Edited By meena, Updated: 12 Dec, 2023 12:18 PM
महाकाल की नगरी उज्जैन मध्य प्रदेश की आन बान शान में चार चांद लगाती है और इस नगरी को एक बार फिर गौरांवित किया है
भोपाल (विवान तिवारी): महाकाल की नगरी उज्जैन मध्य प्रदेश की आन बान शान में चार चांद लगाती है और इस नगरी को एक बार फिर गौरांवित किया है एक सामान्य यादव परिवार बेटे ने। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्ष 1982 में पहली बार माधव साइंस कॉलेज के जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर बैठने के बाद छात्र राजनीति के सहारे मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राजनीति में पहला कदम रखा और यह एक ऐसा कदम था जिसने फिर कभी शायद यादव को पीछे मुड़कर देखने ही नहीं दिया।
फिर शुरू होता है कई अलग अलग जिम्मेदारियों को निभाने का दौर। 1984 में ये उसी साइंस कॉलेज के अध्यक्ष बनते हैं फिर इसी वर्ष अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री के पद तक पहुंच जाते हैं। वर्ष 1988 में संगठन उन पर विश्वास जताता है। उनके कुशल कार्यक्षमता पर भरोसा जताते हुए उन्हें एबीवीपी के प्रदेश सह मंत्री एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य भी बनाया जाता है।
लगातार चढ़ते गए सफलता की सीढ़ी
भले ही मध्य प्रदेश के मुखिया का नाम जब 11 दिसंबर को विधायक दल की बैठक में तय किया गया तब जिसने सुना वह चौका, मगर मोहन यादव के राजनीतिक कैरियर और लगातार सफलता की सीढ़िया पर चढ़ने की प्रक्रिया को अगर समझा जाए तो शायद हर कोई इसे कोई अचंभा नहीं बल्कि उनकी मेहनत और उपलब्धियों का नतीजा मानेगा।
1991 से लेकर 1992 तक मोहन यादव परिषद के राष्ट्रीय मंत्री के पद पर आसीन रहे उसके बाद 1993 से 95 तक आरएसएस उज्जैन शाखा के सहखंड कार्यवाह बने। 1997 में भाजयुमो की प्रदेश कार्य समिति के सदस्य बने। 1998 में पश्चिम रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य बने 99 में उन्हें भाजयुमो के उज्जैन संभाग का प्रभारी बनाया गया।
2013 में पहली बार लड़ी विधायकी
यादव के कई अलग-अलग जिम्मेदारियो को अगर इस लेख में जोड़ा जाए तो यह लेख काफी लंबी हो जाएगी मगर अब चलते हैं वहां जहां से इनका राजनीतिक भविष्य और ज्यादा मजबूत हुआ। वर्ष 2013 में उज्जैन दक्षिण से भारतीय जनता पार्टी ने मोहन यादव पर विश्वास जताते हुए उन्हें पहली बार विधायकी का टिकट दिया और उस विश्वास पर ये खरे उतरे।
पहली बार मोहन उज्जैन से विधायक बनकर आए उसके बाद उन्होंने वर्ष 2018 में दूसरी बार उज्जैन दक्षिण सीट से चुनाव जीता। वर्ष 2020 में जब शिवराज सरकार बनी तो उन्हें कैबिनेट में शामिल कर उच्च शिक्षा मंत्री बना दिया गया बस फिर क्या था इसके बाद मंत्री बने मोहन यादव तब से सूबे की राजनीति में एक ऊंचे कद के नेता के रूप में जाने-जाने लगे।