धनंजय बना दशरथ मांझी, गर्भवती पत्नी को पेपर दिलाने के लिए स्कूटी पर तय किया 1150 km का सफर

Edited By meena, Updated: 04 Sep, 2020 04:10 PM

dhananjay became dashrath manjhi

पत्नी की याद में पहाड़ चीर देने वाले बिहार के गया जिले के दशरथ मांझी को कौन नहीं जानता, कुछ उन्हीं की तरह झारखंड के मांझी समाज के धनंजय कुमार अपनी गर्भवती पत्नी सोनी हेम्बरम को डिलेड (डि.ईएल.ईएड) द्वितीय वर्ष की परीक्षा दिलाने के लिए स्कूटी से...

ग्वालियर(अंकुर जैन): पत्नी की याद में पहाड़ चीर देने वाले बिहार के गया जिले के दशरथ मांझी को कौन नहीं जानता, कुछ उन्हीं की तरह झारखंड के मांझी समाज के धनंजय कुमार अपनी गर्भवती पत्नी सोनी हेम्बरम को डिलेड (डि.ईएल.ईएड) द्वितीय वर्ष की परीक्षा दिलाने के लिए स्कूटी से ग्वालियर के पद्मा कन्या विद्यालय पहुंच गए। समाज में एक मिसाल कायम करते हुए धनंजय ने स्कूटी से 1150 किलोमीटर का सफर तय किया व अपनी 7 महीने की गर्भवती पत्नी का एग्जाम दिलाने ग्वालियर पहुंचे। धनंजय मांझी की पत्नी सोनी d.ed द्वितीय वर्ष की छात्रा है और आगे शिक्षक बनना चाहती हैं।

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धनंजय झारखंड के गोड्डा जिले के गांव गन्टा टोला के रहने वाले हैं। गोड्डा जिला बांग्लादेश की सीमा से बमुश्किल 150 किलोमीटर दूर है। धनंजय ने करीब 1,176 किमी स्कूटी चलाई और झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश के विभिन्न पहाड़ी-मैदानी रास्तों को पार करते हुए मप्र के ग्वालियर पहुंचे। दंपती ने ग्वालियर में ठहरने के लिए दीनदयाल नगर में 1,500 रुपये में 10 दिन के लिए कमरा किराए पर लिया है। 11 सितंबर को परीक्षाएं संपन्न होने के बाद यह दंपती वापस स्कूटी से ही झारखंड के लिए रवाना होंगे।

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धनंजय ने दोपहिया से इतना लंबा सफर करने से बहुत लोगों ने मना किया, काफी हद तक वे सही भी थे। रास्ते में तेज बारिश होने पर हम एक पेड़ के नीचे दो घंटे तक खड़े रहे। बिहार के भागलपुर से गुजरते समय बाढ़ का सामना करना पड़ा। विभिन्न शहर व गांवों की बदहाल सड़कों से गुजरे। गड्ढों के कारण काफी परेशानी हुई। मुजफ्फरपुर में एक रात लॉज में और लखनऊ में एक रात टोल टैक्स बैरियर पर भी रुके।

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धनंजय गुजरात में कैंटीन में खाना बनाने(कुक) का काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन में उनकी नौकरी चली गई। वे बीते तीन माह से बेरोजगार हैं। स्कूटी में पेट्रोल भरवाने के लिए धनंजय ने अपनी पत्नी के जेवर 10 हजार रुपये में गिरवी रखे हैं, जिसके लिए मासिक 300 रुपये का ब्याज भी चुकाना होगा। धनंजय खुद 10वीं पास भी नहीं, लेकिन वह पत्नी को शिक्षक बनाना चाहते हैं। इसीलिए पत्नी फिलहाल डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डि.ईएल.ईएड) द्वितीय वर्ष की परीक्षा दे रही हैं। धनंजय के मुताबिक हर पति-पत्नी की तरह नोकझोंक व झगड़ा होता है, लेकिन बातचीत करने पर सभी शिकायतें खत्म हो जाती हैं।

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बता दें कि मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) द्वारा डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन की परीक्षाएं एक सितंबर से 11 सितंबर तक आयोजित की जा रही हैं। ग्वालियर में कुल 23 केंद्रों में परीक्षा देने के लिए 10 हजार 680 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। धनंजय की पत्नी सोनी के परीक्षा की एग्जाम की डेट भी इसी में हैं। ग्वालियर आने के लिए उन्होंने बसों का किराया पता किया, जो 15 हजार प्रति व्यक्ति था। इसके बाद उन्होंने ट्रेन के टिकट बुक कराए, लेकिन ऐन वक्त पर ट्रेन भी कैंसिल हो गई। इसीलिए उन्होंने स्कूटी से जाने की ठानी। मगर आर्थिक स्थिति अभी भी उनके आड़े आ रही थी इसके लिए उनकी पत्नी ने अपने गहने गिरवी रख दिए। इसके बाद मांझी ग्वालियर के लिए निकल पड़े। 

 

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