Loksabha Election 2019: किस्सा कुर्सी का, बात सिंधिया राजवंश के गढ़ 'गुना' लोकसभा की

Edited By Vikas kumar, Updated: 30 Mar, 2019 07:30 PM

who will win guna loksabha

मध्यप्रदेश के बहुचर्चित गुना लोकसभा सीट सिंधिया परिवार का गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर ज्यादातर सिंधिया परिवार का ही राज रहा है। ग्वालियर के  बाद गुना ही वह लोकसभा सीट है जहां...

गुना: मध्यप्रदेश की बहुचर्चित गुना लोकसभा सीट सिंधिया परिवार का गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर ज्यादातर सिंधिया परिवार का ही राज रहा है। ग्वालियर के बाद गुना ही वह लोकसभा सीट है जहां पर सिंधिया राजवंश का कोई भी सदस्य चुनाव लड़ना पसंद करता है। वर्तमान में यहां पर ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद हैं लेकिन इससे पहले राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया भी यहां से सांसद रह चुके हैं। पिछले चार लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ही जीतते आ रहे हैं। 


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गुना लोकसभा सीट का इतिहास
 
वर्ष 1957 में इस सीट में पहला लोकसभा चुनाव हुआ था। जब कांग्रेस की विजयाराजे सिंधिया ने हिंदू महासभा के वीजी देशपांडे को हराया था। इसके बाद अगले चुनाव में यहां से कांग्रेस ने रामसहाय पांडे को मैदान में उतारा और उन्होंने भी हिंदू महासभा के वीजी देशपांडे को हरा दिया। लेकिन 1967 में ही इस सीट पर हुए लोकसभा उपचुनाव में स्वतंत्रता पार्टी के जे बी कृपलानी ने कांग्रेस उम्मीदवार को हरा दिया। वर्ष 1971 में विजयाराजे सिंधिया के बेटे माधवराव सिंधिया मैदान में उतरे। वे यहां पर जनसंघ की सीट से चुनाव लड़े और उन्होंने जीत हासिल की। इसके बाद 1977 में माधवराव यहां से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे और उन्होंन फिर एक बार यहां से जीत दर्ज की। 

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माधवराव सिंधिया 1980 में कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर से उन्होंने जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने लगातार तीन चुनावों में जीत दर्ज की। 1984 में वे ग्वालियर से अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ खड़े हुए और उन्होंने सभी को चौंकाते हुए वाजपेयी को हरा दिया। लेकिन माधवराव के ग्वालियर से चुनाव लड़ने पर गुना में कांग्रेस कमजोर होने लगी। जिसके चलते 1999 में एक बार फिर माधवराव सिंधिया गुना लोकसभा सीट से मैदान में उतरे और उन्होंने यहां पर कांग्रेस की वापसी करवाई। 

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वर्ष 2001 में माधवराव सिंधिया के निधन के बाद 2002 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यहां से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की। तब से लेकर आज तक गुना में ज्योतिरादित्य सिंधिया का ही शासन है। आपको बता दें कि कांग्रेस को यहां पर 9 बार जीत मिली है। वहीं बीजेपी को 4 तो 1 बार जनसंघ को यहां पर जीत नसीब हुई है। गुना लोकसभा सीट के अंदर 8 विधानसभा सीटें आती हैं जिन पर 4 पर बीजेपी तो 4 पर कांग्रेस का शासन है।  

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लोकसभा चुनाव 2014 का परिणाम

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा के जयभान सिंह पवैया को हराया था। इस चुनाव में सिंधिया को 5,17,036 वोट मिले तो वहीं पवैया को 3,96,244 वोट मिले थे। 

लोकसभा उम्मीदवार

राजनीतिक दल

वोट

वोट प्रतिशत

ज्योतिरादित्य सिंधिया

कांग्रेस

5,17,036

53.63%

जयभान सिंह पवैया

बीजेपी

3,96,244

41.10%

लखन सिंह बघेल

बसपा

27,412

2.84%



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लोकसभा चुनाव 2009 का परिणाम 

वर्ष 2009 के चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी के दिग्गज नेता नरोत्तम मिश्रा को यहां से हराया था। सिंधिया को 4,13,297 वोट तो नरोत्तम मिश्रा को 1,63,560 वोट मिले थे। वहीं बसपा इस सीट पर तीसरे स्थान पर रही थी।

लोकसभा उम्मीदवार

राजनीतिक दल

वोट

वोट प्रतिशत

ज्योतिरादित्य सिंधिया

कांग्रेस

4,13,297

63.60%

नरोत्तम मिश्रा

बीजेपी

1,63,560

25.17%

लोकपाल लोढ़ी

बसपा

29,164

4.49%

 

बता दें कि देश की आजादी से पहले गुना ग्वालियर राजघराने का हिस्सा था। जिस पर सिंधिया वंश का अधिकार था। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2014 में गुना में कुल 16,05,619 मतदाता थे। जिसमें से 8,57,328 पुरुष मतदाता तो 7,48,291 महिला मतदाता थीं। 2014 के चुनाव में इस सीट पर 60.83

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