PEKB खदान बंद होते ही बेरोजगार हुए हजारों ग्रामीण, फिर से शुरु करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे

Edited By meena, Updated: 22 Aug, 2022 06:00 PM

thousands of villagers became unemployed pekb mines were closed

परसा ईस्ट और केते बासेन (पीईकेबी) कोयला खदान परियोजना के बंद होने की खबर से सरगुजा में हड़कंप सा मच गया है। जिला मुख्यालय के आस पास के रहने वाले ग्रामीणों पर रोजी रोटी का सकंट सामने आ खड़ा हुआ है ऐसे में खदान में काम करने वाले स्थानीय मजदूरों और...

अंबिकापुर(प्रशांत यादव): परसा ईस्ट और केते बासेन (पीईकेबी) कोयला खदान परियोजना के बंद होने की खबर से सरगुजा में हड़कंप सा मच गया है। जिला मुख्यालय के आस पास के रहने वाले ग्रामीणों पर रोजी रोटी का सकंट सामने आ खड़ा हुआ है ऐसे में खदान में काम करने वाले स्थानीय मजदूरों और कर्मचारियों को नौकरी जाने का भय सताने लगा है। दरअसल, पीईकेबी कोयला खदान पर काम करने वाले ग्रामीणों के घर इस की वजह से चुल्हा जलता था। पिछले एक दशक से पीईकेबी खुली खदान में ग्राम साल्हि, परसा, घाटबर्रा, फत्तेपुर, तारा इत्यादि ग्रामों के ग्रामीण काम करते हैं। ऐसे में ग्रामीण सड़कों पर उतर आए हैं और सरकार से खदान बंद न करने की गुहार लगा रहे हैं। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) के सरगुजा जिले में उदयपुर विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पीईकेबी खुली खदान परियोजना में खनन का कार्य अब गत सप्ताह से थम गया है। केंद्र और प्रदेश सरकार को कई सौ करोड़ के रॉयल्टी देने के साथ साथ जो गांव देश के मानचित्र में कोयला खदानों के लिए पहचाना जाने लगा था। उन क्षेत्रों के विकास को अब ग्रहण लगने वाला है।

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वर्ष 2013 में चालू हुए इस खुली कोयला खदान में लगभग 5000 से भी अधिक स्थानीय लोग प्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त है। वहीं इससे दो गुने लोग अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न स्वरोजगारों से जुड़े हुए हैं। लेकिन पिछले कई महीनों से सभी जरूरी अनुमति मिलने के पश्चात भी यहां खनन के दूसरे चरण का कार्य शुरू नहीं किया जा सका है। जिसकी वजह से आरआरवीयूएनएल की खनन और विकास प्रचालक (एमडीओ) कंपनी द्वारा कोयला लोडिंग के कुल करार को ठेका कंपनी के कार्य में कटौती करना शुरू कर दिया गया है। अब चूंकि ठेका कंपनियों में कर्मचारी स्थानीय ग्रामीण ही हैं जिन्हें एक दशक से नौकरी मिली है। उन्हें भी कर्मचारियों की छुट्टी करनी पड़ सकती है कई बहुत से ग्रामीणों को नोटिस भी मिल चुका है। ऐसे में उनके सामने एक बार फइर से रोजगार का मुद्दा आ खड़ा हुआ है। ऐसे सभी ग्रामीणों ने अब सरकार की शरण ली है और खदान को चलाये रखने की अपील की है। ग्रामीण अंबिकापुर बिलासपुर के साल्हि मोड़ पर पिछले दस दिनों से धरने पर बैठे मदद की गुहार लगा रहे है। इन सभी ने आज खदान को पुनः शुरू कराने प्रदेश शासन से गुहार लगाई है। अपनी एकजुटता दिखाने आज 150 से अधिक स्थानियों ने साल्हि मोड़ से पंचायत भवन स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा तक रैली निकालकर खदान शुरू कराने अपनी आवाज बुलंद की। रैली में ग्राम घाटबर्रा के अभिराम, शेखर तिर्की और इनके कई साथी, ग्राम साल्हि से सुनींद्र उइके और बुधराम उइके तथा इनके कई साथी, ग्राम परसा के ओमप्रकाश और इनके साथी, ग्राम तारा के चितेंद्र और इनके कई साथी तथा ग्राम फत्तेपुर के मदन सिंह और जगतपाल पोर्ते और इनके कई साथी मौजूद थे।

इन सभी ने रैली के दौरान अपने नौकरी जाने के भय तथा इससे प्रभावित होने वाले कारणों को बताया। उन्होंने कहा कि "अगर खदान का काम पुनः शुरू नहीं होता है तो हमारे गावों में कंपनी द्वारा चलाये जा रहे कई जन हित  के कार्य जैसे इंग्लिश मीडिया स्कूल जहां हमारे बच्चे अभी मुफ्त में गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, बंद हो सकता है। साथ ही अधोसंरचना विकास के कई कार्य, जीविकोपार्जन और आजीविका संवर्धन के कार्य भी बंद हो जायेंगे। यहीं नहीं हमें घर बैठे अच्छी स्वास्थ्य सुविधा भी उपलब्ध हो रही है। और अभी हालही में हमारे ग्राम साल्हि में ही 100 बिस्तरों के सर्वसुवधा युक्त अस्पताल के लिए जमीन चिन्हित की गई है यह भी परियोजना खटाई में पड़ सकती है। इसलिए हम सब ग्रामवासी राज्य और केंद्र सरकार से अपील करते है कि हमारी रोजोरोटी और इन जनहित के कार्यों को सुचारु रूप से चलाये रखने के लिए पीईकेबी खदान पुनः शुरू कराया जाये। जिससे हम सभी ग्रामीण अपने परिवार का भरण पोषण अच्छी तरह से करते रहें।"

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