Edited By suman, Updated: 07 Jan, 2019 04:07 PM
राज्य शासन ने प्रदेश में यूरिया की कालाबाजारी रोकने के लिए कलेक्टरों को कड़ी कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रमुख सचिव कृषि राजेश राजौरा ने कहा है कि ''यूरिया की उपलब्धता पर्याप्त है। उर्वरक कम्पनियों द्वारा भी निरंतर यूरिया की आपूर्ति की जा...
भोपाल: राज्य शासन ने प्रदेश में यूरिया की कालाबाजारी रोकने के लिए कलेक्टरों को कड़ी कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रमुख सचिव कृषि राजेश राजौरा ने कहा है कि 'यूरिया की उपलब्धता पर्याप्त है। उर्वरक कम्पनियों द्वारा भी निरंतर यूरिया की आपूर्ति की जा रही है। 31 दिसम्बर तक 11.13 लाख मीट्रिक टन यूरिया प्रदेश में उपलब्ध करवाया जा चुका है।
यूरिया के प्रभावी वितरण और काला-बाजारी की रोकथाम के लिये कलेक्टर खुद कमान संभाले'। यूरिया की काला-बाजारी के संबंध में दो वितरकों के विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 और 7 के तहत साहिल ट्रेडर्स दतिया के साहिल गुप्ता और राजेश इंटरप्राइजेज दतिया के राजेश गुप्ता के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करायी गयी है। साथ ही उपसंचालक कृषि आरपी गोयल को निलंबित किया जा चुका है। दतिया में कालाबाजारी का मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार ने यह कार्रवाई की है। इसके बाद राज्य शासन ने सभी कलेक्टरों को यह निर्देश जारी किए हैं।
इसलिए की गई कार्रवाई
- दतिया के पूर्व डीडीए गोयल के विरुद्ध यह कार्रवाई दतिया जिले में उपलब्ध यूरिया की काला-बाजारी रोकने में असमर्थ रहने
- जिले में यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद किसानों को उसका प्रभावी ढंग से वितरण न करने
- अन्य प्रदेशों में यूरिया के अवैध परिवहन की रोकथाम में असफल रहने
- बिना सक्षम अधिकारी की स्वीकृति प्राप्त किये अचानक अर्जित अवकाश पर जाने का कदाचरण प्रथम दृष्ट्या प्रतीत होने पर की गयी है।
गोयल के स्थान पर जे एन सूर्यवंशी, उप संचालक किसान-कल्याण तथा कृषि विकास संचालनालय, भोपाल को तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित करते हुए उप संचालक, दतिया पदस्थ किया गया है।
यूरिया वितरण पर नजर रखें कलेक्टर
कलेक्टर्स से कहा गया है कि उनकी अध्यक्षता में गठित जिला उर्वरक समिति उर्वरकों के वितरण पर निरंतर नजर रखे। इसके साथ ही समिति द्वारा नियमित रूप से कार्य की समीक्षा की जाये। रैक पाइंट से निकलने वाले यूरिया की आपूर्ति-स्थल पर पहुँचने की सतत मॉनीटरिंग की जाये। समिति द्वारा निजी एवं सहकारी उर्वरक भण्डार-केन्द्रों का सतत निरीक्षण किया जाये और उर्वरक स्टॉक का नियमित रूप से भौतिक सत्यापन सुनिश्चित किया जाये। निजी और सहकारी उर्वरक विक्रय केन्द्रों पर कर्मचारियों की ड्यूटी लगायी जाये।