दोनों हाथ नहीं फिर भी आसमां छूने का इरादा... पैरों से लिखकर 10वीं में पाया पहला स्थान...द्रोपती के हौसले ने तोड़े कई रिकॉर्ड

Edited By meena, Updated: 04 May, 2024 03:19 PM

draupati got first position in 10th by writing with her feet

मुसीबतें हमारे जीवन का एक अभिन्न भाग हैं...कुछ लोग मुसीबतों का सामना करते हैं...

मंडला(अरविंद सोनी): मुसीबतें हमारे जीवन का एक अभिन्न भाग हैं...कुछ लोग मुसीबतों का सामना करते हैं तो कुछ लोग थक कर हार मान लेते हैं और जबकि कुछ लोग हार ना मानकर उसका डटकर सामना करते हैं, जब तक उन्हें जीत नहीं मिलती ऐसा ही कर दिखाया हैं मंडला के भीम डोंगरी की 10 वीं की छात्रा द्रोपती धुर्वे ने। द्रोपती हाथों से लिखने मे असमर्थ हैं फिर भी उसने पैरों से उत्तर लिखकर दसवीं बोर्ड की परीक्षा प्रथम श्रेणी मे पास की हैं। इतना ही नहीं द्रोपती बेहतर तरीके से मेहंदी, रंगोली और हैंड राइटिंग भी बना लेती हैं ..आज उनके हौसले की तारीफ उनके टीचर्स और पूरा मंडला जिला कर रहा है। जानकारी के बाद मंडला कलेक्टर सलोनी सिडाना भी भीम डोंगरी स्कूल पहुंची और द्रोपती का उत्साह वर्धन किया।

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मंडला के भीम डोंगरी के करोंधा टोला की रहने वाली द्रोपती गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं। द्रोपती बचपन से ही दिव्यांग हैं उसने प्राथमिक शिक्षा अपने गांव में ही ली शुरुवाती दौर में उसे लिखने मे दिक्कतें हो रही थी क्योंकि वह हाथों से दिव्यांग थी जिसे प्राथमिक शिक्षा की एक टीचर्स ने पैरों से लिखना सिखाया फिर द्रोपती ने पीछे मुड़कर नहीं देखा लगातार वह अपने पैरों से लिखकर अच्छे अंकों से पारीक्षा पास करती रही।

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माध्यमिक स्कूल में पहुंची शिक्षकों ने कहा कि वह एग्जाम में एक राइटर ले सकती हैं लेकिन उसने पैरों से ही खुद लिखती रही और जब उसका 10 वीं बोर्ड का एग्जाम था तब भी उसने पैरों से ही उत्तर लिखे और आज उसकी मेहनत रंग लाई। द्रोपती ने 600 में से 300 अंक अर्जित किया और स्कूल ही नहीं पूरे मंडला जिले का गौरव बढ़ाया। आज द्रोपती के लिये उनके टीचर्स बेहद खुश हैं। टीचर्स ने उसका हौसला बढ़ाया ही हैं वहीं उसकी मदद के लिए अन्य टीचर्स भी सहयोग करना चाहते हैं।

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आदिवासी अंचल की आदिवासी बेटी द्रोपती बहुत ही होनहार छात्रा है। पैरों से वह करीब करीब सारे काम कर लेती है। द्रोपती गरीब तबके की लड़की है। द्रोपती और उसका पूरा परिवार टूटी फूटी झोपड़ी में रहने के लिए मजबूर है। अब तक उनका पक्का मकान नहीं बन पाया। द्रोपती के हाथ भारी बोझ नहीं उठा पाती लेकिन वह अपनी काबिलियत से सराबोर है। उसने प्राथमिक शिक्षा के दौरान रंगोली प्रतियोगिता में मवई में प्रथम स्थान पाया है। वहीं मेहंदी भी बहुत सुंदर बनाती है। उसकी सहेलियां भी उसकी तारीफ करने से नहीं चूक रही।

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