Edited By meena, Updated: 13 Feb, 2024 06:55 PM
छिंदवाड़ा चौरई से कांग्रेस से बागी होकर विधानसभा चुनाव में दमखम के साथ निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने के बाद बंटी पटेल ने...
छिंदवाड़ा(साहुल सिंह): छिंदवाड़ा चौरई से कांग्रेस से बागी होकर विधानसभा चुनाव में दमखम के साथ निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने के बाद बंटी पटेल ने आज भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष विवेक बंटी साहू के नेतृत्व में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के समक्ष भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। भाजपा में हर्ष का माहौल देखा जा रहा है। बंटी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद भाजपा को चौरई से मजबूती मिलेगी। लोकसभा चुनाव को देखते हुए बंटी पटेल का भाजपा में शामिल होना कहीं न कहीं कांग्रेस को कमजोर कर रहा है। बंटी पटेल की चौरई के अलावा छिंदवाड़ा सहित अन्य विधान सभा क्षेत्र में मजबूत पकड़ है। उनके कुशल नेतृत्व में भाजपा को लोकसभा चुनाव में बल मिलेगा।
बता दें कि बंटी पटेल कांग्रेस के कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते है। वह किसान नेता भी है। उन्होंने किसानों के हक में पैदल यात्रा की थी। किसानों के लिए लड़ते हुए कालिख कांड से सुर्खियों में आए थे। इसके बाद उनको जेल जाना पड़ा था। हालांकि इस मामले में वह बाद में बेदाग बाहर आ गए। इसके बाद उन्होंने चौरई विधान सभा से कांग्रेस से टिकट मांगा था। उन्हें कांग्रेस ने टिकट देने आश्वस्थ किया था। इसके बाद टिकट अचानक विधायक सुजीत चौधरी को दे दी गई। इस बात से गुस्साए बंटी पटेल ने दस हजार से अधिक समर्थकों के साथ निर्दलीय नामांकन दाखिल कर चुनाव मैदान में उतरे। उन्होंने दोनों दलों की नाक में दम करते हुए दस हजार वोट कबाड़े थे। हालांकि चुनाव नहीं जीत पाए, लेकिन उन्होंने अपना दम दिखा था। इस अवसर पर दौलत ठाकुर, लखन वर्मा, सोरभ ठाकुर, नत्थन शाह, जित्तू राय सहित सैंकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे।
चुनाव के समय लिखी जा चुकी थी पटकथा
चौरई विधानसभा से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने के बाद बंटी पटेल की भाजपा में शामिल होने के पटकथा लिखी जा चुकी थी। आखिरकार लोकसभा चुनाव के पहले उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। हालांकि चुनाव मैदानी में वह निर्दलीय उतरे थे। यदि वह उसी समय भाजपा में शामिल हो जाते तो शायद भाजपा की झोली में सीट होती।
इन पदों पर रहे बंटी
बंटी पटेल का राजनीतिक सफर कॉलेज से शुरू हुआ था। इसके बाद सरपंच का चुनाव जीतकर वह सरपंच संघ के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। काफी लंबे समय तक उन्होंने कांग्रस में किसानों के लिए राजनीति की। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से विधानसभा की टिकट मांगी थी। टिकट नहीं मिलने से नाराज बंटी ने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे। उन्हें 19 हजार से अधिक मत मिले थे। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए।