आत्मनिर्भर भारत की सबसे सशक्त तस्वीर, चरखे से सूत कातकर जीविका चला रहा गांव का गांधी

Edited By meena, Updated: 12 Nov, 2020 06:39 PM

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हम और आप जब सूत कातने वाले चरखे के बारे में बात करते है या पढ़ते है तो हमारे जहन में महात्मा गांधी की तस्वीर सामने आती है। उसी संस्कृति और परंपरा को अभी भी जिंदा रखे हुए है बाबूनाथ योगी। जो सीहोर के जावर तहसील के ग्राम हाजीपुर...

सीहोर(रायसिंह मालवीय)  हम और आप जब सूत कातने वाले चरखे के बारे में बात करते है या पढ़ते है तो हमारे जहन में महात्मा गांधी की तस्वीर सामने आती है। उसी संस्कृति और परंपरा को अभी भी जिंदा रखे हुए है बाबूनाथ योगी। जो सीहोर के जावर तहसील के ग्राम हाजीपुर में रहकर इस परंपरा और संस्कृति को चलाकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं ।

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योगी की मानें, तो वह पिछले 20 सालों से यह काम कर रहे हैं और यह चरखा उनके जीवन यापन  का एकमात्र जरिया है। इसके जरिए वह पशुओं के श्रृंगार की वस्तुएं जिसमें हार, फुंदे, घुंगरू वाली माला जैसे सामान बनाते हैं और इन्हें बाजार में बेचते हैं। लोग इन्हें काफी पसंद भी करते हैं और इससे बाबूनाथ का गुजारा भी बहुत अच्छे से हो रहा है।

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दिवाली की विशेष तैयारी...
बाबूनाथ योगी दीपावली पर ग्रामीण क्षेत्रों में अपने पशुधन को सजा धाजाकर श्रृंगार कर उसकी पूजा करते है। यह परिवार पशुओं को श्रृंगार करने वाली चीजें जिसमें हार, फुंदे, शैली,घुंगरू वाली माला, फूलवाली माला, बैलो की नाक छेदकर बांधने वाली नाथ, गुल, आदि का बाजार से कच्चा माल लाकर घर पर इन सब चीजों को तैयार कर बाजार में बेचते है।

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