VIDEO: इस मंदिर में मां दुर्गा को लगाया जाता है 'मदिरा का भोग'

Edited By suman, Updated: 17 Oct, 2018 04:08 PM

भारत देश की संस्कृति में ऐसे कई किस्से हैं, जिन्हें सुलझाने की कोशिश में इंसान खुद उलझ जाता है। ऐसा ही एक किस्सा जुड़ा है, उज्जैन शहर से। आमतौर पर वैसे तो नवरात्र के दौरान कन्या पूजन किया जाता है, माता को भोग लगाया जाता है, माता की पूजा होती है।...

उज्जैन: भारत देश की संस्कृति में ऐसे कई किस्से हैं, जिन्हें सुलझाने की कोशिश में इंसान खुद उलझ जाता है। ऐसा ही एक किस्सा जुड़ा है, उज्जैन शहर से। आमतौर पर वैसे तो नवरात्र के दौरान कन्या पूजन किया जाता है, माता को भोग लगाया जाता है, माता की पूजा होती है। लेकिन उज्जैन कालजयी नगरी में एक अनूठी परंपरा ये है कि यहां महा अष्टमी के दिन देवी मां को मदिरा का भोग लगाया जाता है। शहर की खुशहाली, सुख, शांति और समृद्धि के लिए हजारों सालों से ये परम्परा चली आ रही है। इस बार भी महा अष्टमी पर बुधवार को कलेक्टर ने चौबीस खम्भा स्थित देवी मंदिर पहुंचकर देवी महालाया और महामाया का पूजन कर मदिरा का भोग लगाया। 

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मान्यता है कि अष्टमी पर नगर पूजा की ये परम्परा करीब 2 हजार साल पुरानी है, जिसे उज्जैयिनी के महान प्रतापी सम्राट विक्रमादित्य ने शुरू किया था। करीब 2 हजार साल से नगर पूजा की ये परम्परा लगातार चली आ रही है। मुगलों और अंग्रेजी शासन के दौरान इस परम्परा को तत्कालीन राजाओं ने भी निभाया और आजादी के बाद जिले के राजा की हैसियत से प्रतिनिधि के तौर पर मौजूदा कलेक्टर इस परम्परा को निभाते आ रहे हैं। 

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इस तरह होती है पूजा
देवी को मदिरा की धार चढ़ाने के बाद नगर पूजा का जुलूस निकलता है जो शहर और शहर की सीमा पर स्थित सभी देवी और भैरव मंदिर तक जाता है। इस दौरान कलेक्टर या उनके प्रतिनिधि के रूप में प्रशासन का कोई मुलाजिम जुलूस के आगे आगे मदिरा से भरा तांबे का घड़ा लेकर चलता है। जिससे मदिरा की धार लगातार धरती पर गिरती रहती है।  इस दौरान 27 किलोमीटर की ये परिक्रमा चलती रहती है, जो 40 देवी और भैरव मंदिरों तक जाती है। 

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