पूर्व मंत्री महदेले ने ई- टेडरिंग घोटाले से झाड़ा पल्ला, बोलीं- फाईल पर शिवराज ने दी थी मंजूरी

Edited By suman, Updated: 11 Apr, 2019 01:37 PM

former minister mahadele busted the e tethering scam

शिवराज सरकार के शासनकाल में हुए ई-टेडरिंग घोटाले में एफआईआर के बाद बवाल मच गया है। शक की सुई में आने के बाद पीएचई मंत्री रहीं कुसुम मेहदेले ने शिवराज पर  ठीकरा फोड़

भोपाल: शिवराज सरकार के शासनकाल में हुए ई-टेडरिंग घोटाले में एफआईआर के बाद बवाल मच गया है। शक की सुई में आने के बाद पीएचई मंत्री रहीं कुसुम मेहदेले ने शिवराज पर  ठीकरा फोड़कर पल्ला झाड़ दिया है। महदेले ने साफ़ कहा है कि 'घोटाले की फाईल पर उन्होंने नहीं तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंजूरी दी '।
 

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पूर्व मंत्री दी अपनी सफाई
ई-टेडरिंग घोटाले में ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज एफआईआर में पूर्व पीएचई मंत्री कुसुम मेहदेले पूछा तो उन्होंने साफ कहा कि, टेंडर पीएचई विभाग से नहीं जल निगम ने जारी किये थे। जल निगम के अध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान थे। जबकि पीएचई मंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री और एक अन्य मंत्री को निगम का उपाध्यक्ष बनाया गया था। मेहदेले का कहना है कि टेंडर की प्रशासकीय मंजूरी और बजट स्वीकृति निगम के अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री ने दी है। मेहदेले ने यह भी कहा कि जल निगम की किसी भी फाईल पर उनके हस्ताक्षर नहीं है। यही नहीं निगम की सारी गतिविधियों पर अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री का नियंत्रण था।
 

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दरअसल, जल निगम के तीन टेंडरों में छेड़छाड़ को लेकर एफआईआर की गई है। इन तीनों टेंडरों की राशि लगभग 18 सौ करोड़ रुपए है। जिस समय टेंडर घोटाला हुआ उस समय कुसुम मेहदेले मंत्री, प्रमोद अग्रवाल प्रमुख सचिव और पीएन मालवीय ईएनसी थे। ईओडब्ल्यू ने इन सभी को संदेह के दायरे में रखते हुए हेराफेरी कर टेंडर लेने वाली मुंबई की दो कंपनियों ह्यूम पाईप लिमिटेड और जीएमसी लिमिटेड के मालिक और डायरेक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

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