Edited By ASHISH KUMAR, Updated: 12 Feb, 2019 06:19 PM
मध्य प्रदेश में बेरोजगारी के नाम सभी राजनीतिक दलों ने वोट हासिल करने की कोशिश की है। इसमें कोई अतिशयोक्ति न होगीं अगर कहा जाए कि बेरोजगारी के मुद्दे को हवा देकर ही कांग्रेस सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने में कामयाब हुई। वहीं रोजगार के नाम पर पूर्व बीजेपी...
भोपाल: मध्य प्रदेश में बेरोजगारी के नाम सभी राजनीतिक दलों ने वोट हासिल करने की कोशिश की है। इसमें कोई अतिशयोक्ति न होगीं अगर कहा जाए कि बेरोजगारी के मुद्दे को हवा देकर ही कांग्रेस सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने में कामयाब हुई। वहीं रोजगार के नाम पर पूर्व बीजेपी सरकार ने भी जमकर ढोल पीटा लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट ही है। हाल ही में आए नए आंकड़ों ने पूर्व सरकार की पोल खोलकर रख दी है। मई 2018 में बेजोजगारों की संख्या 24 लाख थी।10 फरवरी 2019 में ये संख्या बढ़कर 30 लाख 14 हजार के पार कर गई है। हालांकि, कमनाथ सरकार ने सत्ता में आने के बाद बेरोजगारों को 100 दिन का रोजगार देने का वादा किया है। इसके लिए राज्य सरकार ने युवा स्वाभिमान योजना का ऐलान किया है।
स्वाभिमान योजना का ऐलान होने के बाद रोजगार कार्यालयों में पंजियन के लिए लगातार आदोवनों की संख्या बढ़ रही है। प्रदेश में रोजगार मुहैया करवाना कमलनाथ सरकार के लिए एक बड़ा चैलेंज है। सरकार में आने से पहले ही कमलनाथ ने प्रदेश में रोजगार के लिए कई वादे किए हैं। योजना के तहत युवाओं में स्किल डेवलप कराई जाएगी, लेकिन सराकर के फैसले के बाद प्रदेश में बेरोजगार युवाओं को संख्या में जबरदस्त इजाफा हो गया है। कार्यलयों के बाहर लंबी-लंबी कतारे इस बात का सबूत है कि मध्यप्रदेश में पढ़े लिखे बेरोजगारों की इतनी अधिक संख्या कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकती है।