'मीसाबंदी पेंशन' को लेकर HC ने सरकार को दिए ये आदेश

Edited By suman, Updated: 23 Jan, 2019 10:16 AM

the order passed by hc to the government

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने भाजपा सरकार में जारी मीसा बंदियों की पेंशन पर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार द्वारा रोक लगाए जाने संबंधी याचिका पर नोटिस जारी किए हैं और सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने के लिए निर्देश दिया है।

ग्वालियर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने भाजपा सरकार में जारी मीसा बंदियों की पेंशन पर कांग्रेस की कमलनाथ सरकार द्वारा रोक लगाए जाने संबंधी याचिका पर नोटिस जारी किए हैं और सरकार को चार सप्ताह में जवाब देने के लिए निर्देश दिया है।
 

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दरअसल मध्य प्रदेश की तरह ही देश के करीब 10 राज्यों में मीसा बंदियों को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही मीसाबंदियों की पड़ताल शुरू हो गई है| पहले पेंशन बंद करने की बात सरकार की ओर से सामने आई फिर अब सरकार मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन करा रही है| इसके खिलाफ ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

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कांग्रेस सरकार का मानना है कि मीसा बंदियों के नाम पर कुछ अपात्र लोग पेंशन का लाभ पा रहे थे। इसलिए इसे रोका गया है । इस सुविधा पर रोक लगाने से मीसाबंदी आक्रोशित हो गए। उन्होंने हर जिले में ज्ञापन दिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी। हालांकि सरकार ने मीसा बंदियों के विरोध के बाद इसकी समीक्षा के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में आपातकाल लागू हुआ था। उस समय कई लोगों को जेलों में बंद कर दिया गया था और यातनाएं दी गईं थी। बाद में यह लोग रिहा हो गए जिन्हें लोकतंत्र सेनानी (मीसा बंदी ) कहा गया। अब हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है और इनकी पेंशन रोकने का कारण पूछा है।

 

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घर- घर जाएंगे अधिकारी, पूछेंगे आपातकाल में कहां थे
लोकतंत्र सेनानियों (मीसाबंदियों)को मिलने वाली पेंशन समेत अन्य सुविधाओं पर रोक लगाने से घिरी कमलनाथ सरकार ने अब नया फरमान जारी कर दिया है। मीसाबंदियों का भौतिक सत्यापन करने के लिए सरकारी अधिकारी अब उनके घर-घर जाएंगे। साथ ही पड़ौसियों से उनके बारे में जानकारी जुटाएंगे। यह भी पूछा जाएगा कि आपातकाल में ये कहां थे।

राज्य शासन ने कलेक्टरों को फरमान जारी कर कहा है कि लोकतंत्र सेनानी एवं उनके आश्रित पति-पत्नी का भौतिक सत्यापन मौके पर किया जाए। इस कार्रवाई को अंजाम राजस्व निरीक्षक से अनिम्न स्तर के कर्मचारी से कराई जाए। खास बात यह है कि सत्यापन के दौरान स्थानीय व्यक्तियों से मीसाबंदियों के बारे में पूछा जाए। इसकी पूरी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाएगी। जिनकी रिपोर्ट सही आएगी, उन्हें सम्मान निधि की राशि की जाएगी।

 

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