जबलपुर पश्चिम में पंजाब केसरी की सबसे बड़ी पड़ताल, इस सीट पर सांसद राकेश सिंह का मुकाबला, MLA तरुण भनोट से

Edited By meena, Updated: 15 Oct, 2023 05:18 PM

mp rakesh singh contests against mla tarun bhanot on jabalpur seat

लोकतंत्र की पिच में राजनीति के जरिए जन सेवा के भाव से सियासत के सूरमा मध्य प्रदेश के चुनावी मैदान में उतर चुके हैं

जबलपुर (विवेक तिवारी): लोकतंत्र की पिच में राजनीति के जरिए जन सेवा के भाव से सियासत के सूरमा मध्य प्रदेश के चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। रणभूमि में पक्ष और विपक्ष दो-दो हाथ कर रहे हैं। अस्त्र-शस्त्र के रूप में विकास के वादे साथ हैं। अब जनता की बारी है कि इन सियासी खिलाड़ियों के अस्त्र के ऊपर कितना भरोसा करती है और उनको लोकतंत्र के महल यानी विधानसभा में भेजती है या नहीं।

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मध्य प्रदेश में इस बार का विधानसभा चुनाव बेहद ही रोचक बना हुआ है। बीजेपी इस बार मध्य प्रदेश में बिना सीएम फेस के चुनावी मैदान में उतरी है, तो कांग्रेस ने कमलनाथ को अपना चेहरा बना दिया है। अब इन हालातों में बीजेपी का विशाल संगठन चुनावी मैदान में है तो सामने बीजेपी के संगठन को ध्वस्त करने के इरादे से कांग्रेस 2018 के बाद एक बार फिर अपनी जीत तय करने में जुटी हुई है। ऐसे में पंजाब केसरी के तमाम जमीनी रिपोर्टर अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में जनता की नब्ज टटोलने में जुटे हुए हैं। बात सबसे पहले महाकौशल क्षेत्र की ही आती है यह वही क्षेत्र है जहां से कांग्रेस की ओर से घोषित मुख्यमंत्री फेस आते हैं। महाकौशल के छिंदवाड़ा जिले से। इसी महाकौशल ने 2018 में कांग्रेस को भरपूर समर्थन देते हुए कमलनाथ को एमपी का मुख्यमंत्री बना दिया था। लिहाजा यह इलाका कांग्रेस के लिए पिछले चुनाव में खुशखबरी लेकर आया था तो बीजेपी के लिए मायूसी छा गई थी। लेकिन इस बार महाकौशल फतह करने के लिए बीजेपी भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। सांसदों की फौज भी इस बार चुनावी मैदान में उतारी गई है। महाकौशल के सबसे बड़े जिले जबलपुर में पंजाब केसरी की एक बड़ी टीम ने मैदानी हकीकत जानी और यहां के समीकरण को भी टटोला। जबलपुर की पश्चिम विधानसभा सीट का हाल सबसे पहले इस कड़ी में हम आपको बताते हैं। यहां पर मुकाबला बेहद हाई प्रोफाइल हो गया है। बीजेपी ने इस सीट पर चौंकाने वाला निर्णय लिया और यहां से जबलपुर लोकसभा से चार बार से रिकॉर्ड मतों से जीत रहे मध्य प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रहे राकेश सिंह को चुनावी मैदान पर उतार दिया है। कांग्रेस की ओर से यहां पर दो बार के विधायक और कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री रहे तरुण भनोट चुनावी मैदान पर उतर चुके हैं। दोनों ही चेहरे अपने आप में बेहद लोकप्रिय माने जाते हैं। चुनावी आंकड़े यह बताते हैं कि जनता उनको भरपूर आशीर्वाद देती है जब वे चुनावी मैदान में उतरते हैं। लेकिन पश्चिम विधानसभा की सीट इस बार बेहद चुनौती पूर्ण दोनों ही दलों के लिए हो गई है। कांग्रेस विधायक तरुण भनोट यहां से तीसरी बार विधानसभा जाने की चाहत रखते हैं। तो उनका रास्ता रोकने के लिए बीजेपी ने महाकौशल के सबसे बड़े चेहरे और अपने लोकसभा क्षेत्र में हर बार रिकार्ड मतों से विजय हासिल करने वाले राकेश सिंह को चुनावी मैदान में उतार दिया है। उनके सामने बड़ी चुनौती यह है कि वह अपने लोकसभा में जिस तरह से चुनाव लड़ते थे और रिकॉर्ड जीत दर्ज करते थे वही कारनामा वे जिले की पश्चिम विधानसभा में करके दिखा दें और पिछले 10 सालों के पहले जिस तरह से पश्चिम विधानसभा बीजेपी का गढ़ हुआ करती थी एक बार फिर जीत कर रिकॉर्ड कायम करें।

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इस बार कितना बड़ा है मुकाबला

पश्चिम विधानसभा बीजेपी का गढ़ हुआ करती थी पिछले 10 सालों से यहां पर तरुण भनोट विधायक हैं। इसके 15 साल बीजेपी की ओर से हरेंद्रजीत सिंह बब्बू विधायक रहे लेकिन अब बीजेपी के इस गढ़ पर कांग्रेस के तरुण  भनोट ने कब्जा जमा लिया है। लगातार इस क्षेत्र में उनकी जमीनी पकड़ को देखते हुए बीजेपी ने बड़ा टास्क लोकसभा के सांसद राकेश सिंह को दिया है जो अब तक चुनावी मैदान में कभी भी नहीं हारे हैं, और हर बार उनकी जीत का आंकड़ा बढ़ा ही है। चौंकाने वाली बात यह है कि पश्चिम विधानसभा में पिछले 10 सालों में जब तरुण भनोट अपनी मैदानी पकड़ बना रहे थे। उसी वक्त हुए दो लोकसभा चुनाव में राकेश सिंह ने पश्चिम के किले पर भारी मतों से फतह हासिल की है। उनकी जीत का आंकड़ा दो लोकसभा चुनाव में 90 हजार और 84 हजार रहा है। इस लिहाज से देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में पश्चिम विधानसभा की जनता ने लोकसभा भेजने के लिए राकेश सिंह को जमकर समर्थन दिया। शायद यही वजह है कि उनके रिकॉर्ड को देखते हुए इस बार पश्चिम में उनको  उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है। राकेश सिंह के चुनावी रिकॉर्ड सिर्फ मोदी सरकार में जबरदस्त नहीं है यूपीए गवर्नमेंट के वक्त भी वे 2004 और 2009 का लोकसभा चुनाव भारी मतों से जीत चुके हैं। उसके बाद 2014 और 19 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता विवेक कृष्ण तंखा को रिकॉर्ड मतों से शिकस्त दी है। लेकिन इस बार जब चुनावी मैदान में राकेश सिंह उतरे हैं तो हालात पश्चिम विधानसभा के हटके हैं। इस बार वे पश्चिम विधानसभा में दोहरी भूमिका में नजर आ रहे हैं। जैसे ही उन्हें उम्मीदवार घोषित किया गया सबसे पहले यहां पर उन्होंने अपने संगठन को मजबूत करना शुरू किया। बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं को एकजुट किया और उसके बाद वे अपनी चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। अपने व्यापक अनुभव के बल पर अब उनके साथ कार्यकर्ता एकजुट नजर आ रहे हैं। राजनीतिक पंडित यह कहते हैं कि पश्चिम विधानसभा बीजेपी का गढ़ है अगर इस गढ़ पर कार्यकर्ताओं को जागृत कर लिया गया तो परिणाम बेहद सकारात्मक हो सकते हैं। शायद यही वजह है कि उम्मीदवारी घोषित होने के बाद राकेश सिंह लगातार अपने अनुभव और कौशल के आधार पर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में जुटे हुए हैं। उनकी व्यापक रणनीति के चलते पश्चिम में बीजेपी की खोई हुई ताकत धीरे-धीरे वापस भी आ रही है। तो वहीं दूसरी ओर लोकसभा क्षेत्र में व्यापक विकास कार्य उनको अपार ताकत चुनावी मैदान में उतरने पर दे रहे हैं। इस लिहाज से  देखा जाए तो 10 सालों से जिस तरह से कांग्रेस ने यहां मजबूत पकड़ बनाई है। उस पकड़ को ध्वस्त करने के लिए अपने लोकसभा में किए गए विकास कार्यों को लेकर राकेश सिंह जमीनी तौर पर उतर चुके हैं।

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पश्चिम विधानसभा के मुद्दे और यहां का सियासी गणित

पश्चिम विधानसभा की करीब ढाई लाख की आबादी में सामान्य वर्ग के वोटर और सिख समाज के वोटर की काफी ज्यादा संख्या है। यहां पर गरीबों की विस्थापित बस्तियां भी है जहां पर विकास का मुद्दा काफी व्यापक रहता है। पश्चिम विधानसभा में ही बुद्धिजीवियों का बड़ा वर्ग निवास करता है तो यहां पर कर्मचारियों की संख्या भी बहुत ज्यादा है। पश्चिम विधानसभा के विधायक तरुण भनोट पिछले 10 सालों से यहां पर विधायक हैं लिहाजा क्षेत्र की जनता उनको बेहतर पहचानती है और लगातार उनको यहां से जीतते भी आ रही है लेकिन इस बार जैसे ही लोकसभा के सांसद राकेश सिंह को यहां से उम्मीदवार बनाया गया यहां का सियासी गणित और सियासी मिजाज भी बदल गया। अब यहां पर मुकाबला बेहद चुनौती पूर्ण हो गया है लिहाजा लोकसभा के सांसद राकेश सिंह की चर्चा भी हर घर में हो रही है। लोकसभा में उनके किए गए कार्यों का मूल्यांकन भी हो रहा है तो विधायक तरुण भनोट ने जो विकास कर अपने क्षेत्र में कराए जो मूलभूत जरूरतें थी उनको पूर्ण किया जिसके जरिए वे आगे बढ़ रहे हैं। तरुण भनोट का दावा है कि जो मैंने कर्म किए हैं क्षेत्र की जनता के लिए उसका फल मुझे मिलेगा तो सांसद जबलपुर राकेश सिंह अपने बड़े विकास कार्यों के जरिए आगे बढ़ रहे हैं।

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सांसद राकेश सिंह के विकास का एजेंडा

जबलपुर सांसद राकेश सिंह ने जबलपुर को विकसित करने के लिए कई कार्य किए हैं। क्षेत्र की जनता उन विकास कार्यों के जरिए ही उनको पिछले 20 सालों से लोकसभा में भेजती रही है। राकेश सिंह के बड़े 10 कामों के बारे में अगर क्षेत्र की जनता जानती है तो उसमे 1100 करोड रुपए का फ्लाई ओवर है। इसका एक हिस्सा जनता के लिए चालू हो चुका है दूसरा भी जल्द चालू हो जाएगा। इसके अतिरिक्त जबलपुर में 118 किलोमीटर की रिंग रोड भी प्रस्तावित है। नैरोग्रेज से ब्रॉड गेज रेलवे लाइन सांसद राकेश सिंह का बड़ा कार्य है। आईटी पार्क की स्थापना में भी सांसद ने बड़ा योगदान किया है। दो बड़े लॉजिस्टिक पार्क की स्वीकृति, जबलपुर में हवाई सुविधा, नाइट लैंडिंग की सुविधा। 450 करोड रुपए की लागत से बनने वाला आधुनिक एयरपोर्ट और जबलपुर से हर इलाके से चलने वाली ट्रेनों की सौगात देने में भी जबलपुर सांसद का बड़ा योगदान है। जबलपुर में जियोलॉजिकल पार्क बनने जा रहा है। जबलपुर में इंडोर स्टेडियम की स्वीकृति, साइंस सेंटर, तारामंडल की स्वीकृति, फूड एंड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट की स्थापना। डुमना नेचर रिजर्व फॉरेस्ट पर्यटक स्थल के रूप में विकसित, संग्राम सागर तालाब का उन्नयन, बरगी बांध में वॉटर स्पोर्ट्स की शुरुआत, इसके साथ दर्जनों ऐसे कार्य हैं जिसमें जबलपुर सांसद राकेश सिंह ने बाजी मारी है और उनके कामों की चर्चा जबलपुर की जनता भी करती है।

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तरुण के विकास का एजेंडा

पश्चिम विधानसभा में तरुण भनोट ने पिछले 10 सालों में कई विकास कार्य किए हैं। गली-गली में सड़कों का जाल बना दिया है। उन्होंने जो अपने विकास का रिपोर्ट कार्ड जारी किया है उसमें साफ दर्शाया गया है कि हमने गली-गली में सड़क नाली की व्यवस्था की है। इसके अलावा बड़े-बड़े इलाकों में हमने इलाके की सुंदरता के लिए गार्डन का भी निर्माण किया है। विशेष कार्य की अगर बात की जाए तो बरगी हिल्स कॉलोनी में आईटी पार्क से गुजरती हुई 60 फीट चौड़ी सड़क का निर्माण, तिलवारा घाट में सुंदरीकरण, जेडीए गार्डन का शास्त्री नगर में निर्माण ललपुर में पानी की टंकी का निर्माण और भी ऐसे सैकड़ों कार्य है जिसकी लिस्ट कांग्रेस की ओर से जारी की गई है। तरुण भनोट विकास कार्यों में साफ कहते हैं कि क्षेत्र की जनता ने मेरा काम देखा है मैं बेटा बनाकर कार्य कर रहा हूं रिजल्ट अब जनता देगी। मैंने सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

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विकास पर होगी चुनावी जंग

पश्चिम विधानसभा के सियासी गणित को देखकर राजनीतिक जानकार कहते हैं कि विकास के एजेंडे पर ही दोनों दल लड़ेंगे, तो क्षेत्र की जनता अभी दोनों ही दलों का समर्थन पंजाब केसरी की रिपोर्ट में कर रही है। पश्चिम विधानसभा में अब बीजेपी की ओर से राकेश सिंह और कांग्रेस की ओर से तरुण भनोट घोषित प्रत्याशी हो चुके हैं। इस लिहाज से जनता मूल्यांकन करने में जुटी हुई है तो वहीं तरुण भनोट अपने 10 साल के सेवा कार्य को लेकर चुनावी मैदान में है तो राकेश सिंह लोकसभा क्षेत्र में अपने वृहद विकास कार्यों के साथ जनता के बीच जा रहे हैं। जनता दोनों ही उम्मीदवारों का मूल्यांकन कर रही है। कोई किसी से कम नहीं है लेकिन सियासत में वोटर ही उनकी किस्मत को ईवीएम में कैद करेंगे। लिहाजा जितना वक्त बचा है। उसी वक्त में अपने-अपने वादे और अपनी बात जनता के सामने रखी जा रही है।

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