Edited By Devendra Singh, Updated: 30 Apr, 2022 12:22 PM
ग्वालियर की जीवाजी यूनिर्वसिटी में बाहरी लोगों का दखल कोई आम बात नहीं है। बाहरी लोग राजनीतिक रसूख का सहारा लेकर मल्टी आर्ट कॉम्पलेक्स का उपयोग धड़ल्ले से कर रहे है। जिससे यूनिर्वसिटी को लाखों रूपये का नुकसान हो रहा है।
ग्वालियर (अंकुर जैन): जीवाजी यूनिवर्सिटी (jiwaji university) का शुरुआत से विवादों में रहा मल्टी आर्ट कॉम्पलेक्स (multi art complex) अब विश्वविद्यालय के लिए ही बोझ बनता जा रहा है। दिसंबर 2020 से जनवरी 2022 के बीच मल्टी आर्ट कॉम्पलेक्स में 24 कार्यक्रमों में से महज 5 कार्यक्रमों की ही विश्वविधालय को किराये के रूप में राशि मिली है। जबकि 19 कार्यक्रम नि:शुल्क हुए हैं। प्रशासन समेत अन्य संगठनों ने मंत्रियों को कॉम्प्लेक्स में आयोजित कार्यक्रमों में बुलाकर उसे नि:शुल्क उपलब्ध कराकर उसका किराया माफ करा लिया है। जिससे विश्वविधालय को कॉम्पलेक्स से होने वाली आय दूर की कौड़ी साबित हो रही है। साथ ही यूनिवर्सिटी को लाखों रुपये का घाटा भी झेलना पड़ रहा है।
तत्कालीन कुलपति संगीता शुक्ला पर है गंभीर आर्थिक अनियमितता के आरोप
अब जीवाजी विश्वविधालय, कॉम्पलेक्स में सुधार करने के लिए एक करोड़ 75 लाख रुपए और खर्च करने जा रहा है। इसके लिए बजट में भी प्रावधान किया गया है। दरअसल साल 2014 में मल्टी आर्ट काम्पलेक्स के लिए 14 करोड़ 80 लाख रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। लेकिन प्रोजेक्ट तीन साल लेट हुआ था। जिसके कारण इसकी कॉस्ट 24 करोड़ रूपए तक पहुंच गई। इसके लिए सीधे-सीधे तत्कालीन कुलपति संगीता शुक्ला (sangita shukla) पर गंभीर आर्थिक अनियमितता के आरोप लगे थे। लेकिन अब ये काम्पलेक्स बनकर तैयार हो गया है, तो इस मल्टी आर्ट कॉम्पलेक्स का उपयोग 90 फीसदी से ज्यादा बाहरी लोग राजनीतिक रसूख से कर रहे है। जिसका खामियाजा जीवाजी विश्वविद्यालय (jiwaji university) को भुगतना पड़ रहा है।