Edited By Vikas Tiwari, Updated: 04 Jan, 2021 07:22 PM
भक्ति और आस्था की जो तस्वीर आपको दिखाई दे रही है, यह सामने निकलकर आई है मध्यप्रदेश के सीहोर से, जहां धूनी वाले दादा के दरबार में भक्त उनके दर्शन के लिए उमड़ती नजर आ ...
नसरुल्लागंज (अमित शर्मा): भक्ति और आस्था की जो तस्वीर आपको दिखाई दे रही है, यह सामने निकलकर आई है मध्यप्रदेश के सीहोर से, जहां धूनी वाले दादा के दरबार में भक्त उनके दर्शन के लिए उमड़ती नजर आ रही है। धूनी वाले बाबा की एक झलक के लिए हजारों श्रद्धालु कोरोना की फिकर किए बगैर ही उनके मंदिर में पहुंच रहे हैं, और दर्शन लाभ लेकर अपना जीवन धन्य कर रहे हैं।
दरअसल धूनी वाले दादा को लेकर जितनी श्रद्धा लोगों के जहन में है, कमोवेश उनका इतिहास भी उसका भी उतना ही रोचक हैं। कहा जाता है, कि केशवानंदजी महाराज एवं हरिहर भोले भगवान ने 1930 मे छीपानेर नर्मदा तट पर धूनी प्रज्जवलित कर स्थान बनाया। वहीं संत श्री लालजी गंगराडे बताते है कि नर्मदा तट पर बना दादाजी धूनीवाले का स्थान यह बड़े दादाजी स्वयं यहां 1920 में विराजे थे। उन्होंने यहां धूनी प्रज्जवलित की थी। इस स्थान को बाद में दादाजी के परमभक्त शिवानंदजी महाराज ने जागृत रखा। वर्तमान में यहां उनकी समाधि भी है। यहां दादाजी को स्वरूप, धूनी मैया, मंदिर, नर्मदाजी की मूर्ति विराजित है। कई बड़े संत तो ऐसे भी रहे, जो पूज्य दादाजी के दर्शनार्थ आए ओर दादाजी की आज्ञा पाकर निकल पड़े, उन्होंने दादा नाम जारी रखा। इस तरह देशभर में दादाजी धूनीवाले के करीब 30-35 पवित्र स्थान हैं। जहां दादाजी के चमत्कार देखने को मिले।
दादा जी की यह लीलाओं को जब आप उनके भक्तों से सुनोगे, तो एक बार के लिए आप भी आश्चर्यचकित हो जाओगेजानिए किस तरह के चमत्कारों ने उन्हें दादाजी का परम भक्त बना दिया। इन सबके अलावा दादा जी महाराज के साथ एक खास वाकया भी जुड़ा हुआ है। जिसके बारे में जानकर हर कोई दंग रह जाएगा। कहा जाता है, कि खुद नर्मदा मैया ने दादा को भगवान शिव का अवतार बताया था, और यह पूरा किस्सा भी अपने आप में कुछ कम रोचक नहीं है।