दर्जनों मटके नगर पालिका की गाड़ी बुला कर जब्त कर...
विदिशा (अभिनव चतुर्वेदी): मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के गंजबासौदा शहर में एसडीएम राजेश मेहता ने आला अधिकारियों के साथ सड़क किनारे मटके बेच रहे बच्चों पर कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन का हवाला देते हुए कार्रवाई कर दी, और बच्चों के दर्जनों मटके नगर पालिका की गाड़ी बुला कर जब्त कर लिए। बच्चों ने प्रशासन के आला अधिकारियों से हाथ जोड़कर निवेदन किया। लेकिन साहब दुकान यहां लगाने पर बच्चों पर बरसते रहे, रोते बिलखते बच्चों ने कहा कि हम किसी प्रकार की भीड़ लगाकर मटके नहीं बेच रहे थे, फिर भी प्रशासन ने हमारे मटके जब्त कर लिए।
तस्वीरों में आप देख रहे हैं कि नगर पालिका के कर्मचारी दर्जनों मटके नगर पालिका की गाड़ी में भर कर ले जा रहे हैं। तस्वीरें देखकर तो शुरूआत में ऐसा लगा जैसे कि गर्मी को देखते हुए नगरपालिका शहर में प्याऊ की व्यवस्था करेगी। इसलिए शायद दर्जनों की तादाद में मटके भरकर ले जा रहे हैं। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। दरअसल दर्जनों मटके एसडीएम साहब के आदेश पर गरीब बच्चों से से जब्त किए हैं। उनका गुनाह यह था कि वह सड़क के किनारे मिट्टी से बने मटके बेच रहे हैं। यह कोरोनावायरस का उल्लंघन है। लेकिन गरीब बच्चों की माने तो उनकी यह बेचना मजबूरी थी। पूरे साल धंधे चौपट रहे गर्मी के सीजन में थोड़ी बहुत खरीददारी होती थी। इसलिए इस बच्चे ने ब्याज से पैसे लेकर मटके बनवाए और जय स्तंभ चौक पर मटके बेचने आ गये। लेकिन साहब को बच्चे पर तरस नहीं आया और पुलिस और नगर पालिका के साथ साहब ने गरीब बच्चों के मटके नगर पालिका की लोडिंग गाड़ी बुला कर भरवा दिए। बच्चा रोता रहा अपना दर्द बताता रहा, माफी मांगता रहा, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने जरा सी भी नहीं सोची, और सारे मटके भरकर ले गए। वहीं बच्चे पर चालानी कार्रवाई करने की भी बात कही।
वहीं बच्चे का कहना था कि मेरे घर में मां खत्म हो गई है। पैसे नहीं है, हमारी मजबूरी है कि हम कुछ बेच कर घर का गुजारा कर सकें। हमारी दुकान पर ज्यादा भीड़ भी नहीं थी। हम शासन की गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं। दिन में एक या दो ही मटके बिकते हैं। जैसे-तैसे घर का गुजारा चल जाता है। लेकिन साहब ने हमारे साथ अन्याय कर दिया।