हमीदिया अग्निकांड को लेकर विधानसभा में बरसे जीतू! कहा- स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पतालों को ही बीमार कर दिया

Edited By meena, Updated: 21 Dec, 2021 07:57 PM

jeetu rained in the assembly over the hamidia fire incident

मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने हमीदिया अस्पताल में नवजात बच्चों के मौत का मामला उठाया। पूर्व मंत्री व कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की यह हालत है कि प्रदेश के...

भोपाल(इजहार हसन खान): मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने हमीदिया अस्पताल में नवजात बच्चों के मौत का मामला उठाया। पूर्व मंत्री व कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं की यह हालत है कि प्रदेश के कमजोर स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पतालों को ही बीमार कर दिया। उन्होंने सदन में कहा कि वह बच्चों के संवेदनशील विषय पर बोल रहे हैं। पिछले दिनों राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में जिस तरह नवजात बच्चों की मौत हुई उसके बाद मंत्री महोदय से पूछे गए सवाल के जबाब में यह सामने आय़ा कि 2015-16 में 84,691 से सख्या बढकर 2019-20 में 1.12 लाख हो गई इसे उपलब्धी माने कि प्रति वर्ष शिशु उपचार की संख्या में वृद्धि हो रही है। पटवारी ने कहा कि यह तो ऐसे हो गया कि श्मशान का उद्घाटन करे और प्रति वर्ष दाह संस्कार की बढ़ने वाली संख्या पर अपनी पीट थपथपाये।

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जीतू पटवारी ने कहा कि यह चौंकाने वाले आंकड़े बताते हैं कि प्रतिवर्ष इन गहन चिकित्सा इकाई में 14 से 15 प्रतिशत बच्चे मर रहे हैं। यह संख्या घट क्यों नहीं रही है। हर 6 में से 1 बच्चा मर रहा है समझ में नहीं आता कि वहां इलाज हो रहा है या मजाक हो रहा है। गहन चिकित्सा इकाई इसलिये बनाई गई कि शिशु मृत्यु दर घटे, देश में पहला स्थान का जो कलंक हमारे माथे पर लगा है वह मिटे लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। शिशु मृत्यु दर में प्रदेश देश में नम्बर वन पोजीशन में है। जब हमारी गहन चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) में मृत्यु दर 15 प्रतिशत है तो कुल मृत्यु दर कितनी प्रतिशत होगी आप अंदाजा लगा सकते हैं? पटवारी ने कहा कि शिशु स्वास्थ एवं शिशु पोषण में हम पूरी तरह असफल रहे हैं फेल हो गये हैं गहन चिकित्सा इकाई में मौत का प्रतिशत कम नहीं होना इसका जीता जागता उदाहरण है। वही हमीदिया अस्पताल आपकी असफलता का जीता जागता उदाहरण है। जहां आज तक किसी भी चीज की जबावदेही ही तय नहीं हो पायी है। चाहे वह रेमडेसीवर इंजेक्शन के चोरी का मामला हो चाहे हमीदिया में नवजात शिशु की मृत्यु का मामला हो।

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पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने बताया कि मैंने स्वास्थ्य मंत्री से चार प्रश्न किए थे जिसका समुचित उत्तर वह सदन में नहीं दे पाए। जिसमें पहला प्रश्न है कि प्रदेश के पिछले पांच वर्षो में नवजात शिशु जन्म की संख्या क्या है तथा उसमें से कितने मृत हुए साथ ही प्रदेश की सम्पूर्ण एसएनसीयू में शिशु रोग चिकित्सक, स्किल स्टॉफ नर्स के कितनी स्थाई पद स्वीकृत है व कितने पद भरे है, कितने पद खाली है। वही दूसरा प्रश्न है कि हमीदिया अस्पताल आग किस दिनांक को लगी तथा किस अधिकारी पर कार्यवाही किस दिनांक को की गई।

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कार्यवाही में 4 से 5 दिन का विलंब का कारण क्या है? आग पर काबू कितने समय में पाया गया तथा उस वक्त कितने बच्चे भर्ती थे तथा आज दिनांक तक उसमें से कतने मृत्यु हुई तथा हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली के उपहार सिनेमा आग्निकांड के संदर्भ में मालिकों को दी गई सजा के आदेश अनुसार पुलिस में प्रकरण क्यों नहीं दर्ज किया गया। जांच का प्रतिवेदन विधान सभा के पटल पर कब रखा जायेगा व क्या हाईकोर्ट के सिटिंग जज से सरकार इस कांड की जांच करायेगी। 

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जबकि लगभग 2 माह बीत जाने के पश्चात भी क्या हमीदिया अस्पताल के द्वारा फायर सेफ्टी की एन.ओ.सी प्राप्त की गई है या नहीं साथ ही प्रदेश के अन्य कितने जिला चिकित्सालयों में नगर निगम/ नगर पालिका से फायर सेफ्टी के संबंध में एनओसी प्राप्त नहीं की गई है ? एन.ओ.सी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई एवं फायर सेफ्टी के उपकरण भी अभी तक क्रय किए गए अथवा नहीं यह भी स्पष्ट किया जाए और हमीदिया अस्पताल में हुये आग्निकांड में नवजात शिशु की जलकर मौत हुई एवं जो घायल हुये सरकार ने उन परिवारों को कितना-कितना मुआवजा दिया। इस पर आज तक सरकार मौन है।

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