Edited By PTI News Agency, Updated: 07 Apr, 2020 05:29 PM
भोपाल, सात अप्रैल (भाषा) इन्दौर में कुछ मुस्लिम युवकों ने एक बुजुर्ग महिला की अर्थी को कंधा देकर और उसके अंतिम संस्कार में मदद करके एक मिसाल कायम की है। लॉकडाउन के कारण महिला के अन्य रिश्तेदार अंतिम संस्कार में पहुंचने में असफल रहे थे।
भोपाल, सात अप्रैल (भाषा) इन्दौर में कुछ मुस्लिम युवकों ने एक बुजुर्ग महिला की अर्थी को कंधा देकर और उसके अंतिम संस्कार में मदद करके एक मिसाल कायम की है। लॉकडाउन के कारण महिला के अन्य रिश्तेदार अंतिम संस्कार में पहुंचने में असफल रहे थे।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इन्दौर के मुस्लिम युवाओं के इस प्रयास की प्रशंसा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘इंदौर के नार्थ तोड़ा क्षेत्र में एक बुजुर्ग हिन्दू महिला द्रोपदी बाई की मृत्यु होने पर क्षेत्र के मुस्लिम समाज के लोगों ने उनके दो बेटों का साथ देकर उनकी शवयात्रा में कंधा देकर व उनके अंतिम संस्कार में मदद कर जो आपसी सदभाव की व मानवता की जो मिसाल पेश की, वो क़ाबिले तारीफ़ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यही हमारी गंगा - जमुनी संस्कृति है। ऐसे दृश्य हमारे आपसी प्रेम-सद्भाव व भाईचारे को प्रदर्शित करते हैं।’’
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा ने मंगलवार को कहा कि 65 वर्षीय द्रोपदी बाई का सोमवार को इन्दौर में निधन हो गया। वह पक्षघात से पीड़ित थीं और अपने बड़े बेटे के साथ रहती थी। वे बहुत गरीब हैं।
उन्होंने बताया कि असलम, अकील, सिराज, इब्राहिम और आरिफ सहित कुछ मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को इसके बारे में पता चला तो वे आगे आए और न केवल बुजुर्ग महिला की अर्थी को कंधा दिया बल्कि उसके अंतिम संस्कार में सहायता भी की। चूंकि शहर में लॉकडाउन होने के कारण कोई शव वाहन भी नहीं मिल रहा था। इसलिए वे लगभग 2.5 किलोमीटर तक अर्थी को कंधा देकर श्मशान गृह तक ले गए।
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें मुस्लिम समुदाय के युवा इस महिला की अर्थी को कंधा देते नजर आ रहे हैं। ये लोग मुस्लिम टोपी के साथ कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिये मास्क भी पहने नजर आ रहे हैं।
सलूजा ने कहा कि इन मुस्लिम युवकों का कहना है कि यह उनका कर्तव्य है क्योंकि उनका बचपन यहीं बीता है।
क्षेत्रीय निवासियों ने बताया कि दिवंगत महिला लम्बे समय से लकवे की मरीज थी। हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक उसके पार्थिव देह को उसके बेटे ने जूनी इंदौर मुक्तिधाम में मुखाग्नि दी।
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