Edited By kamal, Updated: 29 Aug, 2018 06:47 PM
कुपोषण के अभिशाप से जूझ रहे मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) ने महिला और बाल विकास विभाग के साथ मिलकर आज नये प्रयोग की औपचारिक शुरूआत की। इसके तहत इंदौर जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य तथा पोषण...
इंदौर : कुपोषण के अभिशाप से जूझ रहे मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) ने महिला और बाल विकास विभाग के साथ मिलकर आज नये प्रयोग की औपचारिक शुरूआत की। इसके तहत इंदौर जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य तथा पोषण की स्थिति की ऑनलाइन निगरानी की जायेगी। हैदराबाद स्थित एनआईएन के जन स्वास्थ्य पोषण विभाग के प्रमुख ए. लक्ष्मैया की मौजूदगी में यहां करीब 110 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विशेष टैबलेट बांटे गये।
लक्ष्मैया ने संवाददाताओं को बताया कि एनआईएन के विकसित पोषण निगरानी तंत्र की प्रायोगिक परियोजना के तहत ये कार्यकर्ता टैबलेट पर पांच साल के कम उम्र के बच्चों तथा महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण स्तर के अलग-अलग मानकों पर नियमित तौर पर प्रविष्टियां दर्ज करेंगी। इस रीयल टाइम जानकारी का अध्ययन करने के बाद प्रदेश सरकार के सभी संबंधित विभागों को जरूरी कदम उठाने की सिफारिश की जायेगी ताकि बच्चों और महिलाओं में पोषण स्तर बढ़ाया जा सके। उन्होंने मध्यप्रदेश को लेकर एनआईएन के अध्ययन के हवाले से बताया कि सूबे के छोटे बच्चों में सबसे ज्यादा कमी आयरन की पायी जाती है. कई बच्चों में कैल्शियम और विटामिनों का स्तर भी आदर्श मानकों से कम है। इसके अलावा, सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और पीने के साफ पानी की आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत है।
लक्ष्मैया ने बताया कि पोषण निगरानी तंत्र की प्रायोगिक परियोजना के लिये मध्यप्रदेश के साथ केरल, मेघालय, महाराष्ट्र, उड़ीसा और तेलंगाना के एक-एक जिले को चुना गया है। महिला और बाल विकास विभाग के सहायक निदेशक विष्णुप्रताप सिंह राठौर ने बताया कि इस परियोजना के तहत इंदौर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की करीब 110 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ चार सुपरवाइजर और एक परियोजना अधिकारी को भी टैबलेट बांटे गये हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इन टैबलेट के इस्तेमाल का खास प्रशिक्षण दिया जायेगा।