Edited By Vikas Tiwari, Updated: 18 Jun, 2023 05:50 PM
छतरपुर जिला अस्पताल में विवाद महिला एसआई की धमकी से दिव्यांग डॉक्टर रोने लगी. जिसके बाद डॉक्टर ने SP से शिकायत की है.
छतरपुर (राजेश चौरसिया): छतरपुर जिला अस्पताल (district hospital chhatarpur) में ओपीडी के दौरान दिव्यांग डॉक्टर से महिला पुलिसकर्मी के उलझने का मामला सामने आया है. इस बहस और डॉक्टर के चेम्बर में उलझ गईं और अभद्रता करने लगी. इसके बाद महिला डॉक्टर रोने लगी और नर्सों ने काम बंद कर दिया. जिसकी शिकायत महिला डॉक्टर ने SP से फोन पर की है. अब इस मामले के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें बहस होती दिख रही है. उधर एसआई का कहना था कि महिला डॉक्टर ने एक आरक्षक के साथ अभद्रता की है और जब हमने जवाब दिया तो रोने लगी. इस दौरान सिविल सर्जन GL अहिरवार और RMO अभय सिंह भी मौके पर पहुंच गए. जानकारी मिलने पर सिविल लाईन TI कमलेश साहू और पुलिस बल भी पहुंचा, तब कही जाकर मामला शांत हुआ.
यहां सवाल यह भी उठता है कि अगर डॉक्टर ने अभद्रता की भी थी, तो पुलिस ने कानून के अनुसार कार्रवाई क्यों नहीं की और इस तरह डॉक्टर के कार्यस्थल OPD में बहस करने का क्या तात्पर्य था, जबकि दोनों ही ऑन ड्यूटी थी. हालांकि मामले की वरिष्ठ अधिकारियों को मामले की जानकारी क्यों नहीं दी, महिला डॉक्टर व सीएस की शिकायत पर एसपी अमित सांधी ने कार्रवाई करने आश्वासन दिया है.
क्या है मामला..
डॉक्टर बोलीं डॉ. गीता चौरसिया की सील वे कैसे लगा सकती हैं...?
घटना के संबंध में दिव्यांग डॉक्टर निधि खरे ने बताया कि ओपीडी में बड़ी संख्या में मरीज थे. वे मरीज को देख रही थी, तभी एक महिला आरक्षक आई. उन्होंने गीता चौरसिया की सील किसी दस्तावेज पर लगाने के लिए मांगी. इस पर डॉक्टर ने सील यहां न होने और आरएमओ के ऑफिस में देखने के लिए कहा. इसके बाद सिविल लाइन थाने की SI अंजना त्रिवेदी उनके पास पहुंची और अभद्रता करने लगीं. डॉक्टर का आरोप है कि SI ने काफी अभद्र व्यवहार किया. उनका कहना है कि पुलिसकर्मियों ने ओपीडी में हंगामा किया और उन्हें यह अधिकार नहीं है कि हमारे कार्यक्षेत्र में इस तरह का बर्ताव करें. इस दौरान डा. निधि खरे रोने लगी और अस्पताल में नर्से उन्हें संभालने में लग गई. हालांकि उन्होंने इस संबंध में कलेक्टर, एसपी और सिविल सर्जन से शिकायत की है.
सीएस ने पूछा- क्लास वन डॉक्टर से ये बर्ताव क्यों..
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. जीएल अहिरवार ने कहा कि एसआई बेवजह नाराजगी व्यक्त कर रही थीं. डॉ. गीता चैरसिया की सील आरएमओ ऑफिस में होना चाहिए या फिर उन्हीं से कॉल कर पूछ लिया जाता तो बेहतर होता. पुलिसकर्मी चाहते हैं कि अस्पताल के कर्मचारी मरीजों को देखना छोड़कर उनके काम के लिए दौड़ पड़े, जो ठीक नहीं है. उन्होंने कलेक्टर, एसपी से कार्रवाई की मांग की है. सिविल सर्जन ने आगे कहा कि उन्होंने भी एसआई को समझाने का प्रयास किया, क्लास वन डॉक्टरों से बेवजह उलझने पर कड़ी कार्रवाई होना चाहिए. जिन पर अस्पताल की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वे ही धमकाने लगे तो ये ठीक नहीं है. उधर महिला एसआई अंजना त्रिवेदी ने अपने बचाव में कहा कि आरक्षक सील लगवाने के लिए काफी परेशान थी. हम चार दिन से चक्कर काट रहे और डॉक्टर हमें आरक्षक को घुमा रहे थे.
वीडियो में चिल्लाते दिख रही एसआई
ओपीडी में हंगामा के बाद नर्स और पुलिसकर्मी एक-दूसरे का वीडियो बनाने लगे. एक वीडियो में एसआई अंजना त्रिवेदी जोर से चिल्ला कर डॉक्टर पर आरोप लगा रही हैं कि उन्होंने महिला आरक्षक की बेइज्जती की है. उसे 10-10 चक्कर लगवाए है. अगर उसकी बेजती न की होती तो वे वहां लौटकर न आती. एसआई को अस्पताल का स्टाफ समझा रहा है, लेकिन वे चिल्ला रही हैं. इस मामले में एएसपी विक्रम सिंह ने कहा कि पूरे घटना की जांच की जा रही है. अगर इसमें पुलिसकर्मियों का दोष मिला तो कार्रवाई करेंगे. दोनों विभाग लोगों की मदद के लिए बने हैं, ऐसे में तालमेल और नम्रता का व्यवहार जरूरी हैं.