MP मे खाली हुए बैंकों के खजाने, मुश्किल में कमलनाथ सरकार

Edited By suman, Updated: 18 Jan, 2019 01:05 PM

in front of kamal nath

मध्यप्रदेश में 55 लाख  किसानों का कर्ज माफ करने जा रही कमलनाथ सराकार के सामने एक नई मुश्किल खड़ी होने वाली है। दरअसल, एक अप्रैल से खरीफ का सीजन शुरू होने वाला है। पिछले साल इस सीजन में किसानों ने करीब 10 हजार करोड़ रुपए कर्ज लिया था, इतना ही पैसा इस...

भोपाल: मध्यप्रदेश में 55 लाख किसानों का कर्ज माफ करने जा रही कमलनाथ सराकार के सामने एक नई मुश्किल खड़ी होने वाली है। दरअसल, एक अप्रैल से खरीफ का सीजन शुरू होने वाला है। पिछले साल इस सीजन में किसानों ने करीब 10 हजार करोड़ रुपए कर्ज लिया था, इतना ही पैसा इस बार भी चाहिए। लेकिन कर्ज देने वाले को-ऑपरेटिव बैंकों की हालत ऐसी नहीं कि वे पूरी क्षमता से ऋण बांट पाएं।


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CM कमलनाथ ने की पहल
राज्य में 38 जिला सहकारी बैंकों में से सात (भिंड, दतिया, रीवा, ग्वालियर, सतना, सीधी व टीकमगढ़) घाटे में हैं और राज्य स्तर पर अपैक्स बैंक को ही नाबार्ड का कर्ज उतारने के लिए तत्काल 1800 करोड़ रुपए की जरूरत है। किसानों को लोन देने के लिए भी वर्तमान में अपेक्स बैंक को 800 से 1000 करोड़ की जरूरत है। इस वित्तीय स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने हाल ही में नाबार्ड के सामने चार विकल्प रखते हुए मदद मांगी है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने खुद पहल करते हुए नाबार्ड के प्रतिनिधियों से बात की। अब यह जताई जा रही है कि नाबार्ड सकारात्मक रुख अपनाएगा।

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कमलनाथ सरकार ने नाबार्ड के सामने मदद के लिए रखे विकल्प

 

  • नाबार्ड हर साल लोन के लिए मप्र को 4500 करोड़ रुपए की लिमिट देता है। राज्य सरकार ने इसे 5 हजार 400 करोड़ रुपए करने का आग्रह किया है।
  • दो हजार करोड़ की क्रेडिट लिमिट दे दे।  
  • सरकार को शेयर कैपिटल के रूप में बैंकों को देने के लिए 950 करोड़ रुपए दिए जाएं।
  • किसानों को कर्ज के रूप में दी जाने वाली राशि में 60% पैसा नाबार्ड सहकारी संस्थाओं को देता है। बाकी राज्य सरकार को मिलाना होता है। नाबार्ड की 60% राशि में से 40% रियायती दरों पर और 20 फीसदी 8.65% की महंगी ब्याज दर पर मिलता है। राज्य सरकार ने कहा है कि नाबार्ड महंगी ब्याज दर की राशि 20 से बढ़ाकर 40% कर दे। सरकार को 20% ही मिलाना पड़ेगा। 


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किसानों ने  लिया है 2500 करोड़ लोन 

रबी सीजन एक अक्टूबर से शुरू होता है। पिछले साल इस सीजन के लिए किसानों ने 4 हजार 100 करोड़ रुपए कर्ज लिया था और अभी तक ढाई हजार करोड़ ही लोन किसानों ने लिया है। सीजन जारी है। साफ है कि इस चालू सीजन के लिए भी राशि की जरूरत है। सहकारिता विभाग ने वित्त विभाग से इसके लिए 800 करोड़ रुपए मांगे हैं। इसकी एवज में वित्त विभाग ने अनुपूरक बजट में एक हजार करोड़ रुपए का प्रावधान शेयर कैपिटल के रूप में कर दिया है।

वहीं, मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि जय किसान कर्ज माफी स्कीम का पैसा 22 फरवरी से किसानों के खाते में जाएगा। किसान प्राथमिक साख सहकारी समिति (पैक्स) के जरिए बैंकों से जुड़े हैं। यह पैसा बैंकों में पहुंचेगा। इसी आधार पर बैंक आगे ऋण बांटने की स्थिति में आएंगे।

 

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