MP सचमुच अजब है ! 3.73 लाख करोड़ का कर्ज चुकाने के लिए संपत्तियां बेचेगी सरकार, लेकिन नहीं वसूलेगी सोम डिस्टलरीज से 575 करोड़ रुपए

Edited By meena, Updated: 31 May, 2024 04:38 PM

the government will sell the properties of madhya pradesh

मध्य प्रदेश की मोहन सरकार 3 लाख 73 हज़ार करोड़ के कर्ज में डूबी हुई है। इस कर्ज से उभरने के लिए प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने नया ...

भोपाल (विनीत पाठक): मध्य प्रदेश की मोहन सरकार 3 लाख 73 हज़ार करोड़ के कर्ज में डूबी हुई है। इस कर्ज से उभरने के लिए प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने नया फार्मूला खोज निकाला है। इस फार्मूले के तहत देश के दूसरे राज्यों में मौजूद मध्य प्रदेश की संपत्तियों को बेचने और किराए पर देने की तैयारी की जा रही है। जिससे करीब 200 करोड रुपए सरकार की खजाने में जमा होने की उम्मीद है। लेकिन बड़ा सवाल यह है वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा सोम डिस्टलरीज जैसे बड़े देनदारों से 575 करोड रुपए का उधार वसूलने में कोई रुचि क्यों नही ले रहे। या फिर सोम डिस्टलरीज को बचाने के लिए ही जगदीश देवड़ा नए नए फॉर्मूले खोज रहे हैं। शराब माफिया और सरकार का ये रिश्ता आखिर क्या कहलाता है। कर्ज चुकाने के लिए फाइनेंस डिपार्टमेंट में सभी विभागों को पत्र लिखकर जानकारी मांगी पत्र में पूछा गया है कि किस राज्य में कितनी प्रॉपर्टी किस रूप में है इसकी कीमत क्या है और अगर किसी प्रॉपर्टी का कोर्ट में कैसे चल रहा है तो यह किस तरह का विवाद है?

जानकारी के मुताबिक इसका मकसद मध्य प्रदेश के बाहर मौजूद अलग-अलग विभागों की संपत्तियों का आंकड़ा जुटाना है जिससे इन संपत्तियों को बेचा जा सके या किराए पर दिया जा सके। वित्त विभाग ने सभी विभागों के चीफ सेक्रेटरी एडिशनल चीफ सेक्रेटरी और सेक्रेटरी को लिखे लेटर में कहा प्रदेश के बाहर मौजूद संपत्तियों की समीक्षा जल्द मुख्य सचिव बिना राणा करेंगे वित्त विभाग के निर्देश के बाद अब विभागों के प्रमुख प्रदेश के बाहर मौजूद प्रॉपर्टीज के रिकार्ड तैयार करने में जुड़ गए हैं।

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इन राज्यों में सबसे अधिक सम्पत्तियां

दूसरी तरफ प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि मध्य प्रदेश के अलग-अलग विभागों से संबंधित संपत्तियां 10 से 12 राज्यों में हैं। जिसमें सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी धार्मिक न्यास और धर्मस्य विभाग से हैं। यह प्रॉपर्टीज, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र, साउथ इंडिया के राज्य उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में हैं। प्रदेश में हाजिर धार्मिक संस्थाओं के अधीन यह प्रॉपर्टी है। जिसमें कई मसलों पर कोर्ट में केस भी चल रहे हैं। इसके साथ राजवाड़े के दौर में राजाओं के अधीन रहने वाली संपत्तियों जो अब सरकारी हो चुकी है वह भी दूसरे राज्यों में हैं।

मध्य प्रदेश कि दूसरे राज्यों में एक लाख करोड़ से अधिक की संपत्तियां हैं। इसमें से अकेले 50 हज़ार करोड रुपए की संपत्ति केवल मुंबई में है। मध्य प्रदेश की दूसरे राज्यों में लगभग 450 संपत्तियां हैं। 365 एकड़ जमीन मुंबई के थाने में है। इसमें से 90 एकड़ जमीन एयरफोर्स ने अधिग्रहित कर ली है। इतना ही नहीं मध्य प्रदेश की 550 एकड़ जमीन केरल के वायनाड में है जहां कॉफी की खेती की जा रही है। इसके मालिकाना हक को लेकर केरल और मध्य प्रदेश के बीच विवाद था लेकिन अब समझौते से इसे सुलझा लिया गया है।

सोम डिस्टलरीज पर वित्त मंत्री की मेहरबानी, कर्ज़ चुकाने कर रहे जोड़तोड़

एक तरफ कर्ज में डूबे हुए मध्य प्रदेश की खस्ता वित्तीय हालत को सुधारने के लिए वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा नए-नए पैंतरे आजमा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ सोम डिस्टलरीज जैसे बड़े बकायादारों पर वित्त मंत्री की मेहरबानी बदस्तूर जारी। जानकारी के मुताबिक अगर सरकार दूसरे राज्यों की अपनी तमाम संपत्तियों को बीच भी देती है तो इससे सरकार को केवल 200 करोड रुपए की मिल पाएंगे लेकिन अगर सरकार मध्य भारत के सबसे बड़े शराब माफिया सोम डिस्टलरीज से अपने पुराने बकाया और जीएसटी की रकम की वसूल कर ले, तो करीब 575 करोड रुपए से अधिक की राशि सरकार के खजाने में एक झटके में पहुंच जाएगी। लेकिन वित्त मंत्री और सरकार आखिर इन बड़े कर्जदारों पर मेहरबानी क्यों दिखा रहे हैं यह अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है। दूसरी तरफ हर छोटे-बड़े मामले में सरकार को कटघरे में खड़े करने वाले विपक्ष की सोम डिस्टलरीज के मामले में चुप्पी भी कई सवालों को खड़े कर रहा है।

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वित्त मंत्री देवड़ा ने विधानसभा में माना था कि सोम डिस्टलरीज ने किया फर्जीवाड़ा, फिर आज तक क्यों नहीं हुई कार्रवाई...?

मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शराब माफिया सोम डिस्टलरीज लगातार कई फर्जीवाड़े करता रहा है। साल 2014 में सोम ने अपने रायसेन स्थित शराब प्लांट में बिना परमिशन स्प्रिट के 20 अवैध टैंकरों का निर्माण कर लिया था। जिसका पता सरकार को साल 2018 में लगा। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने इस मामले को म प्र विधानसभा में भी उठाया था। तब वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में ये स्वीकार किया था कि सोम डिस्टलरीज ने बड़ा फर्जीवाड़ा किया है और इस मामले में कड़ी कार्यवाई का आश्वासन भी विधानसभा को दिया था। लेकिन वित्त मंत्री के आश्वासन के बावजूद भी सोम डिस्टलरीज पर कोई कार्यवाई क्यों नहीं की गई...? ये भी बड़ा सवाल है...।

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कर्ज़ के आकंठ में डूबी मप्र सरकार, चुनावी घोषणाएं, मुफ्त की रेवड़ियां और माफियाओं को संरक्षण है बड़ा कारण

चुनावी घोषणाओं, मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के चक्कर में और साथ ही बड़े माफियाओं को संरक्षण देने के कारण मध्य प्रदेश सरकार कर्ज में इतनी डूब गई है, कि नई सरकार का स्वागत खाली खजाने से हुआ। साल दर साल यह कर्ज बढ़ता ही गया। 2020 में प्रदेश का कुल कर्ज 2.20 लाख करोड रुपए था। जो 2022 में बढ़कर 2.83 लाख करोड रुपए हो गया और साल 2023- 24 में यह कर्ज बढ़कर 3.73 लाख करोड़ पर पहुंच चुका है। साल 2013-14 में प्रदेश के हर व्यक्ति पर 10,896 रुपये कर्ज़ था, जो 2016 में बढ़कर 13,853 रुपए हो गया। साल 2017 में प्रति व्यक्ति कर्ज बढ़कर 21000 हो गया और आज की तारीख में मध्य प्रदेश के हर व्यक्ति पर 47000 रुपए का कर्ज है। पिछले साल आरबीआई की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार मुफ्त की योजनाओं पर जमकर खर्च कर रही है। जिससे वह कर्ज़ के जाल में फंसती जा रही है।

माफियाओं से हो वसूली तो मिल सकती है कर्ज़ से राहत, लेकिन इच्छाशक्ति की है कमी

अगर सरकार प्रदेश में सक्रिय माफियाओं पर ही नकेल कस के वसूली कर ले, तो भी सरकार को कर्ज से बड़ी राहत मिल सकती है। इसमें सोम डिस्टलरीज जैसे बड़ी मछलियों के साथ-साथ प्रदेश में सक्रिय खनन माफिया भी शामिल है। लेकिन इसके लिए सरकार को मजबूत इच्छा शक्ति दिखानी होगी। खासतौर पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा को प्रदेश के भारी भरकम कर्ज को उतारने के लिए बिना किसी पक्षपात के ठोस रणनीति तैयार करनी होगी।

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