MP Election: प्रदेश की राजनीति में उमा भारती का दखल उनकी घर वापसी का संकेत तो नहीं ?

Edited By Vikas kumar, Updated: 15 Nov, 2018 03:21 PM

uma bharti s interference in state politics is not a sign of his return

मध्यप्रदेश में पिछले 15 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। वर्ष 2003 में बीजेपी की सरकार बनवाने में मुख्य भूमिका निभाने वाली उमा भारती का वनवास इ...

भोपाल: मध्यप्रदेश में पिछले 15 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। वर्ष 2003 में बीजेपी की सरकार बनवाने में मुख्य भूमिका निभाने वाली उमा भारती का वनवास इस विधानसभा चुनाव में खत्म होता प्रतीत हो रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विरोध के कारण वे पिछले आठ सालों से प्रदेश की राजनीति से दूर थीं। लेकिन इस विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के लिए उमा भारती जिस तरह से प्रचार कर रहीं हैं, उससे एसा लगता है कि, वे अगले लोकसभा चुनाव में प्रदेश की किसी भी सीट से चुनाव लड़ सकतीं हैं।

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2003 विधानसभा में थीं पार्टी का ताकतवर चेहरा...
2003 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने उमा भारती के चेहरे को आगे रखकर ही प्रदेश में 10 सालों से राज करने वाले दिग्विजय सिंह को परास्त कर दिया था। जिसके बाद उमा भारती प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन कर्नाटक के हुबली में दर्ज एक अपराधिक केस के चलते उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जिसके बाद बाबूलाल गौर को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उमा भारती तिरंगा यात्रा पर निकल गईं थी। इस यात्रा के समाप्त होते ही उन्होंने फिर से मुख्यमंत्री पद के लिए दावा किया। लेकिन यह संभव नहीं हो सका जिसके बाद उन्होंने शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध भी किया। 

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बीजेपी छोड़ कर बनाई नई पार्टी...
इसके बाद ही उमा भारती ने भाजपा से दूरियां बनाकर भारतीय जनशक्ति पार्टी के नाम से एक नया दल बनाया। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में उमा ने अपने उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में उतारे थे। लेकिन कोई खास सफलता इन्हें नहीं मिली। पिछले 15 सालों में उमा भारती दो बार पार्टी से अलग हुईं लेकिन, 2011 में उनकी वापसी बीजेपी में इसी शर्त पर हुए कि वे मध्यप्रदेश की राजनीति से दूर रहेंगी। 

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उत्तरप्रदेश से की अपनी दूसरी पारी की शुरुआत...
इसके बाद उमा भारती ने उत्तरप्रदेश की राजनीति में अपना कदम रखा और वे 2014 में हुए आम चुनाव में झांसी से जीत कर लोकसभा पहुंच गईं। जहां उन्हें जल संसाधन और गंगा सफाई मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। बाद में उन्हें पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय दे दिया गया। इसी बीच मध्यप्रदेश मे व्यापम घोटाला उजागर हुआ जिसमें उमा भारती का भी नाम आया। उमा ने इसे राजनीतिक षड़यंत्र बताया और गिरफ्तारी देने के लिए तैयार हो गईं। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने किसी तरह इस मामले को शांत किया। लेकिन एक बार फिर शिवराज और उमा भारती में तनाव पैदा होते दिख रहा था।

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2018 विधानसभा चुनाव में दस्तक...
2018 विधानसभा चुनावों में उमा भारती के तेवर कुछ बदले नजर आ रहे हैं, वे पार्टी प्रत्याशियों के लिए प्रचार भी कर रही हैं। पिछले कुछ महीनों में शिवराज सिंह ने उमा भारती से अपने रिश्तों को सुधारने का प्रयास शुरू कर दिया है। इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि, हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी बंगलों को खाली करने का आदेश दिया था। लेकिन इस आदेश के बाद भी शिवराज ने उमा भारती का बंगला खाली नहीं कराया। 

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सरताज सिंह से किया टिकट लौटाने का आग्रह... 
टिकट वितरण से नाराज पूर्व मंत्री सरताज सिंह कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। जब उमा भारती बीजेपी के सीताशरण शर्मा का नामांकन दाखिल करवाने होशंगाबाद पहुंची तो निर्वाचन अधिकारी कक्ष में उमा का सामना सरताज सिंह से हो गया। सरताज ने उमा के पैर छुए। इस बीच उमा ने सरताज से कहा कि, वे कांग्रेस का टिकट लौटा दें।

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स्टार प्रचारकों में है नाम...
बीजेपी ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट में उमा भारती का भी नाम रखा है। उमा की सक्रियता का सीधा मतलब यही निकाला जा रहा है कि, वे प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से एंट्री करने के लिए तैयार हैं। हो सकता है कि आने वाले लोकसभा चुनावों में उन्हें प्रदेश की ही किसी सीट से मैदान में उतारा जाए।

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