केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, अब 5 नहीं 3 साल का रहेगा सूचना आयुक्तों का कार्यकाल, सुविधाओं में कटौती

Edited By Jagdev Singh, Updated: 26 Oct, 2019 04:08 PM

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केंद्र की मोदी सरकार ने मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने नए नियमों को लेकर गजट जारी कर दिया है। जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग के तहत आने वाले केंद्र और राज्य सूचना आयुक्तों की पद अवधि में कटौती की है। साथ ही...

भोपाल: केंद्र की मोदी सरकार ने मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने नए नियमों को लेकर गजट जारी कर दिया है। जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग के तहत आने वाले केंद्र और राज्य सूचना आयुक्तों की पद अवधि में कटौती की है। साथ ही उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में भी कटौती की गई है।

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पहले किसी भी राज्य में राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्तों की पदावधि पहले पांच साल की होती थी। अब इसमें बदलाव किया गया है। राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त जिस तारीख को अपना पद ग्रहण करेंगे। उससे तीन वर्ष तक उनका कार्यकाल रहेगा। अब उनकी नियुक्ति की तारीख से ही सेवा निवृत्ति की तारीख भी तय होगी।

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इसके साथ ही अब मुख्य सूचना आयुक्त को निर्वाचन आयुक्त या सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर रुतबा और सुविधा नहीं मिलेगी। राज्य मुख्य सूचना आयुक्त को प्रति महीना अब 2,25,000 रुपये का नियत वेतन प्राप्त होगा। वहीं सूचना आयुक्त को भी प्रति महीने 2,25,000 रुपये ही वेतन मिलेगा। इस लेवल के राज्य सरकार के पदाधिकारियों के निर्धारित महंगाई भत्ता इन्हें भी मिलेगा।

अगर छुट्टी की बात करें तो राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त उतनी ही छुट्टी के अधिकारों को हकदार होगा जो राज्य सरकार के समान वेतन वाला कोई पदधारण करने वाले किसी अधिकारी के लिए स्वीकृत हैं। राज्य मुख्य सूचना आयुक्त की दशा में छुट्टी मंजूर करने के लिए सक्षम प्राधिकारी उस राज्य का राज्यपाल होगा और राज्य सूचना आयुक्तों की दशा में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त सक्षम प्राधिकारी होगा।

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वहीं केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की जारी अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने सूचना का अधिकार (संशोधन) कानून-2019 के प्रावधानों को प्रभाव में लाने की तिथि 24 अक्टूबर 2019 तय कर दी है। इस संशोधन विधेयक को संसद के दोनों सदनों से जुलाई में पारित किया गया था, जबकि राष्ट्रपति ने अगस्त में इसे मंजूरी दे दी थी। वहीं कई लोग इस बदलाव का विरोध भी कर रहे हैं।

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