Edited By Vikas Tiwari, Updated: 10 Apr, 2024 08:30 PM
लोकसभा चुनावों से पहले लगातार हो रहे दल बदल को लेकर राजनीतिक रणनीतिकार अतुल मलिकराम ने अपने सपने को बयां करते हुए कहा है कि ‘पिछले कई दिनों से समाचार चैनलों, सोशल मीडिया और सुबह टेबल पर रखें अख़बारों में राजनीति की एक खबर कॉमन देखने को मिली, वो थी...
इंदौर: लोकसभा चुनावों से पहले लगातार हो रहे दल बदल को लेकर राजनीतिक रणनीतिकार अतुल मलिकराम ने अपने सपने को बयां करते हुए कहा है कि ‘पिछले कई दिनों से समाचार चैनलों, सोशल मीडिया और सुबह टेबल पर रखें अख़बारों में राजनीति की एक खबर कॉमन देखने को मिली, वो थी कांग्रेस के फलां दिग्गज नेता बीजेपी में शामिल हुए। फिर वो बॉक्सिंग का माहिर खिलाड़ी हो या संख्याओं में शून्य खोजने का महारथी प्रवक्ता, नाथ के हनुमान से लेकर नामी व्यवसाइयों तक, पिछले कुछ महीनों में 80 हजार से अधिक विपक्षी नेता अपनी-अपनी पार्टी का दामन झटककर, भारतीय जनता पार्टी की झोली में आ गिरे हैं। और इस गिरावट का सबसे अधिक शिकार कांग्रेस ही हुई है। अब लगातार दिखती एक जैसी खबर ने दिमाग में घर कर लिया था, और इस घर में एक सपने का जन्म हुआ था। चूँकि सपने अक्सर दिनभर की गतिविधियों से जुड़े ही होते हैं, और आपकी भावनाओं को हक़ीकत में बदलने का संसाधन बनते हैं, लिहाजा ये ख्वाब था कांग्रेस अध्यक्ष बनने का, डूबती कांग्रेस का खेवनहार बनने का, हाथ छुड़ाकर दूर जाते साथियों को वापस लाने का, आजादी की लड़ाई में शामिल रही पार्टी को खोया सम्मान पुनः दिलाने का...
इस सपने में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के सपने को साकार करने का काम कांग्रेस आलाकमान ने किया और हांसिये पर खिसकती जा रही देश में लोकतंत्र की नींव रखने वाली पार्टी की कमान मेरे हाथों में सौंप दी। इस जिम्मेदारी के साथ मेरे मन में भी कई प्रश्न आए। प्रश्न एक आजाद मुल्क को अपने पैरों पर खड़ा होने की शक्ति देने वाली पार्टी आखिर क्यों बैसाखी के सहारे चलने पर मजबूर है। क्यों देश के आर्थिक विकास को बल देने, आईआईटी, एनआईटी जैसे शिक्षण संस्थान देने, एम्स जैसे सामुदायिक चिकित्सा केंद्र बनाने वाली पार्टी से जनता का भरोसा उठ गया है? क्यों कांग्रेस मुक्त भारत का खौफ पार्टी की कार्यप्रणाली के रगों में दौड़ने लगा है? अमूमन मेरी रातें अन्य लोगों के मुकाबले छोटी होती हैं लेकिन इन प्रश्नों के साथ ज्यूँ ज्यूँ रात गहरा रही थी, यह सपना भी अपने चरम पर पहुंच रहा था।
मैं महसूस कर रहा हूं कि कांग्रेस की भीतरी गुटबाजी लगभग शून्य हो चली है और एकजुटता का एक नया सन्देश पार्टी में जोरों से गूँज रहा है। हर कार्यकर्ता आत्मविश्वास के तेज से दमक रहा है। पार्टी में इसे उस दौर की शुरुआत समझा जा रहा है, जहां एक परिवार द्वारा राज करने का इल्जाम, चाह कर भी मुंह नहीं फाड़ रहा है। देश की जनता कांग्रेस से 70 सालों का जवाब पूछने वालों को कटघरे में खड़ा कर रही है। इस सिलसिले के जारी रहते हुए, आगामी आम चुनाव में कांग्रेस 300 से अधिक सीटें हासिल करने में कामयाब हो गई है और इस कामयाबी के साथ ही अचानक... मेरी आँख खुल गई है।