प्रदेश का बचपन बर्बाद कर रहा शराब माफिया सोम डिस्टलरीज, नाबालिग बच्चों से बनवा रहा शराब!

Edited By Himansh sharma, Updated: 15 Jun, 2024 09:26 PM

children found working in liquor factory

मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शराब माफिया सोम डिस्टलरीज अपने राजनीतिक रसूख के चलते कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है।

भोपाल/रायसेन। (विनीत पाठक) मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा शराब माफिया सोम डिस्टलरीज अपने राजनीतिक रसूख के चलते कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है। ताजा मामला सोम ग्रुप की रायसेन स्थित शराब फैक्ट्री का है ,जहां राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने छापा मार कार्रवाई की। छापे के दौरान 58 से ज्यादा नाबालिक बच्चे सोम फैक्ट्री में शराब बनाते पाए गए। अब सवाल यह है कि आखिर क्यों मध्य प्रदेश की सरकार सोम डिस्टलरीज के मामले में धृतराष्ट्र बन जाती है। साफ है की अधिकारियों से लेकर नेताओं तक सभी सोम के सोमरस में डूबे हुए हैं। जिसके चलते कोई भी सोम के खिलाफ बोलने तक को तैयार नहीं है।

PunjabKesariपंजाब केसरी की खबर के बाद बाल संरक्षण आयोग ने मारा सोम की शराब फैक्ट्री पर छापा। शराब बनाते मिले सैकड़ो नाबालिग, 20 के करीब बच्चियां भी मौके पर मिली।

मध्य भारत के सबसे बड़े शराब माफिया सोम डिस्टलरीज के खिलाफ पंजाब केसरी लगातार खबर छाप रहा है। जिसके बाद राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग समेत ED जैसी जांच एजेंसी भी हरकत में आई है। शनिवार को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की टीम सोम डिस्टलरीज के रायसेन स्थित शराब प्लांट पर छापेमार कार्रवाई की जहां पर सैकड़ो नाबालिक बच्चे शराब बनाते हुए पाए गए। इन बच्चों में 20 नाबालिग बच्चियां भी शामिल हैं जानकारी के मुताबिक जिन खतरनाक केमिकल से शराब बनाई जाती है। उनके संपर्क में आने के कारण इन मासूम बच्चों के हाथ तक गल चुके हैं, साथ ही इन बच्चों में और भी कई जानलेवा बीमारियों की चपेट में होने की आशंका जताई जा रही है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के मुताबिक इन मासूम बच्चों से 15 से 16 घंटे शराब फैक्ट्री में काम कराया जा रहा था।

PunjabKesariस्कूल बस से शराब फैक्ट्री लाया जाता था मासूम बच्चों को, महज़ 200 रूपये दिहाड़ी पर कराया जाता है 15 से 16 घण्टे काम।

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के छापे में कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। पंजाब केसरी को मिली जानकारी के मुताबिक शराब फैक्ट्री में काम कराने के लिए मासूम बच्चों को स्कूल बसों के जरिये फेक्ट्री लाया जाता था। वहीं महज़ 200 रूपये दिहाड़ी पर मासूम बच्चों से 15 से 16 घंटों तक काम कराया जाता है। वहीं वयस्क मजदूरों को 500 रुपये दिहाड़ी पर काम कराया जाता है। दिहाड़ी बचाने की नीयत से ही वयस्क मजदूरों की जगह मासूम बच्चों से काम कराया जा रहा था। सोम की शराब फैक्ट्री पर छापा मारने वाली टीम के मुताबिक पूरी फैक्ट्री में खतरनाक केमिकल की इतनी तेज दुर्गंध है कि आम लोगों का भी महज़ 10 मिनट फैक्ट्री में खड़े रहना मुश्किल है। ऐसे खतरनाक माहौल में इन मासूम बच्चों को 15 से 16 घण्टे काम करने को मंजूर किया जाता था। 

PunjabKesariसोम डिस्टलरीज की शराब फैक्ट्री में ही है आबकारी अधिकारी का कार्यालय, फिर भी नही लगी सरकार को खबर।

मध्य प्रदेश आबकारी अधिनियम के मुताबिक हर शराब फैक्ट्री में आबकारी विभाग के अधिकारियों को तैनात किया जाता है। सोम डिस्टलरीज की रायसेन स्थित शराब फैक्ट्री में भी आबकारी अधिकारी तैनात थे। लेकिन आबकारी अधिकारियों की मिली भगत के चलते लंबे अरसे से मासूम बच्चों से फैक्ट्री में शराब बनवाई जा रही थी और इसकी खबर ना तो प्रशासन को लगी और ना ही फैक्ट्री से महज कुछ किलोमीटर दूर स्थित प्रदेश सरकार के जिम्मेदारों को, इस पूरे मामले में रायसेन जिले मेंटेनेंस आबकारी विभाग की असिस्टेंट कमिश्नर वंदना पांडे की मिलीभगत भी साफ तौर पर उजागर हुई है।

PunjabKesariमप्र सरकार की लाडली लक्ष्मी सोम डिस्टलरीज की शराब फैक्ट्री पर कर रही बंधुआ मजदूरी, आखिर कब जागेगी (मौन) सरकार...?

एक तरफ मध्य प्रदेश सरकार की लाड़ली लक्ष्मी योजना पूरे देश में प्रसिद्ध है प्रदेश सरकार लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत कई बड़े-बड़े दावे भी करती है लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार के संरक्षण में चल रहा सोम का काला कारोबार प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना पर भी बाता लगता दिखाई दे रहा है राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की छपी मार करवाई में सोम की शराब फैक्ट्री में करीब 20 (लाडली लक्ष्मी) मासूम बच्चियों भी शराब बनाती हुई पाई गई। इन इन बच्चियों से सोम की शराब फैक्ट्री में पिछले कई सालों से बंधुआ मजदूरी कराई जा रही थी। सरकार की बड़ी-बड़ी महत्वाकांक्षी योजनाएं जिन पर की सरकार कर्ज लेकर करोड़ों रुपए खर्च करती है, जमीनी स्तर पर उनका आखिर क्या हश्र होता है ,यह राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के छापे के बाद साफ हो गया है। दूसरी तरफ पंजाब केसरी लगातार सोम डिस्टलरीज के काले कारनामों को उजागर कर रहा है। बावजूद इसके सरकार के मुखिया से लेकर आबकारी विभाग के जिम्मेदार मंत्री जगदीश देवड़ा तक मूक दर्शक बने बैठे हैं। यह तो साफ है की शराब माफिया सोम डिस्टलरीज का काला कारोबार सरकार के संरक्षण में ही फल फूल रहा है। लेकिन इसके चलते देशभर में मध्य प्रदेश की छवि पर जो बट्टा लग रहा है ,आखिर सरकार उससे कैसे निपटेगी ...? और सोम डिस्टलरीज पर प्रदेश सरकार कड़ी कार्रवाई कब तक नहीं करेगी यह भी बड़ा सवाल है...!

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