आंगनबाड़ियों में बेहतर भोजन के लिए तरस रहे हैं बच्चे

Edited By suman, Updated: 06 Aug, 2018 11:59 AM

children craving for better food in anganwadi

आंगनबाड़ियों में अब खाने की वितरण प्रक्रिया को लेकर झोल-मोल सामने आ रहा है। रोज सुब आंगनबाड़ियों में जो खाना बंटता है वो रजिस्टर में दर्ज संख्या के हिसाब से दिया ही नहीं जाता है। दो बाल्टीनुमा बर्तनों में खाना बंटवाने वालों को इससे कोई मतलब नहीं कि...

 ग्वालियर : आंगनबाड़ियों में अब खाने की वितरण प्रक्रिया को लेकर झोल-मोल सामने आ रहा है। रोज सुब आंगनबाड़ियों में जो खाना बंटता है वो रजिस्टर में दर्ज संख्या के हिसाब से दिया ही नहीं जाता है। दो बाल्टीनुमा बर्तनों में खाना बंटवाने वालों को इससे कोई मतलब नहीं कि बच्चों को मिल भी पाएगा या नहीं। वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग की मई 2018 की हाल ही में जारी हुई जिलेवार ग्रेडिंग रिपोर्ट में ए-प्लस ग्रेड में ग्वालियर की सिर्फ 7 आंगनबाड़ी ही आ पाई हैं।

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आंगनबाड़ियों में खाने का ठेका स्वं-सहायता समूहों को दिया जाता है। इन स्वं-सहायता समूहों की ग्रेडिंग जिला पंचायत करती है और इसके आधार पर ही एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट के आधार पर काम दिया जाता है। हर दिन का अलग-अलग मैन्यू रहता है और बच्चों के अनुपात के हिसाब से डाइट दी जाना चाहिए। यहां होता यह है कि वितरण करने वालों ने एक निर्धारित मात्रा बना ली है जो हर एक आंगनबाड़ी केंद्र में दे दी जाती है,इससे कोई मतलब नहीं कि यह खाना बच्चों के लिए हो पाएगा या नहीं। दो बर्तनो में खाना डालकर बांटने वाली गाड़ी आगे बढ़ जाती है। यहां भुगतान तो बच्चों की पूरी संख्या से होता है लेकिन उतना भोजन दिया ही नहीं जाता।
 

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