खुद भी लड़ी कोरोना से जंग, जनता को भी सिखाया, जानिए इस IPS की कोरोनाकाल की कहानी

Edited By Vikas Tiwari, Updated: 20 Mar, 2021 08:02 PM

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2009 बैच के आईपीएस ऑफिसर अमित सिंह ऐसे अफसर हैं। जिन्होंने चार बार कोरोना से टक्कर ली और जंग भी जीती थी। ड्यूटी के दौरान उनके सहयोगी चपेट में आए हालांकि एक बार भी वो पॉजीटिव नहीं हुए। ऐसे हालातों में अमित सिंह ने कोरोना  गाइडलाइन का पालन किया और...

जबलपुर (विवेक तिवारी): 2009 बैच के आईपीएस ऑफिसर अमित सिंह ऐसे अफसर हैं। जिन्होंने चार बार कोरोना से टक्कर ली और जंग भी जीती थी। ड्यूटी के दौरान उनके सहयोगी चपेट में आए हालांकि एक बार भी वो पॉजीटिव नहीं हुए। ऐसे हालातों में अमित सिंह ने कोरोना  गाइडलाइन का पालन किया और जुझारू तरीके से कोरोना काल में जबलपुर में लीडर की भूमिका भी निभाई। वे जनता के समक्ष जाते थे और उनका उत्साहवर्धन भी करते थे। मध्यप्रदेश में 20 मार्च को जबलपुर जिले से ही कोरोना की शुरुआत हुई थी, और सबसे बड़ा कदम कोरोना की रोकथाम में अमित सिंह का ही था। जिन्होंने जबलपुर पुलिस अधीक्षक रहते हुए कोरोना को कंट्रोल करने में अपनी टीम के साथ मिलकर अपनी कार्यकुशलता का परिचय दिया। 20 मार्च रात को 8:00 बजे कोरोना की दस्तक मध्यप्रदेश में जबलपुर जिले से हुई थी। जब सुहागण आभूषण भंडार के परिवार के तीन सदस्य और एक शोध छात्र कोरोना पॉजीटिव निकल कर सामने आया था। वैसे तो जनता कर्फ्यू 22 मार्च को भारत में पिछले साल लगा था। लेकिन जबलपुर में टोटल लॉकडाउन का आगाज 20 मार्च से ही हो चुका था। रात को 8:00 बजे से ही शहर की दुकान  पुलिस अधीक्षक जबलपुर अमित सिंह ने स्वयं मैदान में उतर कर बंद करवा दी थी, और उसके बाद रात भर कांटेक्ट ट्रेसिंग का काम चला था। इसका नतीजा यह निकला था कि 20 मार्च के बाद से 2 अप्रैल तक जबलपुर में सिर्फ चार केस थे। पूरी तरह से कोरोना को कंट्रोल कर लिया गया था। इन 12 दिनों में सोशल पुलसिंग का योगदान था। लोगों के बीच जाकर संवाद की कार्यकुशलता पुलिस अधीक्षक  को आती थी और उन्होंने इस को बखूबी अंजाम दे दिया। साथ ही जनता से बेहतर संवाद स्थापित करते हुए उनको घर में ही रखने में सफलता प्राप्त की और टोटल लॉकडाउन का पालन कराया। इसका असर यह हुआ की पुलिस अधीक्षक जबलपुर के कार्यकाल के दौरान कभी भी संख्या 100 से ऊपर कोरोना केस की नहीं पहुंची। कंट्रोल स्थिति में जबलपुर को हर वक्त रखा गया हालांकि बाद में संख्या दोहरा शतक भी पूरा कर चुकी थी। यह प्रतिदिन का किस्सा बन गया था। लेकिन उस दौरान वे 12 दिन बेहद महत्वपूर्ण थे, और कोरोना को कंट्रोल कर लिया गया था। किस तरह से आखिर कार्यकुशलता को अंजाम दिया गया था आइए समझते हैं।

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कंटेनमेंट जोन में बेहतर प्रबंधन...
प्रशासन ने कंटेनमेंट जोन का निर्माण किया था। उसके बाद वहां पर पूरी तरह से पुलिस का पहरा था। लोगों से संवाद स्थापित किया जाता था। लोगों को समझाया जाता था और पुलिस अधीक्षक जबलपुर स्वयं उस वक्त कंटेनमेंट जोन के अंदर जाते थे। लोगों से संवाद स्थापित करते थे और कहते थे कि आपको कोरोना  से लड़ना है, और आपको जंग जीतनी भी है। उसका असर भी बेहद सकारात्मक रहा था, और जनता सकारात्मक फीडबैक भी पुलिस को मिलता था। उसके बाद कई ऐसे कार्यक्रम रखे गए। जिसमें कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराने के लिए लोगों को भी जोड़ा गया। सामाजिक संगठन में भी साथ में आए और परस्पर सहयोग से कोरोना कंट्रोल की स्थिति में आ गया था। लोग बताते हैं कि पुलिस के बेहतर संवाद के जरिए ही यह संभव हो पाया था। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक जबलपुर अमित सिंह की कार्यकुशलता की तारीफ आज भी की जाती है। आज अब एक साल कोरोना को आए हो गया। देश में केस फिर बढ़ रहे हैं तो पुलिस अधीक्षक जबलपुर अमित सिंह को जबलपुर की जनता याद कर रही है। थोड़ा सा घबराहट है लेकिन जनता को लगता है, कि वह अक्सर बेहतर संवाद कुशलता को समझते थे और उनकी बात को लोग सुनते भी थे। लिहाजा अब कोरोना को कंट्रोल करने के लिए ऐसे ही व्यवहार कुशल अफसर की जरूरत है।

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कोरोना फाइटर की टीम...
तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अमित सिंह ने पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए कोरोना फाइटर टीम का भी निर्माण किया था, जो पुलिस के साथ खड़ी होकर लोगों को जागरूक करती थी मास्क पहनने की अपील करती थी। घर में रहने की अपील करती थी ऐसे में उन समाजसेवी संगठनों के सहयोग से भी उस वक्त जंग जीती गई थी, उस वक्त एडवांस सर्चिंग इतनी फास्ट थी। कि मंडला तक सर्चिंग करते हुए कोरोना के मरीज तलाशे जा रहे थे लेकिन इस वक्त वह दौर थोड़ा सा बदल गया कोरोना के केस कम हुए तो लोग भी लापरवाह हो गए। लेकिन आज उसी तरह समन्वय की जरूरत है। जब जबलपुर ने जंग जीती थी। मध्य प्रदेश में एक बार फिर कोरोना के आंकड़े भयावह हो रहे हैं। तो जनता अब इस अफसर को याद भी कर रही है। उनका कहना है कि जिस कार्य कुशलता से उन्होंने काम किया था वही संवाद इस वक्त होना चाहिए फुहारा निवासी सचिन, लार्डगंज  निवासी अमित कहते हैं। कि उस वक्त इस अफसर ने शहर को रोक लिया था। उनकी बातों को लोग सुनते थे समझते थे, और कोरोना के खिलाफ जंग जीतने की सब में तमन्ना थी। लेकिन बाद में हालात भयावह हो गए आज जबकि केस बढ़े तो आत्म नियंत्रण और अनुशासन का जो पाठ उन्होंने पढ़ाया था। लोगों को मानना चाहिए।
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