सोम डिस्टलरीज का अवैध कारोबार.. विधानसभा में मंत्री देवड़ा ने भी स्वीकारा, फिर क्यों नही हुई कार्यवाई? आबकारी मंत्री की नीयत पर उठ रहे सवाल?

Edited By Vikas Tiwari, Updated: 10 Jun, 2024 06:09 PM

devda also accepted the illegal business of som distilleries in the assembly

प्रदेश के सबसे बड़े शराब माफिया सोम डिस्टलरीज एन्ड बेवरेज लिमिटेड के रसूख का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है, की सोम के संचालक बिना सरकार की परमिशन लिए खुलेआम कहीं भी कोई भी निर्माण कर लेते हैं और आबकारी विभाग के अधिकारी चाह कर भी कोई कठोर...

भोपाल (विनीत पाठक): प्रदेश के सबसे बड़े शराब माफिया सोम डिस्टलरीज एन्ड बेवरेज लिमिटेड के रसूख का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है, की सोम के संचालक बिना सरकार की परमिशन लिए खुलेआम कहीं भी कोई भी निर्माण कर लेते हैं और आबकारी विभाग के अधिकारी चाह कर भी कोई कठोर कार्रवाई नहीं कर पाते। इसका सबसे बड़ा कारण है कि सोम डिस्टलरीज के सम्बंध सभी राजनैतिक दलों के नेताओं से हैं। इतना ही नही पंजाब केसरी की पड़ताल में जो चौकानें वाले तथ्य सामने आये हैं उसके मुताबिक कांग्रेस बीजेपी के सभी बड़े नेताओं को सोम डिस्टलरीज के संचालक जगदीश अरोरा करोड़ों रुपये चंदे के तौर पर देते हैं। जिसके चलते सरकार हो या विपक्ष सभी नेता सोम डिस्टलरीज की मनमानी पर चुप्पी साध लेते हैं।

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सोम डिस्टलरीज ने रायसेन में बनाये स्प्रिट के 20 अवैध टैंकर, आबकारी मंत्री ने विधानसभा माना टैंकर अवैध, लेकिन नहीं होने दी कोई भी कार्यवाई...  

पंजाब केसरी की पड़ताल में सामने आया कि साल 2014 में सोम डिस्टलरीज के संचालकों ने रायसेन गैरतगंज में अपनी शराब फेक्ट्री में वेस्ट मटेरियल के निष्पादन के नाम पर बगैर परमिशन स्प्रिट के 20 अवैध टैंकर बना लिए थे। जिसमें सोम डिस्टलरीज अवैध स्प्रिट का भंडारण करने लगी। ये स्प्रिट प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बनने वाली अवैध देशी शराब के लिए स्मगल की जाती थी। जब इस बात की जानकारी आबकारी विभाग को लगी तो सोम डिस्टलरीज पर कार्यवाई की गई। पहले एक साल तक फेक्ट्री को सील भी रखा गया। लेकिन फिर बड़े लेनदेन के बाद महज़ 2 लाख रुपये का मामूली जुर्माना लगाकर फेक्ट्री को फिर से चालू करा दिया गया। 24 फरवरी 2021 को ये मामला मध्यप्रदेश विधानसभा में भी गूंजा। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने ये मामला विधानसभा में उठाया था। उस वक्त भी मध्यप्रदेश सरकार के आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा ने सोम डिस्टलरीज को बचाने की पूरी कोशिश की। आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में ये तो माना कि सोम डिस्टलरीज ने 20 अवैध टैंकरों का निर्माण किया है, और इसमें अवैध स्प्रिट का भंडारण हो रहा है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर देवड़ा ने सिर्फ झूठा आश्वासन देकर म प्र विधानसभा को भी गुमराह किया। इस मामले में कठोर कार्यवाई के नाम पर आबकारी मंत्री खानापूर्ति करके सोम डिस्टलरीज को साफ साफ बचा ले गए। साथ ही कार्रवाई की मंशा रखने वाले अधिकारियों पर गाज गिरी सो अलग।

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अवैध टैंक निर्माण मामले में सोम डिस्टलरीज को बचाने में ये हैं दोषी अधिकारी ...
सोम डिस्टलरीज के संचालक जगदीश अरोरा ने अपने रायसेन वाले शराब प्लांट में बिना अनुमति 20 अवैध स्प्रिट टैंकों का निर्माण किया है। इस बात की जानकारी जैसे ही तत्कालीन आबकारी कमिश्नर राकेश श्रीवास्तव को लगी। उन्हींने सोम डिस्टलरीज को नोटिस जारी कर निरीक्षण भी करवाया, लेकिन सोम प्रबंधन ने निरीक्षण दल को ही प्लांट के अंदर ही नहीं घुसने दिया। जिसके बाद राकेश श्रीवास्तव ने सोम डिस्टलरीज पर महज़ 2 लाख का जुर्माना लगाकर लायसेंस रिन्यू कर दिया। इसमें भी बड़े भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है। राकेश श्रीवास्तव का कार्यकाल खत्म होने के बाद साल 2018 में जब राजीव दुबे आबकारी कमिश्नर बने तो उन्होंने इस मामले को फिर से उठाया। अवैध टैंकों का मामला हाईकोर्ट में भी पहुंचा। जिसके बाद एक जांच दल बनाकर सोम डिस्टलरीज के अवैध टैंकरों की जांच कराई गई। और अभी आरोप सही भी पाए गए। लेकिन उसके भारी भ्रष्टाचार कर फिर से महज़ 50 हज़ार रुपये प्रति टैंक जुर्माना लगाकर सोम डिस्टलरीज का लाइसेंस एक बार फिर रिन्यू कर दिया गया। इस मामले में तत्कालीन आबकारी डिप्टी कमिश्नर वीरेंद्र सक्सेना को भी दोषी पाया गया था। लेकिन करोड़ों का भ्रष्टाचार कर सोम डिस्टलरीज को बचाने वाले इन दोषी अधिकारियों पर कार्यवाई करने के बजाए उन्हें कमाई वाली पोस्टिंग दे दी गई। वीरेंद्र सक्सेना वर्तमान में आबकारी विभाग के राज्य उड़नदस्ते के प्रभारी बने बैठे हैं। आबकारी विभाग के सूत्रों के मुताबिक सोम डिस्टलरीज को बचाने के लिए ऊपर तक करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ। जिसमें आबकारी विभाग की तत्कालीन प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी और तो और आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा को भी इसका हिस्सा पहुंचने की सूचना है, जो की करोड़ो में है।

पंजाब केसरी की खबर से मचा हड़कंप, पक्ष- विपक्ष के नेताओं ने साधी चुप्पी...
सोम डिस्टलरीज के अवैध कारनामों पर पंजाब केसरी की खबरों से प्रशासनिक स्तर पर हड़कम्प मचा हुआ है। पंजाब केसरी के खुलासों के बाद सत्ताधारी दल के साथ साथ हर छोटे बड़े मामले में सरकार को घेरने की कोशिश करने वाले कांग्रेस के ज्यादातर नेता भी इस मामले में कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। उसका बड़ा कारण ये है कि या तो ये नेता या इनके परिवार के लोग खुद शराब कारोबारी हैं या किसी न किसी सूरत में सोम डिस्टलरीज के संचालकों से मोटी रकम लेते रहे हैं। जिसके चलते अब इन नेताओं की भी हवाइयां उड़ी हुई हैं। उधर इस मामले में मोहन सरकार की चुप्पी से ये तो साफ है कि की इस बार दाल में काला नही बल्कि सोम डिस्टलरीज की पूरी की पूरी दाल ही काली है। 

 

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