सोम डिस्टलरीज को बचाने आबकारी विभाग ने खेला नया पैंतरा ! क्या मुख्यमंत्री से बड़े हो गए आबकारी कमिश्नर..! आबकारी मंत्री की चुप्पी भी सवालों के घेरे में

Edited By meena, Updated: 17 Jun, 2024 12:49 PM

excise department plays a new trick to save som distilleries

शनिवार को शराब माफिया सोम डिस्टलरीज की शराब फैक्ट्री में काम करते पकड़े गए नाबालिग बच्चों के मामले में आबकारी विभाग पूरी तरह से शराब माफिया...

भोपाल (विनीत पाठक) : शनिवार को शराब माफिया सोम डिस्टलरीज की शराब फैक्ट्री में काम करते पकड़े गए नाबालिग बच्चों के मामले में आबकारी विभाग पूरी तरह से शराब माफिया सोम डिस्टलरीज के संचालक जगदीश अरोरा को बचाने में लगा हुआ है। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने तत्काल सख्त कार्यवाई के निर्देश दिए थे। लेकिन आबकारी कमिश्नर अभिजीत अग्रवाल ने मुख्यमंत्री के निर्देशों को दरकिनार करते हुए जो शोकॉज नोटिस जिला कलेक्टर को जारी किया है। उससे साफ पता चलता है कि आबकारी कमिश्नर सोम डिस्टलरीज को बचने का पूरा पूरा समय और मौका दे रहे हैं। पंजाब केसरी के पास आबकारी कमिश्नर का जारी किया हुआ वो शो कॉज नोटिस मौजूद है, जिसमें आबकारी कमिश्नर ने रायसेन जिला कलेक्टर को तीन दिनों में जांच कर सोम डिस्टलरीज से जवाब तलब कर, शराब फैक्ट्री को सीज करने के निर्देश दिए हैं। नोटिस पढ़कर ये समझना बिल्कुल मुश्किल नहीं है कि आबकारी कमिश्नर ने सोम डिस्टलरीज को बचने के लिए तीन दिनों का समय तो दे ही दिया है। दूसरी तरफ रायसेन कलेक्टर अरविंद दुबे और पूरा जिला प्रशासन भी सोम डिस्टलरीज के संचालकों को बचाने के लिए हर सम्भव कोशिशें कर रहे हैं।

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आबकारी कमिश्नर ने ये तो माना कि सोम डिस्टलरीज में कराया जा रहा था नाबालिग बच्चों से काम, फिर तत्काल क्यों नहीं की फैक्ट्री सीज करने की कार्रवाई...?

आबकारी कमिश्नर अभिजीत अग्रवाल ने जो शोकॉज़ नोटिस जारी किया है उसमें साफ तौर पर यह तो माना कि सोम डिस्टलरीज की शराब फैक्ट्री में नाबालिक बच्चों से शराब बनवाई जा रही थी। जो कि साफ तौर पर मध्य प्रदेश आबकारी अधिनियम का उल्लंघन भी है। साथ ही इस मामले में आबकारी कमिश्नर नियमानुसार तत्काल दोषी कंपनी को सीज करने का अधिकार भी रखते हैं। लेकिन क्योंकि मामला सोम डिस्टलरीज से जुड़ा हुआ है जिनके राजनीतिक रसूख से सभी वाकिफ है। इसी के चलते आबकारी कमिश्नर ने कार्रवाई के नाम पर सोम डिस्टलरीज के संचालकों को बचाने के लिए तीन दिन का मौका दे दिया है। दूसरी तरफ राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने शराब कंपनी से जिन बच्चों को रेस्क्यू किया था प्रशासन उन्हें भी मीडिया के सामने आने नहीं दे रहा है इतना ही नहीं इस कार्रवाई के बाद से इन बच्चों के परिजन पूरे गांव वाले बेहद डरे हुए गांव वालों का कहना है कि अगर उन्होंने सोम डिस्टलरीज के संचालकों के खिलाफ कुछ भी कहा तो सोम के गुंडों से उनकी जान को भी खतरा हो सकता है।

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राष्ट्रीय बाल आयोग ने जिला प्रशासन पर लगाए गम्भीर आरोप, मामा के निर्वाचन क्षेत्र में मासूम भांजियां शराब बनाने को है मजबूर।

दूसरी तरफ सम ग्रुप की शराब फैक्ट्री पर छापा मारने वाले राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानून को ने भी जिला प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए पंजाब केसरी से एक्सक्लूसिव चर्चा करते हुए प्रियंक कानूनगो ने बताया कि सूचना देने के बावजूद स्थानीय एसडीएम को मौके पर पहुंचने में 5 घंटे का समय लग गया। बाल आयोग की शिकायत पर स्थानीय पुलिस ने जो FIR दर्ज की है उसमें भी सोम डिस्टलरीज पर मामूली धाराओं में ही मामला कायम किया गया है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि प्रदेश की बेटियों के मामा शिवराज सिंह चौहान के निर्वाचन क्षेत्र की नाबालिक भांजियां शराब बनाने को मजबूर है और आबकारी विभाग, जिला प्रशासन के अधिकारी सब कुछ देखकर भी अनदेखा कर रहे हैं।
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बाल आयोग के छापे में रेस्क्यू किये गए बच्चों को शराब माफिया ने थाने से किया गायब, हड़कम्प मचने के बाद जिला प्रशासन के पास मिले बच्चे।

शनिवार को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने सोम की शराब फैक्ट्री पर छापा मारकर जिन बच्चों को रेस्क्यू किया था उन्हें आयोग की टीम पुलिस को सौप था लेकिन रेस्क्यू के महेश कुछ घंटे बाद ही सभी पीड़ित बच्चों को पुलिस की मौजूदगी में थाने से गायब कर दिया गया जिसके बाद बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष खुद देर रात तक थाने में बैठे रहे लेकिन बच्चों का कोई सुराग नहीं लगा रविवार को जब पंजाब केसरी की टीम बच्चों की तलाश में सेहतगंज पहुंची तो कुछ बच्चे गांव में घूमते हुए मिले खबर फैलने के बाद आनंद पालन में जिला कलेक्टर और एसपी समेत जिले के तमाम आला अफसर पीड़ित बच्चों को लेकर सेहतगंज पंचायत भवन में मौजूद थे। अधिकारियों के मुताबिक तमाम पीड़ित बच्चों का मेडिकल कराया जा रहा था जिसके चलते पंजाब केसरी की टीम को अंदर नहीं जाने दिया गया। दूसरी तरफ शराब बनाने के दौरान खतरनाक केमिकल से जिन बच्चों के हाथ जैली गए थे। वह गांव में ही घूमते दिखाई दिए जब इस पूरे मामले पर जिला कलेक्टर अरविंद दुबे से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि सभी पीड़ित बच्चों का मेडिकल किया जा रहा है लेकिन जिला प्रशासन मामला सामने आने के बाद सोम की शराब फैक्ट्री पर क्या कार्रवाई की इस पर कलेक्टर मौन हो गए इतना ही नहीं आबकारी कमिश्नर ने जो शोकेस नोटिस जारी किया है जिला कलेक्टर ने उसकी भी कोई जानकारी नहीं होने की बात कही।
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आबकारी विभाग के छोटे अधिकारियों पर हुई तत्काल कार्यवाई, लेकिन मुख्य आरोपी सोम डिस्टलरीज कानून की पकड़ से दूर। आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा की चुप्पी पर भी उठ रहे सवाल।

नाबालिग बच्चों से शराब बनवाने का मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आबकारी विभाग के चार अधिकारियों तत्काल निलंबन की कार्रवाई कर दी साथी प्रशासन को दोषियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए लेकिन इस मामले में लिफ्ट बड़े अधिकारियों को एक बार फिर छोड़ दिया गया इतना ही नहीं मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में शराब माफिया चला रहे सोम डिस्टलरीज पर भी अभी तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है। इससे साफ है की सोम डिस्टलरी के संचालक जगदीश अरोड़ा के राजनीतिक रसूल के आगे प्रदेश सरकार भी बौनी साबित हो रही है। वहीं इस पूरे मामले में मध्य प्रदेश के आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा भी मौन साधे हुए हैं। ये पहला मौका नहीं है जब सोम डिस्टलरीज को बचाने के लिए आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा और उनका पूरा विभाग एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है, इससे पहले भी सोम डिस्टलरीज के तमाम काले कारनामों पर पर्दा डालने और शराब माफिया को संरक्षण देने का काम आबकारी विभाग करता रहा है। अब देखना ये है कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देशों के बाद सोम डिस्टलरीज तक कानून के हाथ पहुंच पाते हैं या मुख्यमंत्री के कड़ी कार्रवाई के निर्देश जगदीश अरोरा के रसूख के आगे बौने साबित होंगे।

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